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अनावृष्टि से कुटुंबा प्रखंड के किसानों का कांप रहा कलेजा

अनावृष्टि से कुटुंबा प्रखंड के किसानों का कांप रहा कलेजा

By JagranEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 04:02 AM (IST)
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अनावृष्टि से कुटुंबा प्रखंड के किसानों का कांप रहा कलेजा

अनावृष्टि से कुटुंबा प्रखंड के किसानों का कांप रहा कलेजा

संवाद सूत्र, अंबा (औरंगाबाद) : जिले का दक्षिणी पठारी क्षेत्र में इस वर्ष अनावृष्टि के कारण किसानों का कलेजा कांप रहा है। अनावृष्टि से उत्पन्न समस्याओं में केवल फसल की उपज हीं प्रभावित होगा बल्कि वर्ष 2023 में पेयजल की गंभीर संकट उत्पन्न होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। मौसम पर आधारित कृषि प्रखंड के किसान के लिए जुआ है। जुआ में किसान वर्षा की आस में किसी तरह धान तो लगा देते हैं पर अंत में प्रकृति उसे धोखा दे देती है। वर्तमान समय में इसका ताजा उदाहरण है कुटुंबा के विभिन्न गांव का बधार। जून से अब तक मौसम विपरीत रहा है। बारिश न होने से किसानों की खेती अधर में लटकी है। सुखाड़ का क्रूर चेहरा को देख किसान की हलक सूख रहा है। किसान चिंति हैं। वर्षा न होने से धान की रोपाई संभव नहीं हुई है। किसानों का वर्षा उपरांत सिंचाई सुलभ कराने वाला उत्तर कोयल नहर शोभा की वस्तु बना है। हड़ियाही सिंचाई परियोजना राजनीतिज्ञों के लिए एक मुद्दा बन गया है। अधिकतर कुआं तालाब व नदियां सूख गया है। सिंचाई के अभाव में मंगलवार तक बधार में रोपाई की गई धान की फसल सूख रही है। इधर दो दिनों से वर्षा होने पर कुछ भूमि भाग में लगा धान का फसल डूब गया है। इसका नजारा सुल्तानपुर सुही व रामपुर गांव में दिखा। जिले के दक्षिणी क्षेत्र के हर खेत में पानी नहीं है। सरकारी स्तर पर बड़े-बड़े वादे किए जाते रहें हैं पर सारी घोषणाएं हवा हवाई साबित हुई है। वर्षा जब कृषि सुखाने समय चूक पुनि का पछताने वाला कहावत वर्तमान में चरितार्थ हो रहा है। अब धान रोपाई का समय समाप्त हो गया है। बिचड़े 70 से 80 दिनों के उपर का हो गया है। अधिकांश क्षेत्र में धान के अलावे अरहर मूंगफली तिल मक्का से लेकर खरीफ सब्जी की खेती नहीं हुई है। इधर रूठे हुए इंद्र दो दिन से मेहरबान हुए हैं। अभी भी पूरा बधार परती पड़ी हुई है। रोपे गए धान की फसल जल रहा था इसका नजारा कुटुंबा प्रखंड के सुही दुधमी रामपुर व सुल्तानपुर गांव में देखने मिल रहा है। उक्त गांवो में धान की फसल सूख रही थी। इधर दो दिनों से पूरा का पूरा फसल पानी से डूबा हुआ है। स्थानीय कृषक शिवनाथ पांडेय, अंबिा पांडेय, रामप्रवेश सिंह व सुदर्शन सिंह तथा किसान संघर्ष समिति के प्रखंड अध्यक्ष अजीत कुमार ने बताया कि फसल लगाने का समय में जीव जंतु तपती लू से परेशान थे। अब जब पानी की जरूरत नहीं हैं तो प्रखंड क्षेत्र में बारिश हुई है।

क्या बताते हैं वैज्ञानिक

प्रधान वैज्ञानिक डा. नित्यानंद कहते हैं किसानों द्वारा जिन खेतों में धान का फसल लगाया गया है व सिंचाई के बिना सूख गया है उसमें 40 प्रतिशत से अधिक उपज प्रभावित हो सकता। वहीं मौसम के अत्यधिक तापमान में डूबा हुआ धान का फसल नष्ट हो सकता है। अगर एक दो दिनों के अंदर खेत से पानी निकाल दिया जाएगा तो कोई खास नुकसान नहीं होगा।

क्या कहते हैं डीएओ

जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि आच्छादन व नष्ट हुए फसल का जीपीएस के तहत फोटो लेने के लिए को-ऑर्डिनेटर व सलाहकार को निर्देश दिया गया है। फसल की क्षति पूर्ति के लिए सरकार को लिखा जाएगा। बताया कि किसानों के दर्द सुनने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।

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