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Aurangabad: अगर आप भी चलाते हैं कंबाइन हार्वेस्‍टर मशीन तो जान लीजिए DM का ये आदेश, नहीं माना तो झेलनी होगी कार्रवाई

जिला पदाधिकारी सह जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह के अध्यक्ष श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में फसल अवशेष जलाने की घटना को रोकने हेतु जिले के कंबाइन हार्वेस्टर मालिक और संचालक के साथ बैठक की गई। बैठक में डीएम ने निर्देश दिया कि सभी हार्वेस्टर मालिक व संचालक संबंधित प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी से पास प्राप्त कर अपने हार्वेस्टर पर पास को चिपकाते हुए अपना नाम मोबाइल नंबर अंकित करेंगे।

By Shubham Kumar SinghEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 08 Dec 2023 07:09 PM (IST)
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अगर आप भी चलाते हैं कंबाइन हार्वेस्‍टर मशीन तो जान लीजिए DM का ये आदेश। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। जिला पदाधिकारी सह जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह के अध्यक्ष श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में फसल अवशेष जलाने की घटना को रोकने हेतु जिले के कंबाइन हार्वेस्टर मालिक और संचालक के साथ बैठक की गई।

बैठक में डीएम ने निर्देश दिया कि सभी हार्वेस्टर मालिक व संचालक संबंधित प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी से पास प्राप्त कर अपने हार्वेस्टर पर पास को चिपकाते हुए अपना नाम, मोबाइल नंबर अवश्य अंकित करेंगे। साथ ही स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) के बिना हार्वेस्टर का संचालन नहीं करेंगे।

सीआरपीसी की धारा-133 के तहत होगी कार्रवाई

अगर बिना एसएमएस के हार्वेस्टर चलाते पकड़ा गया तो उनके विरुद्ध प्राथमिकी करते हुए हार्वेस्टर जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर सीआरपीसी के सुसंगत धारा-133 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

कृषि विभाग के पोर्टल पर किसान का रजिस्ट्रेशन को तीन वर्ष के लिए प्रतिबंधित करते हुए कृषि विभाग के सभी योजनाओं एवं धान क्रय के लाभ से वंचित किया जाएगा। संबंधित पंचायत के कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

इन उपकरणों पर मिल रही सब्सि‍डी

फसल अवशेष प्रबंधन के तहत रिपर कंबाइंडर, स्ट्रा बेलर, हैपी सीडर, रोटरी मल्चर एवं सुपर सिल्डर पर भी कृषि विभाग के द्वारा अनुदान दी जा रही है। जो किसान इच्छुक हैं वे अपना ओएफएमएस पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

जिला कृषि पदाधिकारी रामईश्वर प्रसाद ने बताया कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से सांस लेने में परेशानी होती है। आंखों में जलन, नाक एवं गले में समस्या उत्पन्न होती है।

मिट्टी का तापमान बढ़ने लगता है, जिससे मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है जलकर नष्ट हो जाती है। मिट्टी में उपलब्ध जीवाणु, मित्र कीट, केंचुआ मर जाते हैं।

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