Jagran Special: भारत में क्या है इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य? जानें ईवी एक्स्पर्ट्स की राय
भारतीय कस्टमर अब स्थाई उपाय के रुप में ईवी वाहनों पर भरोसा करने लगे हैं। भारत में ईवी की बढ़ती बिक्री इस बात का प्रमाण है। भारत सरकार भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ईवी पहुंचाने की पहल कर रही है।
By Atul YadavEdited By: Updated: Mon, 02 May 2022 08:13 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में पिछले साल से इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार में काफी ग्रोथ देखने को मिली है, क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में लोग विकल्प के तौर पर सीएनजी और इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर ध्यान दे रहे हैं। हालांकि, ईवी का डिमांड भारत में दिन-प्रति बढ़ती जा रही है, लेकिन इनकी अधिक कीमतों के चलते अभी भी लोग कहीं न कहीं खरीदने से कतरा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सेमीकंडक्टर की भारी कमी और इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगने वाली आग भी एक चिंता का विषय है। ऐसे में अब लोगों के मन एक सवाल उठ रहा है कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल को लोग कैसे अपनाएंगे और देश में इसका क्या भविष्य है। इस सवाल को लेकर जागरण ने कई ईवी एक्सपर्ट्स से बातचीत की और इस सवाल का जवाब लेकर आपके समक्ष आए हैं।
वर्तमान में भारत अमेरिका, जापान और पश्चिमी युरोप के देशों के मुकाबले में कम विश्वास वाला मार्केट है। यहां अभी भी ईवी को उतना विश्वास नहीं है, जितना अन्य देशों में है। ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियों को दो बड़ी चुनौतियों को पार करना होगा। पहला ईवी का बुनियादी ढांचे को स्थापित करना और दूसरा जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशनों को इंस्टॉल करना। यह सब हासिल करना मुश्किल नहीं है बस थोड़ा समय लगेगा।
देश में परिवहन क्रांति की जरूरत
ईवी कॉसमॉस के डायरेक्टर, मार्केटिंग एंड स्ट्रेटेजी अमिताभ शिवपुरी ने भारत में इलेक्ट्रिक फ्यूचर के बारे में बात करते हुए जागरण को बताया कि भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार बाजार है। भारत में आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। देश में परिवहन क्रांति की जरूरत है, जो इलेक्ट्रिक वाहन लाने में पूरी तरह से सक्षम है। इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन के क्षेत्र में एक स्थायी परिवहन भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत राजनीतिक और सार्वजनिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी, जो पर्यावरण और आर्थिक रूप से टिकाऊ हो।
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के ईवी को बढ़ावा देना जरूरी
ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक मुद्दा है। इस पर अमिताभ शिवपुरी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने और कार्बन के बढ़ते उत्सर्जनों को रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में परिवर्तन करके एक आशाजनक भविष्य देने की कोशिश की जा रही है। भारत उन गिने चुने देशों में से एक है, जो प्रदूषण रहित देश बनाने के अभियान में इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट कर रहा है।
प्रदूषण रहित समाज बनाने में मदद करेगा ईवी? अर्थट्रॉन ईवी के फाउंडर आशीष देसवाल ने जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर लोग परेशान हैं, जिसकी वजह से वह एक बेहतर विकल्प की तलाश कर रहे हैं। ऐसे में भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की पहल स्वागत योग्य है। भारतीय कस्टमर अब स्थाई उपाय के रुप में ईवी वाहनों पर भरोसा करने लगे हैं। भारत में ईवी की बढ़ती बिक्री इस बात का प्रमाण है। भारत सरकार भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ईवी पहुंचाने की पहल कर रही है। निकट भविष्य में हम हरे-भरे और प्रदूषण रहित समाज की कल्पना कर सकते हैं।
ईवी इंफ्रास्टक्चर के विकास में ये चीज बन रही बाधा? इलेक्ट्रिक व्हीकल की सबसे बड़ी चुनौती उनकी चार्जिंग है। बता दें, राजधानी दिल्ली में मात्र 8 से 10 सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट हैं। इसलिए वैसे लोग जो घरों में चार्जिंग पॉइंट लगाने में सक्षम नहीं है, वे EV पर विचार नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा भारत की 90 प्रतिशत गाड़ियां सड़कों पर पार्क होती हैं। ऐसे में हर गाड़ी के लिए चार्जिंग की सुविधा पहुंचा पाना संभव नहीं है। इसलिए ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना एक बड़ी चुनौती है।