जब पहनावे के चलते संसद के गेट पर ही रोक दिए गए बिहार के कद्दावर नेता, दिल्ली से लेकर पटना तक मच गई थी हलचल
1975 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए इमरजेंसी के बाद कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में एक आंधी चली थी। कांग्रेस के खिलाफ उठी इस लहर में बिहार की भूमिका बेहद अहम रही। इस आंधी ने बिहार को कई कद्दावर नेता दिए। इन्हीं में से एक नेता थे महेंद्र नारायण सरदार। 1977 के चुनावों में वह एक बड़ी जीत दर्जकर संसद पहुंचे थे।
अफसर अली, अररिया। चुनाव जीतने के बाद महेंद्र नारायण सरदार जब संसद पहुंचे तो पहनावा देख जवानों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया था। बात 1977 की है। महेंद्र ने अररिया लोकसभा सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डुमरलाल बैठा को शिकस्त दी थी।
साधारण वेशभूषा में रहने वाले महेंद्र नारायण सरदार बैलगाड़ी से पटना गए और वहां से रेलगाड़ी से दिल्ली पहुंचे थे। लाल मोजा और प्लास्टिक का जूता, सफर में धोती व कुर्ता भी गंदे हो गए थे।
संसद भवन के गेट पर तैनात जवानों ने उनका पहनावा देखा और रास्ता रोक लिया। इसके बाद वे हंगामा करने लगे। बाद में जवानों को पता चला कि वे सांसद हैं। तब उन्हें संसद भवन के अंदर जाने दिया गया।
आपातकाल के खिलाफ गुस्सा और महेंद्र नारायण की जीत
चुनावी मौसम में बुजुर्गों की जुबान से कई अनसुनी कहानियां लोगों के जेहन को तरोताजा कर रही हैं। एक साधारण परिवार के अररिया के पूर्व सांसद महेंद्र नारायण सरदार की अनसुनी कहानियां भी चर्चा में हैं।
जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष मो. मंजूर आलम ने बताया कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद कांग्रेस के खिलाफ आंधी चली थी। 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा था।
कांग्रेस के डुमरलाल बैठा को हराकर पहुंचे थे संसद
जनता पार्टी के टिकट पर महेंद्र नारायण सरदार कांग्रेस के डुमरलाल बैठा को हराकर संसद भवन पहुंचे थे। ग्रामीण परिवेश में जीवन गुजारने वाले महेंद्र नारायण सरदार शहर की चकाचौंध से वाकिफ नहीं थे।
वे लाल मोजा और प्लास्टिक का जूता पहनकर संसद भवन पहुंच गए थे। गेट पर तैनात जवान उन्हें नहीं पहचान सके और अंदर जाने से रोक दिया था। उस समय यह चर्चा जिले में सुर्खियां बन गई थी।
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