Bihar Politics: 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट साबित होगा लोकसभा इलेक्शन, इन नेताओं की होगी अग्नि परीक्षा
लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़ रही गर्मी के साथ हीं सियासी पारा भी चरम पर पहुंच चुका है। इस सीट को सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। इस चुनाव को 2025 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां में चुनाव-प्रचार को लेकर भागमभाग की स्थिति बनी हुई है।
दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी (अररिया)। लोकसभा चुनाव को लेकर जहां सभी राजनीतिक दलों में प्रचार-प्रसार को लेकर भागमभाग की स्थिति बनी हुई है। वहीं इस बार चुनाव में अपनी साख को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी पार्टियोंं पर आन पड़ी है।
इस बार के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता यह गौर करेंगे कि आखिरकार किस वार्ड या बूथ स्तर पर कितने मत पड़े। इसके आधार पर विधानसभा स्तर के राजनीतिक नेताओं का भविष्य भी तय होगा।
जानकारों की मानें तो, आगामी विधानसभा चुनाव में भी टिकट के दावेदारों की पहचान लोकसभा चुनाव में पड़ने वाले वोटों से तय होगी। जिस विधानसभा टिकट दावेदार के यहां वोट कम पड़ेंगे, उनके लिए पार्टी कुछ अलग सोच सकती है।
लोकसभा चुनाव सबसे दिलचस्प
अररिया लोकसभा सीट की बात करें तो, यहां नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। बुद्धिजीवी मतदाताओं की मानें तो कुछ मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों के आने से मुकाबला संघर्षपूर्ण दिख रहा है। जबकि इससे पूर्व के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है।
पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी वर्कर से लेकर जिलास्तर के नेताओं पर सौंपी गई है। इसलिए यह चुनाव उनकी साख की कसौटी की पहचान करने में भी सहायक साबित होगा। सभी राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को इस बात से अवगत भी करवा चुके है।
सत्ताधारी विधायकों की बढ़ेंगी मुश्किलें
अररिया लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते है। इसमें तीन पर भाजपा तथा एक-एक सीट पर राजद, जदयू और कांग्रेस के विधायक काबिज है।
प्रत्याशी की घोषणा के बाद सभी विधायकों के जिम्मे प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिस विधायक के क्षेत्र से वोट बैंक कम होगा, उसके लिए पार्टी में मुश्किलें खड़ी हो सकती है।ऐसे में विधायकों के लिए बाजी लगाना जरूरी रहेगा। यही हालात अन्य राजनीतिक दलों में भी है। जिसके कारण पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में बेचैनी देखी जा रही है।
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