वाहनों पर क्यों नहीं लगा सकते 'जाति सूचक' और 'धार्मिक' स्टिकर? जानिए क्या कहते हैं नियम
मोटर वाहन नियम 1989 के तहत पंजीकरण नंबर प्लेट पर कोई भी स्टिकर लगाने के खिलाफ एक स्पष्ट नियम है विभिन्न राज्यों में सरकारों ने वाहन के बॉडी पर भी जाति और धर्म को दर्शाने वाले स्टिकर लगाने के खिलाफ आदेश जारी किए हैं। वाहनों की बॉडी पर स्टीकर लगाने के मामले में पुलिस मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 179 के तहत चालान काट रही है।
By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Wed, 23 Aug 2023 05:47 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। पिछले कुछ दिनों में यूपी पुलिस ने 11 अगस्त से शुरू हुए एक विशेष अभियान के तहत अपनी कारों पर 'जाति और धार्मिक स्टिकर' लगाने के लिए कई चालान किए हैं। कार पर ऐसा स्टिकर लगाने पर 1000 रुपये और रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट पर ऐसा कुछ लिखने पर 5,000 रुपये का चालान है। पुलिस ने यह भी कहा कि भविष्य में भी इसी तरह के अभियान चलाए जाएंगे। आइए, जान लेते हैं कि इसको लेकर नियम क्या हैं।
क्या कहते हैं नियम?
मोटर वाहन नियम 1989 के तहत पंजीकरण नंबर प्लेट पर कोई भी स्टिकर लगाने के खिलाफ एक स्पष्ट नियम है, विभिन्न राज्यों में सरकारों ने वाहन के बॉडी पर भी जाति और धर्म को दर्शाने वाले स्टिकर लगाने के खिलाफ आदेश जारी किए हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निदेशालय ने 10 अगस्त को जारी अपने आदेश में कहा है कि जाति-विशिष्ट और धर्म-विशिष्ट स्टिकर का उपयोग करने वाले वाहन मालिकों का चालान करने के लिए 11 से 20 अगस्त के बीच एक विशेष अभियान चलाया जाएगा।मोटर वाहन नियमों के अनुसार, पंजीकरण नंबर प्लेटों में "स्टिकर और चिपकने वाले लेबल" की अनुमति नहीं है। यदि नंबर प्लेट नियमों के अनुसार नहीं है, जिसमें उस पर लेबल या स्टिकर लगाना शामिल है, तो एमवी अधिनियम की धारा 192 में पहली बार अपराध के लिए 5,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। बाद के अपराधों के लिए, उन्हें 1 वर्ष तक की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
शीशा और बॉडी पर स्टिकर लगाने पर क्या होगा?
वाहनों की बॉडी पर स्टिकर लगाने के मामले में पुलिस मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 179 के तहत चालान काट रही है। इस धारा में आदेशों की अवहेलना या बाधा और सूचना देने से इनकार के मामले में जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई जानबूझकर इस अधिनियम के तहत ऐसे निर्देश की अवज्ञा करता है या किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी को किसी भी कार्य के निर्वहन में बाधा डालता है, तो जुर्माने से दंडनीय होगा जो पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
पहले ये दंड (यदि अधिनियम में अपराध के लिए प्रावधान नहीं किया गया है) 500 रुपये तक था। हालांकि, एमवी अधिनियम में 2019 के संशोधन के बाद, जुर्माना अब 2,000 रुपये तक है।