Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Banka Election News: चार महिलाएं छह बार बन चुकीं बांका की सांसद, पढ़िए सभी सांसदों की लिस्ट यहां

Banka News एक तिहाई महिला आरक्षण का बिल संसद में अब पारित हुआ है। जमीन पर उतारने में इसे अभी और वक्त लगेगा। लेकिन आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े बांका की जनता ने संसदीय सीट गठन के साथ ही आधी आबादी को आगे बढ़ाने में अगड़ा बना रहा है। 1952 के चुनाव में ही बांका की जनता ने बंगाल की सुषमा सेन को अपना पहला सांसद चुन लिया।

By Rahul Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sat, 30 Mar 2024 04:59 PM (IST)
Hero Image
बांका में 2010 में सांसद बनीं पुतुल कुमारी (जागरण)

राहुल कुमार, जागरण संवाददाता, बांका। Banka News Today: एक तिहाई महिला आरक्षण का बिल संसद में अब पारित हुआ है। जमीन पर उतारने में इसे अभी और वक्त लगेगा। लेकिन आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े बांका की जनता ने संसदीय सीट गठन के साथ ही आधी आबादी को आगे बढ़ाने में अगड़ा बना रहा है।

आश्चर्य यह कि 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में ही बांका की जनता ने बंगाल की सुषमा सेन को अपना पहला सांसद चुन लिया। इस चुनाव मैदान में कई राजनीतिक दिग्गज थे, कई पुरूष चेहरे भी थे। पर जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी सुषमा सेन पर ही भरोसा जताया। दूसरे लोकसभा चुनाव में भी शकुंतला देवी नाम की महिला को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतरा।

इस चुनाव में भी मुख्य मुकाबले के साथ अन्य कई पुरूष प्रत्याशी थे। सभी को हार का मुंह देखना पड़ा और शकुंतला देवी बांका की दूसरी सांसद बनीं। कांग्रेस तीसरे लोकसभा चुनाव में भी शकुंतला देवी पर भरोसा जताकर मैदान में उतरा।

शकुंतला इस चुनाव में 55 प्रतिशत से अधिक वोट लाकर जीतने में सफल रही। हालांकि 1967 में संपन्न चौथे लोकसभा चुनाव शकुंतला देवी को हार का सामना करना पड़ गया। यानी, बांका की जनता ने 1952 से लगातार 15 साल अपना प्रतिनिधित्व आधी आबादी के हाथ सौंपे रखा।

फिर करीब 15 साल ब्रेक के बाद 1984 के लोकसभा उपचुनाव में फिर बाजी पलटी। तत्कालीन सांसद चंद्रशेखर सिंह के मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा। खाली हुई सीट पर उपचुनाव में उनकी पत्नी मनोरमा सिंह बांका की तीसरी महिला सांसद बनीं। दो साल बाद 1986 में चंद्रशेखर सिंह के निधन पर खाली हुई लोकसभा सीट पर उन्हें लोकसभा फिर लड़ने का का मौका मिला। और मनोरमा सिंह दो बार चुनाव जीतने वाली बांका की दूसरी महिला सांसद बनीं।

फिर दो दशक तक कोई महिला सांसद का चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सकी। 2010 में तत्कालीन सांसद दिग्विजय सिंह के निधन पर खाली हुई सीट उनकी पत्नी पुतुल कुमारी को फिर उपचुनाव में उतरना पड़ा। वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत कर बांका की चौथी महिला सांसद बनीं। वह चार साल तक सांसद रहीं। इसके बाद वह दो बार लोकसभा चुनाव लड़ी पर जीत नहीं सकीं।

इसमें एक बार वह भाजपा प्रत्याशी और दूसरी बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव हारीं। इन चार महिला नेत्री ने छह बार बांका का प्रतिनिधित्व किया। इस छह चुनाव जीतने के अलावा भी अधिकांश चुनाव में बांका सीट पर कई महिला चेहरा चुनाव लड़ता रहा। भले ही इस चार के अलावा किसी को जीत नहीं मिली।

काफी समय बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई महिला प्रत्याशी उतरता नहीं दिख रहा है।  

कब किसके सिर सजा जीत का ताज

 1952- सुषमा सेन-कांग्रेस

  1957- शकुंतला देवी-कांग्रेस

1962- शकुंतला देवी-कांग्रेस

1984- मनोरमा सिंह-कांग्रेस

1986- मनोरमा सिंह-कांग्रेस

2010-पुतुल कुमारी-निर्दलीय

यह भी पढ़ें

Shambhavi Choudhary: कितनी पढ़ी-लिखी हैं अशोक चौधरी की बेटी शांभवी? जानिए इनकी क्वालिफिकेशन; इस पद पर हैं तैनात

Bihar Politics: 'कोई मुंह फुलाए हुए है तो इसमें...', फिर क्यों नाराज हुए जीतन राम मांझी? सुना दी जमकर खरी-खोटी

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें