कितना सुनहरा होगा भारत में ईवी का भविष्य? सरकार और कंपनियों के सामने आ रही हैं ये चुनौतियां
भारत अमेरिका जापान और पश्चिमी युरोप के देशों के मुकाबले में कम विश्वास वाला मार्केट है। यहां अभी भी ईवी को उतना विश्वास नहीं है जितना अन्य देशों में है। ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियों को दो बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा। पहला ईवी का बुनियादी ढांचे को स्थापित करना और दूसरा जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशनों को इंस्टॉल करना। (जागरण फोटो)
नई दिल्ली, अतुल यादव। इस समय भारतीय ऑटो सेक्टर को आप कई बदलावों के साथ गुजरते हुए देख रहे होंगे, उसका एक बड़ा कारण इलेक्ट्रिक व्हीकल भी है। ईवी की भारी डिमांड को देखते हुए आप आने वाले समय का मुल्यांकन कर सकते हैं। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियों का समाधान किया जाना बाकी है। इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ईवी सेक्टर को बढ़वा देने के लिए उठ रहे कई सरकारी कदम?
सरकार की भूमिका EV सेक्टर को लेकर काफी अहम है। दुनिया भर की सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भारत में ईवी को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 सब्सिडी एक बहुत बड़ी योजना है। इससे लोगों को वित्तिय बोझ को भी झेलने में मदद मिलती है।
ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का भविष्य
जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन अधिक आम होते जाएंगे, कारों के निर्माण का तरीका भी बदल जाएगा। ऑटोमोटिव विनिर्माण में आगे चलकर नई-नई टेक्नोलॉजी आएंगी, जो इसे और भी आसान बना देंगी, जिसमें हल्की सामग्री और 3डी प्रिंटिंग का उपयोग शामिल है।
एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
अर्थट्रॉन ईवी के फाउंडर आशीष देसवाल ने जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर लोग परेशान हैं, जिसकी वजह से वह एक बेहतर विकल्प की तलाश कर रहे हैं। ऐसे में भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की पहल स्वागत योग्य है। भारतीय कस्टमर अब स्थाई उपाय के रुप में ईवी वाहनों पर भरोसा करने लगे हैं। भारत में ईवी की बढ़ती बिक्री इस बात का प्रमाण है। भारत सरकार भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ईवी पहुंचाने की पहल कर रही है। निकट भविष्य में हम हरे-भरे और प्रदूषण रहित समाज की कल्पना कर सकते हैं।
नितिन कपूर, मैनेजिंग डायरेक्टर,सायरा इलेक्ट्रिक ऑटो लिमिटेड का कहना है कि प्रदूषण की समस्या के चलते लोग सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट की तरफ रुख कर रहे है लेकिन उसके सामने भी चुनौतियां कम नहीं है। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभरा है। इसमें ईवी थ्री-व्हीलर वाहन तो एक क्रांति के रुप में हमारे सामने आया है। भारत इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अपने चार्जिंग बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ा रहा है। निजी और सार्वजनिक दोनों कंपनियां कमर्शियल सेंटर, आवासीय क्षेत्रों और ट्रांसपोर्ट सेंटर सहित अन्य कई जगहों पर भी चार्जिंग स्टेशन बना रही हैं।
इन चुनौतियों का सामना कर रहा ईवी सेक्टर
जैसा कि हम सब जानते हैं कि ईवी सेक्टर अभी हमारे लिए काफी नया है। वर्तमान में, भारत अमेरिका, जापान और पश्चिमी युरोप के देशों के मुकाबले में कम विश्वास वाला मार्केट है। यहां अभी भी ईवी को उतना विश्वास नहीं है, जितना अन्य देशों में है। ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियों को दो बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा। पहला ईवी का बुनियादी ढांचे को स्थापित करना और दूसरा जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशनों को इंस्टॉल करना। यह सब हासिल करना मुश्किल नहीं है बस थोड़ा समय लगेगा। एक्सपर्ट्स इसे एक टिकाऊ सेक्टर के तौर पर देख रहे हैं।