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Karakat Lok Sabha Result 2024: पावर स्टार पवन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को दिया ऐसा झटका, अपने नाम कर गए ये बड़ा रिकॉर्ड

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections Result 2024) में कई दिग्गज अपनी साख बचाने में नाकामयाब रहे है। ऐसा ही एक नाम बिहार के काराकाट (Karakat Lok Sabha Elections Result 2024) से चुनाव लड़ने वाले रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) का है। उपेंद्र ना सिर्फ चुनाव हारे बल्कि वे तीसने स्थान पर चले गए है। इसी के साथ उन्होंने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज किया है।

By UPENDRA KASHYAP Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 07 Jun 2024 08:34 PM (IST)
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उपेंद्र कुशवाहा से पहले किसी ने भी तीसरे स्थान पर आकर नहीं बचाई थी जमानत।

संवाद सूत्र, दाउदनगर (औरंगाबाद)। एनडीए समर्थित रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव ही नहीं हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर चले गए और इसके साथ ही उन्होंने एक नया रिकार्ड बना दिया।

काराकाट लोकसभा क्षेत्र में हुए बीते तीन चुनाव 2009, 2014 और 2019 में तीसरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति की जमानत नहीं बची थी। उनकी कोशिशों का नतीजा इसे कहा जा सकता है।

वर्ष 2009 में जब महाबली सिंह जीते थे, तब डॉ. कांति सिंह राजद की प्रत्याशी थीं और दूसरे स्थान पर रही थीं। इनके अतिरिक्त चुनाव में शामिल सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

2014 में जब राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से प्रत्याशी बने उपेंद्र कुशवाहा तो उन्हें भाजपा का समर्थन हासिल था। वह चुनाव जीत गए। दूसरे स्थान पर डॉ. कांति सिंह रही जो राजद की प्रत्याशी थी। तीसरे स्थान पर रहे महाबली सिंह जो जदयू के प्रत्याशी थे। लेकिन वह जमानत बचाने में भी सफल नहीं रहे थे।

2019 का जब लोकसभा चुनाव हुआ तो फिर भाजपा व जदयू से महाबली सिंह प्रत्याशी बने और चुनाव जीत गए। तब उपेंद्र कुशवाहा राजद व कांग्रेस के समर्थन से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और हार गए। इन दोनों प्रत्याशियों के अलावा अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

यह पहला मौका है जब काराकाट के मतदाताओं ने उपविजेता के साथ तीसरा स्थान पर रहने वाले को सम्मान दिया, वरना हर बार तीसरे से लेकर अंतिम प्रत्याशी तक की जमानत जब्त होते रही है।

जमानत बचाने में क्यों मिली कामयाबी?

चुनाव परिणाम के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा तीसरे पायदान पर हैं। हालांकि संभावना यही व्यक्त की जा रही थी कि अंत-अंत तक चाहे नाराजगी का स्तर जितना भी हो, उनका राजाराम सिंह से सीधा मुकाबला होगा और पवन सिंह तीसरा कोण बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पवन सिंह दूसरे स्थान पर आ गए।

दरअसल, पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को लगभग एक समान वोट मिला और इसीलिए यह स्थिति रही कि उनकी जमानत बच सकी। अगर दोनों का वोट जोड़ दें तो फिर राजाराम सिंह कहीं नहीं टिकते।

चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि उपेंद्र कुशवाहा को हराने के लिए ही पवन सिंह आए थे। हालांकि, पवन सिंह के समर्थक यही कह रहे हैं कि चुनाव जीतने आए थे, इसीलिए दूसरे स्थान पर रहे।

जातियों को साधने का किया प्रयास

उपेंद्र कुशवाहा ने नाराजगी दूर करने के लिए हर जाति को साधने का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। यही वजह थी कि पीएम नरेंद्र मोदी आए।

राजपूतों को मनाने के लिए एक दिन में दो स्थान पर राजनाथ सिंह को उतरना पड़ा। वैश्यों को मनाने के लिए संजय जायसवाल को हसपुरा में उतरना पड़ा।

दाउदनगर में अमित शाह को बुलाया गया। लवली आनंद उतरीं। हर स्तर पर यह कोशिश की गई कि हर जाति को मना लिया जाए लेकिन जातिवाद के आरोप के कारण ही उपजी यह नाराजगी उनके हर प्रयास और मोदी नाम पर निर्भरता को समाप्त न कर सकी।

हार कर भी जीत गया पहला सेलिब्रिटी

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद काराकाट लोकसभा क्षेत्र वजूद में आया। तब से लेकर अब तक तीन लोकसभा चुनाव वर्ष 2009, 2014 व 2019 में हो चुका है। यह चौथा चुनाव है।

अभी तक जितने प्रत्याशी यहां से चुनाव मैदान में उतरे हैं, उसमें सेलिब्रिटीज कभी नहीं आए थे। पवन सिंह पहले सेलिब्रेटी प्रत्याशी बन धामाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है।

वे उपेंद्र कुशवाहा की जीत को रोकने में नहीं, अपितु उपविजेता बनने में सफल रहे। अब काराकाट के मतदाता उनको दूसरे नजरिये से देखते और चर्चा करते हैं।

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