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बैटरी स्वैपिंग में प्रवेश करने से क्यों कतरा रहे मैन्युफैक्चरर्स ? एक्सपर्ट्स से समझें क्या है असल चुनौतियां

अगर हम दो पहिया वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग की बात करें तो यह इंडिया में साथ ही साथ 2-व्हीलर्स की मांग को भी बढ़ावा देगा जो की 2-व्हीलर्स मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक अवसर के रूप में सामने आएगा।

By Atul YadavEdited By: Updated: Sat, 19 Nov 2022 04:18 PM (IST)
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बैटरी स्वैपिंग से जुड़ी चुनौतियों के बारे में एक्सपर्ट्स से जानें

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल का चलन तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, देश में अभी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत नहीं है कि लोग अभी पूरी तरह से चार्जिंग स्टेशंस पर निर्भर हो सकें। सरकार द्वारा इस साल के शुरूआत में घोषणा कि गई थी कि बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी देश में जल्द लागू होगा। हालांकि, अभी तक इस पॉलिसी से जुड़े कोई नए आदेश अभी तक नहीं आए हैं। हालांकि, कई कंपनियां बैटरी स्वैपिंग स्टेशंस खोल रही हैं तो कई मैन्युफैक्चरर्स इस बाजार में प्रवेश करने से कतरा रहे हैं। इसलिए, इसके बारे में कुछ एक्सपर्ट्स की सलाह ली गई है, जिन्होंने बैटरी स्वैपिंग से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बताया है।

Exalta India के फाउंडर आशुतोष वर्मा का मानना है कि बैटरी स्वैपिंग में प्रवेश करने के लिए सबसे जरूरी है एक सिमिलर चैनल या नेटवर्क का होना। अभी मार्केट में कई तरीके की बैटरी मौजूद है और सभी मैन्युफैक्चरर अपनी गाड़ी में अलग अलग तरीके की बैटरी का इस्तेमाल कर रहे हैं। वही कुछ लोग स्मार्ट BMS की सुविधा भी दे रहे हैं, हालांकि 90 फीसद दोपहिया वाहनों में अभी भी स्मार्ट BMS का विकल्प उपलब्ध नहीं है। ये बैटरी स्वेपिंग मार्केट के लिए सबसे अहम चुनौती है और इसे पार पाने के लिए सभी मैन्युफैक्चरर्स को एक बैटरी स्टैण्डर्ड बनाना होगा और उसी के मुताबिक सभी बैटरियां बनानी होगी, ताकि किसी भी ब्रांड की गाड़ी इस्तेमाल करने वाला उपभोक्ता किसी भी स्टेशन से बैटरी स्वैप कर सके।

बैटरी की हेल्थ भी है चुनौती का कारण

इसके अलावा जो दूसरी अहम चुनौती है वो है उपभोक्ता की मौजूदा बैटरी की हैल्थ। सभी का गाड़ी चलाने और उसे इस्तेमाल करने का तरीका अलग है और ऐसे में किसी की गाड़ी की बैटरी की कंडीशन अच्छी है किसी की ठीक है तो किसी की बहुत खराब। बैटरी की साइकिल बदलते ही गाड़ी की परफॉर्मेंस भी बदल जाएगी। इसका दूसरा तरीका ये है कि हर मैन्युफैक्चरर अपना एक नेटवर्क तैयार करे जिसमें उसी की गाड़ी हो, उसी की बैटरी और उसका का स्वैपिंग स्टेशन। जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो भारत में बैटरी स्वैपिंग को अगर सफल करना है तो बैटरी के लिए स्टैण्डर्ड सेट करना होगा और सभी मनुफक्चरर्स को उसे फॉलो करना होगा।

बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी से दूर हो सकती है सारी समस्या

EVI Technology के सीईओ राहुल सोनी का कहना है कि इंडिया में मैन्युफैक्चरर्स को सबसे ज्यादा दिक्कत इसलिए आ रही है, क्योंकि अभी तक पूरी तरह से कोई पॉलिसी नहीं बनी है। पॉलिसी नहीं बनेगी तो बैटरी की कीमत तय नहीं हो पाएगी और न ही कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल सही से उपयोग हो पायेगा क्योंकि अभी सभी बैटरी मैन्युफैक्चरर बैटरी अपने हिसाब से बना रहे है कोई बैटरी का कोई स्टैण्डर्ड तय नहीं है, और मैन्युफैक्चरर्स EV वाहन भी अपने मुताबिक ही बना रहे है। इसमें सबसे बड़ा चैलेंज यही है की अभी तक सबके लिए कोई एक नियम नहीं है और न ही कोई पालिसी जिसपर सभी मैन्युफैक्चरर्स लागू करे।

सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा की जब तक सभी के लिए कोई एक नियम नहीं होगा न ही बैटरी की कॉस्ट तय हो पाएगी और न ही बैटरी स्वैपिंग की कॉस्ट तय हो सकेगी। बैटरी स्वैपिंग एक बड़ा कांसेप्ट है और इसपर सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है तभी इंडिया बैटरी स्वैपिंग में बड़े पैमाने पर सामने आ सकेगा।

Aponyx EV के फाउंडर और चेयरमैन एमएस चुग ने इसपर टिपण्णी करते हुए कहा कि बैटरी स्वैपिंग स्टेशन इनस्टॉल करने के लिए मैन्युफैक्चरर्स को अभी इसे पूरी तरह से अपनाने लिए दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए एक उचित रोडमैप बनाने की जरूरत है। ईवी में बैटरी को अभी स्टैंडराइज्ड करने की ज़रूरत है ताकि वे अलग अलग वाहनों, ब्रांडों और मॉडलों के अनुरूप हो सकें।

बैटरी स्वैपिंग कंपनियों को अभी बैटरी बनाने के लिए OEM के साथ साझेदारी करनी होगी। इसके अलावा मैन्युफैक्चरर्स को ग्राहको और उपभोग्ताओ को बैटरी की पूरी तरह से सुरक्षा, बैटरी के उचित प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना होगा जो मैन्यूफैक्चरर्स के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

पैसेंजर्स व्हीकल्स और बसों के लिए बैटरी स्वैपिंग की बात करें तो इसमें मशीनरी में भारी निवेश की आवश्यकता होगी, क्योंकि उनकी बैटरी को मैन्युअल रूप से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। लेकिन यदि अगर हम दो पहिया वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग की बात करें तो यह इंडिया में साथ ही साथ 2-व्हीलर्स की मांग को भी बढ़ावा देगा जो की 2-व्हीलर्स मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक अवसर के रूप में सामने आएगा।

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