औरंगाबाद में जान बचाने वाला विभाग ही बना मरीजों का दुश्मन, सरकारी अस्पतालों में नर्स व आपरेटर बांट रहे दवा
बगैर फार्मासिस्ट के सरकारी अस्पतालों में दवा वितरण काउंटर से मरीजों को दवाएं दी जा रही हैं। जबकि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट के 82 पद स्वीकृत हैं। इनमें महज 21 कार्यरत हैं। इन 22 फार्मासिस्टों में कई जल्द ही सेवानिवृत्त भी होने वाले हैं।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति चरमरा गई है। बगैर फार्मासिस्ट के सरकारी अस्पतालों में दवा वितरण काउंटर से मरीजों को दवाएं दी जा रही हैं। जबकि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट के 82 पद स्वीकृत हैं। इनमें महज 21 कार्यरत हैं। इन 22 फार्मासिस्टों में कई जल्द ही सेवानिवृत्त भी होने वाले हैं। अब भी 61 पद वर्षों से खाली हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतने पद खाली रहने के बावजूद मरीजों को दवाइयां कैसे बांटी जा रही है।
औषधी विभाग नहीं करती कार्रवाई
जिले में औषधी विभाग मृतप्राय है। यहां के अधिकारियों को दवाखाना की जांच से कोई मतलब नहीं है। अगर जांच करते भी हैं तो कोई कार्रवाई नहीं करते। फाइल जांच के दायरे में ही दब कर दम तोड़ देती है। इसका उदाहरण सरकारी अस्पताल का दवाखाना है। इन अस्पतालों में फार्मासिस्ट नहीं होने के कारण नर्स एवं कंप्यूटर आपरेटर के द्वारा दवा बांटी जाती है इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। अगर कार्रवाई की गई होती तो साक्ष्य सामने दिखता। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी विभाग का ये हाल है तो निजी दवाखाना का क्या हस्र होगा।
61 पद है फार्मासिस्ट के खाली
जिले में फार्मासिस्ट के 61 पद खाली पड़े हैं। सदर अस्पताल में छोड़कर सभी जगह पद खाली है। हालांकि सदर अस्पताल में दो फार्मासिस्ट से काम नहीं चलने वाला है। सदर प्रखंड में चार पर स्वीकृत है परंतु कार्यरत एक भी नहीं है। बारुण में छह पद स्वीकृत है परंतु कार्यरत एक भी नहीं हैं। नवीनगर में 11 की जगह दो, कुटुंबा में 11 की जगह दो, देव में नौ की जगह तीन, रफीगंज में छह की जगह दो, गोह में छह की जगह तीन, हसपुरा में छह की जगह तीन, ओबरा में सात की जगह एक, मदनपुर में छह की जगह एक एवं दाउदनगर अनुमंडल में पांच की जगह तीन फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। दाउदनगर प्रखंड में तीन पद स्वीकृत हैं परंतु एक भी कार्यरत नहीं हैं।
फार्मासिस्ट की पढ़ाई कर चुके छात्र प्रकाश यादव, ज्ञान प्रकाश, सौरभ कुमार, नीतू कुमारी, आलोक रंजन, गूंजन वर्मा ने बताया कि हम सभी पढ़ाई करने के बावजूद भी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
औरंगाबाद के सिविल सर्जन डा. कुमार वीरेंद्र प्रसाद ने bat
सरकारी अस्पतालों में पद खाली पड़े हैं इसके बावजूद भी सरकार बहाली नहीं कर रही।विभाग को फार्मासिस्ट बहाल करने के लिए पत्र लिखा गया है। फार्मासिस्ट नहीं होने से परेशानी हो रहा है। हालांकि मरीजों को कोई दिक्कत न हो इसका ख्याल रखा जा रहा है।