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ऑटो सेक्टर को मोदी सरकार की मदद नाकाफी, देर से हुई घोषणा: फिच

रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूसंस ने कहा है कि ऑटो सेक्टर में लगातार आ रही गिरावट व मंदी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन पैकेज व उपाय नाकाफी हैं

By Ankit DubeyEdited By: Updated: Fri, 30 Aug 2019 07:25 AM (IST)
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ऑटो सेक्टर को मोदी सरकार की मदद नाकाफी, देर से हुई घोषणा: फिच
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूसंस ने गुरुवार को कहा है कि ऑटो सेक्टर में लगातार आ रही गिरावट व मंदी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन पैकेज व उपाय नाकाफी हैं और इनकी घोषणा काफी देर से की गई है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष में ऑटो सेक्टर में आई सुस्ती को रोक पाना संभव नहीं लग रहा। इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्तीय वर्ष में वाहन बिक्री में गिरावट 11.8 परसेंट रहने का अनुमान व्यक्त किया है। फिच की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को ऑटो सेक्टर में मंदी को रोकने के लिए जीएसटी दरों में कटौती, स्क्रैप पॉलिसी में सुधार के साथ ही अन्य उपायों की घोषणाएं करनी होंगी।

गौरतलब है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई सुस्ती व बिक्री में गिरावट को रोकने के लिए पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश बढ़ाने, बीएस-4 मानक वाले वाहन की बिक्री, जीएसटी में कटौती, एनबीएफसी सेक्टर में कर्ज संबंधी रियायतों व पैकेज की घोषणा की थी। हालांकि रेटिंग एजेंसी का कहना है कि सरकार की तरफ से प्रोत्साहन पैकेज व अन्य घोषणाएं उसकी गंभीरता व सेक्टर में सुधार को लेकर सरकार की गंभीरता व इच्छाशक्ति को दर्शाता है। जिससे आगे सरकार द्वारा बेहतर पैकेज व सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

प्रोत्साहन नीतियों में सुधार की दरकार

फिच की रिपोर्ट के अनुसार, देश के ऑटो सेक्टर पर सीधे ध्यान केंद्रित करने वाली प्रोत्साहन नीतियों व बैंकिंग सेक्टर में कर्ज देने संबंधी नीतियों में सुधार की जरूरत है। साथ ही एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2020 से बीएस-4 वाहनों की बिक्री व स्क्रैप पालिसी को लेकर सरकार को निवेशकों व सेक्टर की संभावित चिंताओं को दूर करने की दरकार है।

वाहनों की खरीद के लिए लोन देने वाली एनबीएफसी की पिछले वर्ष से हालत बेहद खस्ता है। बैंकिंग सेक्टर द्वारा लोन देने के आंकड़ों में कमी के चलते वाहनों की बिक्री पर असर पड़ा है। हालांकि सरकार की घोषणाओं में इन कंपनियों को लोन सरलता से मुहैया कराने संबंधी घोषणाएं की गई हैं। लेकिन इसमें कहीं अधिक सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है, क्योंकि इन कंपनियों का योगदान तकरीबन ऑटो सेक्टर में वाणिज्यिक वाहनों की खरीद में 55, यात्री कारों में 30 व दोपहिया वाहनों की बिक्री में 65 परसेंट तक है। बैंकिंग सेक्टर में लोन मुहैया कराने में बाधाओं के चलते नए वाहनों की बिक्री पर असर डाल रही है। जिसमें सुधार की अत्यंत आवश्यकता है।

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