Bihar Bhumi Survey 2024: परदादा के नाम जमीन का खतियान खोजने में जुटे ग्रामीण, रुपये देने के बावजूद नहीं हो रहा काम
Bihar Land Survey भूमि सर्वेक्षण के कारण ग्रामीणों को खतियान की तलाश में रिकॉर्ड रूम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। दरअसल ग्रामसभा में पहुंच रहे अधिकारी खतियान मांगा रहे हैं लेकिन अधिकांश ग्रामीणों के पास खतियान ही नहीं है जिस कारण वे रिकार्ड रूम पहुंच खतियान खोज रहे हैं। स्थिति यह है कि पैसे देने के बावजूद खतियान नहीं मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। गांवों में भूमि सर्वे का कार्य चल रहा है। ग्रामसभा में पहुंच रहे अधिकारी और कर्मी के द्वारा खतियान मांगा जा रहा है। अधिकांश ग्रामीणों के पास खतियान नहीं है, जिस कारण वे रिकार्ड रूम पहुंच खतियान खोज रहे हैं। स्थिति यह है कि खतियान नहीं मिल रहा है।
रिकार्ड रूम के पीछे वाली खिड़की पर पूरे दिन भीड़ लगी रहती है। गांवों से पहुंचने वाले ग्रामीण हाथ में रुपये लेकर कर्मियों का नाम चिल्लाते रहते हैं। खतियान खोजने का आग्रह करते हैं।
गुरुवार को जब खिड़की पर खड़े लोगों की पड़ताल की गई तो, कई तरह की समस्या सामने आया। कुटुंबा प्रखंड के फिरजपुर गांव से पहुंचे ग्रामीण बृजमोहन यादव ने बताया कि 10 दिनों से रिकार्ड रूम का चक्कर काट रहे हैं।
परदादा के नाम जमीन का खतियान खोज रहे ग्रामीण
बृजमोहन ने बताया कि खतियान मेरे परदादा हनुमान गोप के नाम है, जो नहीं मिल रहा है। जमीन पर कब्जा है, लेकिन सर्वे में लगे कर्मी खतियान खोज रहे हैं।
वह बताते हैं कि 19 एकड़ 99 डिसमिल का खतियान खोजने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं। रुपये लेकर खिड़की पर खड़े रहते हैं, परंतु कोई नहीं सुन रहा है।
65 वर्षीय रामप्रवेश यादव बताते हैं कि मेरे दादा हलखोरी गोप के नाम खतियान है। यहां खतियान खोजने के लिए रुपये लिए जा रहे हैं, लेकिन रुपये देने वाले अधिक हैं और खोजने वाले कम हैं, जिस कारण मिल नहीं रहा है। तीन दिनों से औरंगाबाद के रिकार्ड रूप का चक्कर काट रहे हैं।
खिड़की पर खड़े रफीगंज प्रखंड के भटकुर गांव निवासी अमोद कुमार एवं संजीत कुमार ने बताया कि मेरे दादा रघु दास के नाम जमीन है। खतियान खोज रहे हैं तो नहीं मिल रहा है। 10 दिनों से यहां दौड़ रहे हैं। मात्र चार डिसमिल जमीन है। डर लग रहा है कि कहीं जमीन चला न जाए। इसी तरह का समस्या लिए ग्रामीण रिकार्ड रूम के बाहर खड़े रहते हैं।
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