Viral Fever : बदलते मौसम में अपने बच्चे को रखना चाहते हैं हेल्दी, वायरल इंफेक्शन से बचने के लिए जरूर अपनाएं ये उपाय
बीते कुछ दिनों से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। बदलते मौसम में बच्चे वायरल फीवर के चपेट में जल्दी आते हैं क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। बच्चों को बदलते मौसम की बीमारियों से बचाने के लिए कुछ टिप्स फॉलो किए जा सकते हैं। ऐसे मौसम में सबसे अधिक जरूरी यह है कि बच्चों की डाइट और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
जागरण संवाददाता, अररिया। मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण लोग वायरल इंफेक्शन से पीड़ित होने लगे हैं। तापमान में उतार-चढ़ाव होने से बुखार, सर्दी-जुकाम व खांसी के मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंच रहे है। इधर कुछ दिनों से मौसम में लगातार जारी उतार-चढ़ाव लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। जिस कारण बच्चे जहां सर्दी, खांसी, बुखार व वायरल निमोनियो की चपेट में आ रहे है।
हाल के दिनों में अस्पताल आने वाले मरीजों में करीब 40 प्रतिशत लोगों में इस तरह की समस्या देखी जा रही है। अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद ने बताया कि ओपीडी में हर दिन 500 से अधिक मरीज इलाज के लिये पहुंचते हैं। इसमें अधिकांश मरीज मौसमी बीमारियों की शिकायत लेकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं।
बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं हर आयु वर्ग के लोग
अस्पताल अधीक्षक डॉ केके कश्यम ने बताया कि मौसम में जिस तरह से बदलाव हो रहा है हर आयु वर्ग के लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे है।
तापमान में जारी उतार-चढ़ाव इसकी मुख्य वजह है। दिन में धूप व रात में ठंड बढ़ जाने से लोगों के सेहत को प्रभावित कर रहा है।
बदलते मौसम से उतार-चढ़ाव संक्रामक बीमारियों के प्रसार को बढ़ावा दे रहा है। इस मौसम में बच्चों को संक्रामक रोगों का खतरा अधिक होता है।
इस मौसम में बच्चों के नाक से पानी आना, सांस लेने में तकलीफ, कफ व खांसी व सोते समय सांसों में घर-घराहट की आवाज जैसी शिकायत आम है। शुरूआती अवस्था में उचित इलाज के अभाव में ये निमोनिया सहित अन्य गंभीर रोग का कारण बन सकता है।
बच्चों की सेहत पर बदलते मौसम का सबसे अधिक असर
सदर अस्पताल के चिकित्सक डा आकाश कुमार ने बताया कि बदलते मौसम का सबसे अधिक असर कम उम्र के बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। बड़ों की तुलना में बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिये वे आसानी से तरह-तरह के संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
बच्चों में नाक से पानी आना, सांस लेने में तकलीफ, कफ-खांसी व सोते समय सांसों में घर-घराहट की आवाज जैसी शिकायत होती है। अगर शुरुआती दौर में ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये निमोनिया सहित अन्य गंभीर रोग का कारण बन सकता है।
सेहत के प्रति सतर्क रहने की जरूरत
सिविल सर्जन डा विधानचंद्र सिंह ने बताया कि इस बदलते मौसम में अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। खास कर बच्चे व बुजुर्गों के मामले में ये अधिक जरूरी है। ऐसे मौसम में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ के सेवन को प्रमुखता देना चाहिये।
ऐसे करें अपना और अपनों का बचाव
हरी पत्तेदार सब्जी, आवला सहित अन्य मौसमी फलों को सेवन अधिक करें। ताजा भोजन व हल्का गर्म पानी का सेवन करें जिससे संक्रमण की संभावना को कम करता है। धूप से आने पर अधिक ठंडे पानी के सेवन से परहेज करें। साफ सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। अधिक परेशानी होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल इलाज कराना जरूरी है।
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