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क्रांतिकारियों ने 21 अगस्त 1942 को कुआड़ी ओपी पर लहराया था तिरंगा, 200 साल बाद भी नहीं बन सका थाना

स्वाधीनता संग्राम में सिकटी विधानसभा की अहम भूमिका रही है। यहां के रणबाकुरों ने अपनी बहादुरी से अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे कर दिए थे। सेनानियों ने अंग्रेजी गोलियों की परवाह किये बगैर 21 अगस्त 1942 को कुआड़ी के पुलिस स्टेशन(ओपी) में तिरंगा लहराया था लेकिन फिर भी जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की अनदेखी के कारण इसे थाना का दर्जा आज तक नहीं मिला।

By Ashutosh Kumar NiralaEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 09 Aug 2023 11:08 AM (IST)
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क्रांतिकारियों ने 21 अगस्त 1942 को कुआड़ी ओपी पर लहराया था तिरंगा

दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी (अररिया): स्वाधीनता संग्राम में सिकटी विधानसभा की अहम भूमिका रही है। यहां के रणबाकुरों ने अपनी बहादुरी से अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे कर दिए थे। सेनानियों ने अंग्रेजी गोलियों की परवाह किये बगैर 21 अगस्त 1942 को कुआड़ी के पुलिस स्टेशन(ओपी) में तिरंगा लहराया था, जबकि इस घटना में कुआड़ी के अलावा कुर्साकांटा, बखरी, परवत्ता, तीरा खारदह, डैनिया, उफरैल के लोग भी जख्मी हुए थे।

स्वाधीनता की इस लड़ाई में कई लोग जेल गये तथा कुछ लोग बगल के नेपाल सीमापार भूमिगत हो गये, लेकिन फिर भी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व प्रशासन की अनदेखी के कारण इसे थाना का दर्जा आज तक नहीं मिल सका है।

जब पूरे देश में सन 1942 की अगस्त क्रांति की लहर परवान पर थी तो 21 अगस्त को कुर्साकांटा व कुआड़ी में रामेश्वर यादव, कमला नंद विश्वास, विश्वनाथ गुप्ता, सीताराम गुप्ता, रामाश्रय हलुवाई, रघुनंदन भगत, गोधुली ठाकुर, हरिलाल झा, नागेश्वर झा, अनुपलाल पासवान, रामचन्द्र गुप्ता आदि लोगों की अगुआई वाली सेना ने सबसे पहले कुआड़ी व कुर्साकांटा के डाकघर व देसी शराब की दुकान में तोड़फोड़ व आगजनी की थी।

इसके बाद सेनानियों ने कार्य स्थल मोती लाल राष्ट्रीय पाठशाला (स्मारक भवन) में जमा होकर पुन: थाना लूटने व जलाने की योजना बना ही रहे थे कि इसकी भनक अंगेज पुलिस को लग गई। मौके पर पहुंचकर पुलिस का जत्था रामेश्वर हलुआई, रामेश्वर यादव, विश्वनाथ गुप्ता, कमलानंद विश्वास, सीता राम गुप्ता, वासो साह, भगवान लाल साह, कुशेश्वर पासवान शास्त्री समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर हवालात में डाल दिया था।

इस घटना के बाद स्वतंत्रता के सैकड़ों दीवाने आग बबूला हो गये और साथियों को छुड़ाने के लिए थानों की ओर कूच कर गए, उस समय कुआड़ी थाने के जमादार राम नगीना पांडेय ने पुलिस बल के साथ क्रांतिकारियों को रोकने का प्रयास किया, परंतु विफल रहे।

थाने की छत पर चढ़कर लहराया तिरंगा

आक्रोशित भीड़ ने जमादार को उठाकर जमीन पर पटक दिया तथा कार्यालय व हवालात का चाभी छीन कर साथियों को छुड़ाया। इसी बीच कमलानंद विश्वास, रामेश्वर यादव ने कुछ साथियों के साथ थाना की छत पर चढ़कर तिरंगा फहरा दिया। बाद में पुलिस ने गोली भी चलाई, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए तथा कई लोग छिपते हुए नेपाल जाकर भूमिगत हो गये। वहीं, कितने लोगों की गिरफ्तारी हुई।

14 सर्किल को मिलाकर बनाया गया थाना

ब्रिटिश हुक्मरानों ने भारत-नेपाल की खुली सीमा पर कुआड़ी की अहमियत को समझते हुए सन 1828 में हीं कुआड़ी में 14 सर्किल की एक ओपी की स्थापना की थी, उस समय जिले में एक भी थाना व ओपी नहीं था।

कुआड़ी ओपी की स्थापना के बाद अन्य सारे थाना व ओपी बने। बड़ी कचहरी श्री नगर पूर्णिया एवं छोटी कचहरी चम्पानगर में थी। कुआड़ी ओपी पूर्णिया पुलिस अधीक्षक से संचालित होता था।

अफीम व गांजा का केंद्र था कुआड़ी

उस समय कुआड़ी चीन व नेपाल से आने वाली अफीम व गांजा के संग्रहण का सबसे बड़ा केंद्र था। लगभग इन दो सौ सालों में कुआड़ी ओपी हर अच्छा-बुरा दिन देखता आया है।