'लालू यादव की नीतीश से आरक्षण के मुद्दे पर बात करने की नहीं हुई हिम्मत', अपनी ही सरकार के विरोध में बोले RJD MLC
आम तौर पर ऐसा नहीं होता है कि सत्तारुढ़ दल का कोई विधान पार्षद सत्ता के खिलाफ बयान बाजी करे। लेकिन रविवार को यहां एक होटल में चंद्रवंशी चेतना मंच द्वारा आयोजित जातिगत सर्वेक्षण और अतिपिछड़ा वर्ग की स्थिति पर आयोजित सेमिनार में विधान परिषद सदस्य प्रो. रामबली सिंह ने कर्पूरी चर्चा और आरक्षण की राजनीति पर खुलकर विचार रखे।
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आम तौर पर ऐसा नहीं होता है कि सत्तारुढ़ दल का कोई विधान पार्षद सत्ता के खिलाफ बयान बाजी करे। लेकिन रविवार को यहां एक होटल में चंद्रवंशी चेतना मंच द्वारा आयोजित जातिगत सर्वेक्षण और अतिपिछड़ा वर्ग की स्थिति पर आयोजित सेमिनार में विधान परिषद सदस्य प्रो. रामबली सिंह ने कर्पूरी चर्चा और आरक्षण की राजनीति पर खुलकर विचार रखे।
उन्होंने जनता से यह पूछा भी क्या सत्तारूढ़ दल का व्यक्ति इस तरह से बात करता है। हम तो सत्ता से सड़क तक और फिर न्यायालय तक आरक्षण के मुद्दे को लेकर गए हैं। मगध सम्राट जरासंध जयंती समारोह में सेमिनार का आयोजन किया गया था।
उन्होंने कहा कि कपूरी चर्चा के बहाने नीतीश की चर्चा हो रही है। कर्पूरी की मंशा पूरी नहीं हो रही है। तीन जातियों को अतिपिछड़ा में घुसा दिया गया। जब इस मुद्दे को लेकर वह लालू प्रसाद यादव के पास गए तो उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे नीतीश कुमार से बात करें।
BJP नहीं, लालू-नीतीश पिछड़ों का हक मार रहे: राजद एमएलसी
उन्होंने इस मुद्दे पर तब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से बात की और उन्होंने कहा कि कैबिनेट के एजेंडे में यह प्रस्ताव शामिल कर लिया गया है और अब इसे सिर्फ नीतीश कुमार ही रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ों का हक कौन मार रहा है।
भाजपा नहीं, बल्कि लालू और नीतीश कुमार हैं, जो पिछड़ों का हक मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर हाईकोर्ट गए। बाद में लालू प्रसाद यादव की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट गए हैं।
उन्होंने कहा कि रोहिणी आयोग की रिपोर्ट बीते कई महीने से पड़ी है, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार उसकी अनुशंसा लागू करना तो छोड़िए रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है।
अरविंद निषाद, गया नगर विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन के प्रत्याशी रहे प्रिय रंजन उर्फ डिंपल चंद्रवंशी, मुखिया प्रदीप चंद्रवंशी, प्रीतम सिंह ने संबोधित किया। संचालन कपिलेश्वर विद्यार्थी ने की।
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