Tata Motors ने IOCL को डिलीवर की हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली बसें, जानिए इनकी खासियत
बसों को डिलीवर करते समय Tata Motors के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा कि यह सरकार की प्रगतिशील नीतियों भविष्य की तैयारियों पर आईओसीएल के फोकस और टाटा मोटर्स की अनुसंधान एवं विकास क्षमता का परिणाम है जो भारत में स्वच्छ गतिशीलता के सामान्य दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। आइए इनके बारे में जान लेते हैं।
By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Mon, 25 Sep 2023 05:46 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश की सबसे बड़ी कमर्शियल वाहन निर्माता कंपनी Tata Motors ने आज भारत की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) को हाइड्रोजन ईंधन सेल संचालित (FCEV) बसें सौंपी हैं। हाइड्रोजन से चलने वाली दो बसों को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हरी झंडी दिखाई है। आइए, इन बसों के बारे में जान लेते हैं।
टाटा मोटर्स ने क्या कहा?
बसों को डिलीवर करते समय Tata Motors के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा कि यह सरकार की प्रगतिशील नीतियों, भविष्य की तैयारियों पर आईओसीएल के फोकस और टाटा मोटर्स की अनुसंधान एवं विकास क्षमता का परिणाम है, जो भारत में स्वच्छ गतिशीलता के सामान्य दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। आईओसीएल को एफसीईवी बसों की डिलीवरी एक महत्वपूर्ण संकेत है इस यात्रा में आगे बढ़ें और हम अपने भागीदारों के विश्वास और समर्थन के लिए आभारी हैं।यह भी पढ़ें- Honda ने एक दिन में 200 लोगों को डिलीवर की Elevate SUV, इन खूबियों की वजह से बढ़ रही डिमांड
कितनी खास हैं ये बसें?
इसके अलावा उन्होंने कहा कि टाटा मोटर्स में हम हमेशा राष्ट्र-निर्माण को प्राथमिकता देते हैं और देश में टिकाऊ, कनेक्टेड और सुरक्षित गतिशीलता के वैश्विक मेगाट्रेंड का नेतृत्व कर रहे हैं। आज इन बसों की डिलीवरी इंटरसिटी जन समुदाय में एक नए युग की शुरुआत करती है। परिवहन और स्थायी गतिशीलता की आकांक्षा को पूरा करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाता है।हाइड्रोजन से चलने वाली बसें पुणे में निर्माता के विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास केंद्र में बनाई जाती हैं। 12 मीटर लंबी इन बसों का डिजाइन लो-फ्लोर है और इनमें 35 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। बस को पावर देने के लिए 70 किलोवाट हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।