Bihar News: युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा ड्रग तस्करों का नेटवर्क, पुलिस व पब्लिक के बीच भरोसे का है संकट
ब्राउन शुगर का कारोबार और नशाखोरी एक गंभीर समस्या बन गई है। ड्रग्स तस्करों का एक मजबूत नेटवर्क है जो युवाओं को नशे की लत में फंसा रहा है। इस नेटवर्क से उलझने की हिम्मत न तो पीड़ित बच्चे या युवक के अभिभावक कर पाते हैं और न ही आम लोग। पुलिस और जनता के बीच भरोसे का संकट है जिसे दूर करने की जरूरत है।
उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। ब्राउन शुगर के आपूर्तिकर्ता और उसके इस्तेमाल करने वाले का मजबूत नेटवर्क है। यदि आप अपने ही घर के लड़के को ब्राउन शुगर का इस्तेमाल करते हुए पकड़ने का प्रयास करेंगे तो उसके दूसरे सहयोगी और आपूर्तिकर्ता मिलकर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
इनका नेटवर्क ठीक उसी तरह काम करता है जैसे वस्तु बेचने वाली कंपनियों का नेटवर्क है। नेटवर्क कंपनियां एक को अपना ग्राहक बनाते हैं और वह जब दूसरे ग्राहक बनाते हैं, तो उसमें से उनको कमीशन दिया जाता है। ठीक वैसे ही ड्रग्स तस्कर का नेटवर्क काम करता है।
जानकारी के अनुसार, यह खुला स्कीम है कि अगर कोई लड़का या युवा ब्राउन शुगर (बीएस) की तीन पुड़िया की बिक्री करता या कराता है, तो उसे एक पुड़िया मुफ्त में दिया जाएगा। लोभ में बच्चे हों या युवा ग्राहक की तलाश करते हैं, जिस कारण शहर में धीरे-धीरे नशे के शिकार युवकों और बच्चों की संख्या बढ़ती गई।
इस नेटवर्क से उलझने का साहस न पीड़ित बच्चे या युवक का अभिभावक कर पाता है और न आम लोग। शहर में ड्रग्स बेचने और सेवन करने वालों का आतंक कायम हो गया है।
कोई आम व्यक्ति इनसे संबंधित सूचना थाने को नहीं देता। उसके पीछे उनका यह डर भी होता है कि कहीं जिसके संबंध में सूचना दी पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई न कर यह न बता दे कि उसके संबंध में सूचना किसने दी है। यानी पुलिस और पब्लिक के बीच भरोसे का संकट है जिसे दूर करने की जरूरत है।
शहर में मजबूत नेटवर्क के दो उदाहरण
एक व्यक्ति अपने बेटे को ड्रग्स पीने के अड्डे पर जाकर पकड़ने का प्रयास करता है। उसका बेटा तो उसे नहीं मारता लेकिन उसके साथ ड्रग्स पीने और आपूर्ति करने वाले मिलकर उसके साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। किसी तरह वह अभिभावक अपनी जान बचाकर वहां से भागते हैं।
शायद ऐसी ही वजह हैं कि कोई अभिभावक भी अपने संतान को ड्रग्स पीते हुए स्थान पर पकड़ने का जोखिम लेना नहीं चाहता।शहर में ड्रग्स को लेकर प्रेरक शार्ट फिल्म ‘ड्रग्स-द एंड ऑफ लाइफ’ बनाने वाली एक टीम राष्ट्रीय इंटर स्कूल के स्टेडियम में शूटिंग के लिए गई। वहां भी ड्रग्स पीने वाले मारपीट पर उतारू हो गए।संयोग से फिल्मी कलाकारों की टीम के एक व्यक्ति का एक शिष्य भी ड्रग्स का शिकार था जिसने पहचान लिया और मारपीट रोक दिया, अन्यथा मारपीट की बड़ी घटना हो सकती थी।
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