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Bihar Land News: रजिस्ट्री के नए नियमों का पड़ रहा बुरा असर... जमीन न बिकने से टूट रही बेटियों की शादी

बिहार में 23 फरवरी को बिना जमाबंदी जमीन न बेचने का कानून लागू हुआ था और इसका दुष्प्रभाव यह देखने को मिल रहा है कि दर्जनों रोजाना ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब जमीन न बेचने के कारण पिता अपनी पुत्रियों की शादी नहीं कर पा रहे हैं और कुछ की तो तय शादी टूट गई। इसके अलावा निबंधन कार्यालय में पहले के मुकाबले अब सन्नाटा पसरा रहता है।

By UPENDRA KASHYAP Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 11 Mar 2024 05:32 PM (IST)
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बिहार में जमीन न बिकने से टूट रही बेटियों की शादी (फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। Bihar Land News: 23 फरवरी से बिहार में बिना जमाबंदी जमीन न बेचने का कानून लागू हुआ और इसका दुष्प्रभाव दिखने लगा है और निबंधन कार्यालय में भीड़ की जगह सन्नाटा है।

अंचल कार्यालय में भीड़ बढ़ गई है। दर्जनों मामले ऐसे सामने आ रहे जब जमीन न बेचने के कारण पिता अपनी पुत्री की शादी नहीं कर पा रहे हैं और कुछ की तो तय शादी टूट गई।

लोगों को अर्थिक तंगी का करना पड़ रहा है सामना

निबंधन कार्यालय से जुड़े वसीका नवीस, स्टांप भेंडर, होटल और निबंधन कार्यालय आने जाने वाले ई या ऑटो रिक्शा का धंधा मंदा पड़ गया है। सभी की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है। आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

पूरे प्रकरण की सोमवार को निबंधन कार्यालय खुलने के साथ ही दैनिक जागरण के इस संवाददाता ने आन स्पाट पड़ताल की तो कई तरह के मामले सामने आए।

एक स्टांप भेंडर ने ये बताया 

एक स्टांप भेंडर ने बताया कि उनके पास अभी एक पिता व पुत्र आए। वे पुत्री के विवाह को लेकर परेशान थे। जमीन किसी तरह बेचने का उपाय पूछ रहे थे। बताया कि पिता के नाम जमीन है और वे स्वर्गवास कर गए।

संतान के नाम पर जमाबंदी नहीं हुई। बेटी की शादी के लिए जमीन बेचने आए तब पता चला कि जमीन बिना जमाबंदी के नहीं बेच सकते हैं। ऐसे मामले में जमाबंदी कराने में लगभग पांच से छह महीने का वक्त लग जाता है।

बेटी की शादी करने में हो रही परेशानी

आपसी बंटवारा के बाद, मृत्यु प्रमाण पत्र, वंशावली के साथ ऑनलाइन करना है। ऐसे में कैसे होगी बेटी की शादी। यहां लोगों ने बताया कि सरकार को समय देना चाहिए था। सर्वे कराना चाहिए था। दस्तावेज दुरुस्त करने के बाद नियम लागू करना चाहिए था।

लोग अपना दस्तावेज पूर्ण करा लेता। सीओ के पास लोग डिमांड बनवाने जा रहे हैं तो सुना नहीं जा रहा है। नियम लागू होने के पहले की बिक्री के लिए अब सहमति पत्र मांगा जा रहा है। एक साल समय देना चाहिए था।

60-70 की जगह अब तीन चार निबंधन

वसीका नवीस संघ के अध्यक्ष राम सिंहासन सिंह ने बताया कि क्रेता-विक्रेता की संख्या घट गई है। प्रतिदिन लगभग 60 से 70 निबंधन होते थे। अभी तीन चार हो रहा है। आर्थिक स्थिति सबकी खराब हो गई है।

वसीका नवीसों की आय बंद हो गई है। पूरा जन जीवन प्रभावित हो रहा है। यहां 68 वसीका नवीस हैं, जिनका अर्थोपार्जन कम हो गया है। आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है।

नियम सही, नहीं होगा अब विवाद

अपने काम से आए ग्रामीण जितेंद्र सिंह ने बताया कि जमाबंदी वाले नियम लागू होने से कई समस्या समाप्त हो जाएगी। जमीन खरीदने के बाद दाखिल खारिज में कोई समस्या नहीं रह जाएगी। जमाबंदी जिसके नाम से है वही विक्रेता होगा।

इससे भूमि विवाद समाप्त हो जाएगा। हिस्सेदारी की समस्या नहीं रहेगी। यह नियम एकदम सही है। लोगों को अभी भले परेशानी हो रही है लेकिन भविष्य में वह बिना विवाद शांति से रह सकेगा।

अधिक राजस्व वसूली को किया जाता है तंग

अग्नि गांव की सियामनी देवी खेतिहर जमीन सवा बीस डिसमिल खरीदना चाहती हैं। निबंधन कार्यालय का कहना है कि आवासीय मूल्य पर निबंधन होगा। आवासीय मूल्य आठ लाख दस हजार हो रहा है। उसमें 25 प्रतिशत बढाने की बात कही जा रही है। 37 हजार न्यूनतम कर अधिक देना होगा।

25 प्रतिशत बढ़ गया तो और अधिक देना होगा। 52,640 अधिक कर देना होगा। क्रेता परेशान है। एक दिन क्रेता-विक्रेता इसी कारण वापस लौट गए। हालांकि बाद में बताया कि खेतिहर मानकर ही निबंधन हुआ।

समाधान के लिए लगाना चाहिए शिविर

अधिवक्ता सतीश कुमार कहते हैं कि समाधान करने के लिए अंचल में शिविर लगाकर जमाबंदी करना चाहिए था। हलका या पंचायतवार शिविर लगाकर सबका जमीनी दस्तावेज दुरुस्त कराना चाहिए था। जो स्थिति बन गई है उससे काफी बेटियों का विवाह रुक जाएगा या रद हो जाएगा। कोई बिना जमीन निबंधन कराए अब रुपये नहीं देगा।

आदेश का किया जा रहा अनुपालन

अवर निबंधन पदाधिकारी अमित प्रकाश ने कहा कि नए नियम लागू होने से भूमि विवाद की समस्याएं समाप्त हो जाएगी। जो आदेश है उस पर काम किया जा रहा है। यदि सरकार का कोई निर्देश आता है तो उसका अनुपालन किया जाएगा।

प्रतिदिन करीब 9.30 लाख का राजस्व घाटा

दाउदनगर निबंधन कार्यालय को नए नियम के कारण प्रतिदिन करीब 9.30 लाख रुपये से अधिक का घाटा हो रहा है। कार्यालय के अनुसार एक से 21 फरवरी तक 602 दस्तावेज का निबंधन किया गया। जिससे 2,90,25,036 रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई।

मतलब प्रतिदिन 13,82,144 रुपये की प्राप्ति हुई। दूसरी तरफ 22 फरवरी से 10 मार्च के 17 दिन में मात्र 74 निबंधन हुआ। जिससे 7,72,303 रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई। अर्थात प्रतिदिन मात्र 4,53,076 रुपये की प्राप्ति हुई। इस तरह निबंधन कार्यालय को प्रतिदिन औसतन 9,29,068 रुपये का राजस्व घाटा हो रहा है।

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