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Subrata Roy Died: सुब्रत राय का बिहार में है ननिहाल, नाना के घर पर जन्मे-पढ़े और इस नाम से पुकारते थे स्वजन

सहारा इंडिया सुप्रीमो सुब्रत राय का निधन हो गया है। उनकी मृत्यु कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण हुई। वह 75 वर्ष के थे। बयान के अनुसार वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोग से लंबे समय से जूझ रहे थे। बता दें कि सुब्रत राय बिहार के अररिया में अपने नाना के यहां जन्मे थे। वह आखिरी बार साल 1999 में अररिया गए थे।

By Prashant PrasharEdited By: Mukul KumarUpdated: Wed, 15 Nov 2023 01:50 PM (IST)
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अररिया में सुब्रत राय अपने स्वजनों के साथ। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, अररिया। सहारा इंडिया सुप्रीमो सुब्रत राय 1999 में अंतिम बार अररिया आए थे। इस मौके पर अररिया समिति दुर्गा मंदिर में उनका भव्य स्वागत किया गया था। उनका जन्म बिहार राज्य के अररिया जिला में 10 जून 1948 को नाना अमितो लाल दासगुप्ता तथा नानी नमानी माला दासगुप्ता के घर में हुआ था।

गोरखपुर से सुब्रत राय ने की थी आगे की पढ़ाई

उनके पिता सुधीर चंद्र राय और मां का नाम छबि राय है। सुब्रत राय के मामा अशोक सेन गुप्ता ने बताया कि अररिया हाईस्कूल से उन्होंने हायर सेकंड्री की पढ़ाई की थी। उनके पिता गोरखपुर में शुगर मिल में इंजीनियर थे। आगे की पढ़ाई उन्होंने गोरखपुर से की थी। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।

उनके ममेरे भाई अमित सेन गुप्ता ने बताया कि सुब्रत राय का विवाह स्वप्ना राय से हुआ था। उनको दो पुत्र सुशांत राय एवं सीमांत राय है।

चार संतानों में सबसे बड़े थे सुब्रत राय

अपने पिता की चार संतानों में सुब्रत राय सबसे बड़े लड़के थे। उनके बाद छोटे भाई जयब्रतो राय, छोटी दो बहनें माला राय एवं कुकुम राय चौधरी थी। माला राय का निधन पहले हो चुका है। जयब्रतो राय एवं कुमकुम राय चौधरी अभी भी सहारा इंडिया परिवार के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

पत्नी स्वप्ना राय सहारा इंडिया परिवार के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। सहारा इंडिया की स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। सुब्रत राय और उनकी माताजी छबि राय को अररिया से बहुत प्रेम था। छबि राय जब तक जीवित थीं, फोन के माध्यम से हमेशा अररिया के बारे में पूछती रहती थीं।

मंदिर का कराया निर्माण

सुब्रत राय ने कचहरी के समीप वर्ष 2005 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की तथा नगर परिषद कार्यालय के समीप से महादेव चौक तक पक्की सड़क का निर्माण करवाया था। उनको घर के लोग चंदन नाम से पुकारते थे।

उनका यहां सहारा इंडिया जूट प्रोजेक्ट भी है। जिसमें जूट का विभिन्न उत्पाद तैयार होता था। जहां लगभग एक वर्ष से काम बंद है। उनहोंने अररिया समिति दुर्गा मंदिर का भव्य निर्माण कराकर उसमें संगमरमर की दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित की थी। उन्हें अररिया से काफी लगाव था।

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