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Tesla को अचानक क्यों आई भारत की याद, चीन के मुकाबले Elon Musk क्यों दे रहे हैं इंडिया को तरजीह

भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। ये एक बड़ा कारण हो सकता है जिसकी वजह से Elon musk अपनी टेस्ला को भारत में प्रवेश कराना चाह रहे हैं। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार के उलझते मुद्दे भी बड़ी वजह हो सकते हैं।

By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Thu, 18 May 2023 09:02 PM (IST)
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what are the possible reasons behind Tesla rekindling EV relations with India?
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। दुनिया सबसे बड़ी Electric Car निर्माता कंपनी Tesla भारत में अपना कारोबार शुरु करने के लिए इच्छुक नजर आ रही है। दरअसल, Elon musk के स्वामित्व वाली टेस्ला, कथित तौर पर भारत सरकार के साथ 2022 में असफल कोशिश करने के बाद भारतीय ईवी बाजार में प्रवेश करने के अपने प्रयासों को फिर से तेज कर रही है। कंपनी ने फिर से भारत सरकार से देश में टेस्ला की एंट्री को लेकर संपर्क किया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला के अधिकारियों ने 17 मई को सरकारी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर मुलाकात की है। तो क्या भरतीय बाजार में टेस्ला अपना कारोबार शुरू करने के लिए बेताब है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह क्या है, अपने इस लेख में हम यही जानने वाले हैं। Tesla भारतीय बाजार में अपने Electric Car का व्यापार क्यों शुरू करना चाहती है?

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार है भारत

भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। ये भी बड़ा कारण हो सकता है कि Elon musk टेस्ला को भारत में प्रवेश कराना चाह रहे हों। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में हर साल 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ईवी की बिक्री बढ़ रही है।

सरकार द्वारा लगातार ईवी इंडंस्ट्री को दिए जा रहे बढ़ावे के चलते देश में 2030 तक लगभग 30 प्रतिशत ईवी बिक्री हासिल करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, टेस्ला की सबसे बड़ी चीनी प्रतिद्वंद्वी BYD पहले से ही भारत में मौजूद है। ऐसे में कंपनी अपने राइवल को टक्कर देने के लिए भारत में प्रवेश कर सकती है।

देश में है पर्याप्त लिथियम

टेस्ला की धुन में बदलाव को प्रोत्साहित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा, भारत के जम्मू और कश्मीर और राजस्थान में बड़े लिथियम भंडार की हाल की खोज भी हो सकता है। निश्चित रूप से, भारत को लिथियम का खनन करने और इसके लाभों को प्राप्त करने में कुछ समय लगेगा, लेकिन देश के पास अब पर्याप्त लिथियम भंडार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में पाए गए लिथियम की मात्रा, जम्मू-कश्मीर में पाए गए भंडार से अधिक बड़ी है।

अधिकारियों का मानना है कि यहां लीथियम की मात्रा देश की 80 फीसदी मांग को पूरा कर सकती है। हालांकि, इतनी मात्रा में उपलब्ध लीथियम को रातों-रात रिफाइन करना संभव नहीं है। इसके लिए काफी समय, तकनीक और लोगों की जरूरत पड़ने वाली है। टेस्ला की भारत सरकार को संपर्क किए जाने के पीछे ये भी एक महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है।

अमेरिका-चीन में बढ़ रहा है तनाव

टेस्ला के लिए वर्तमान में कीमतों में कटौती के लिए चीनी बाजार मददगार साबित हो रहा है। मौजूदा समय में अमेरिका और चीन के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं, ऐसे में कंपनी को डर होगा कि कहीं चीन में उसके कारोबार को दिक्कतों का सामना न करना पड़ जाए।

इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद, जासूसी विरोधी कानून और सेमीकंडक्टर्स जैसी प्रौद्योगिकी की आपूर्ति जैसे कई मुद्दों के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। ये गतिविधियां बड़े पैमाने पर चीन द्वारा नियंत्रित हैं। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था और एशिया के लिए टेस्ला की व्यावसायिक योजनाओं के लिए जोखिम भरा हो सकता है, शायद इसलिए भी टेस्ला एशियाई देशों में अपना वर्चस्व बनाने के लिए भारत में कारोबार शुरू करने का प्लान कर रही हो।

2030 तक 30 प्रतिशत ईवी हिस्सेदारी की राह पर भारत

भारतीय ऑटोमोटिव बाजार वर्तमान में 2030 तक 30 प्रतिशत ईवी बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य लेकर चल रहा है। देश में ईवी की कुल बिक्री साल 2030 तक 10 मिलियन के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। हालांकि, ये तर्क दिया जा सकता है कि इस बाजार हिस्सेदारी में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों का बड़ा योगदान होने वाला है।

ऐसे में टेस्ला के लिए ये जल्दबाजी भरा कदम भी हो सकता है। अब देखना यो होगा कि इतनी कश्मकश के बीच दुनिया की सबसे बड़ी Electric Vehicle निर्माता कंपनी विश्व के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार वाले देश में अपना कारोबार शुरु करती है या फिर नहीं।