Bihar Land Registry Revenue: जमीन रजिस्ट्री के नए नियमों से करोड़ों का घाटा, निबंधन में भारी गिरावट
राजस्व वसूली में अभी भी गिरावट का दौर जारी है। सोमवार से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हुई लेकिन राजस्व वसूली में कोई सुधार नहीं हुआ। जिला उप निबंधन पदाधिकारी वैद्यनाथ सिंह ने बताया कि 2023-23 में बांका रजिस्ट्री कार्यालय के लिए 58.73 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था इसमें से 44.75 करोड़ रुपए राजस्व की वसूली हुई।
संवाद सूत्र, बांका। जमीन की खरीद-बिक्री में जमाबंदी की अनिवार्यता की शर्त का नियम लागू होने के बाद निबंधन में भारी गिरावट आई है। इसका असर सीधे राजस्व वसूली पर पड़ा है। रविवार को वित्तीय वर्ष का आखिरी दिन था। वित्तीय वर्ष 2023-23 में 89.56 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लक्ष्य से करीब 22 करोड़ रुपए कम राजस्व की वसूली हुई।
राजस्व वसूली में अभी भी गिरावट का दौर जारी है। सोमवार से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हुई, लेकिन राजस्व वसूली में कोई सुधार नहीं हुआ। जिला उप निबंधन पदाधिकारी वैद्यनाथ सिंह ने बताया कि 2023-23 में बांका रजिस्ट्री कार्यालय के लिए 58.73 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था, इसमें से 44.75 करोड़ रुपए राजस्व की वसूली हुई।
इसी तरह अमरपुर रजिस्ट्री कार्यालय के लिए 29.83 करोड़ रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था, इसमें से 22.59 करोड़ राजस्व वसूली हो पाई है। सोमवार को नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन गिनती के लोग जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहुंचे थे। रजिस्ट्री के नए नियम लागू होने के बाद से ही यह स्थिति बनी हुई है।
पहले बांका रजिस्ट्री कार्यालय में औसतन हर रोज 70 से 80 जमीन की रजिस्ट्री होती थी, लेकिन अभी 10 से 12 रजिस्ट्री हो रही है। अमरपुर कार्यालय में भी औसतन 50 जमीन की रजिस्ट्री हर रोज होती थी, लेकिन वहां आंकड़ा 10 से नीचे पहुंच गया है।
जमाबंदी रहने पर ही बेच सकते हैं जमीन
पहले लोग अपनी पुश्तैनी जमीन की खरीद-बिक्री बिना खुद के नाम जमाबंदी कराए कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब वही व्यक्ति जमीन की बिक्री कर सकता है, जिनके नाम जमाबंदी है। ऐसे में लोग अब जमीन बिक्री से पहले जमीन की जमाबंदी करा रहे हैं।कई कातिबों ने बताया कि कुछ लोग जिनके नाम पर जमीन है, वे रजिस्ट्री के लिए आ रहे हैं। नया नियम लागू होने से एक ओर जहां राजस्व का ग्राफ करीब 70 फीसद तक गिर गया तो वहीं, दूसरी ओर कातिबों का कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो गया है। ग्राहकों के इंतजार में कातिब पूरे दिन आस लगाए बैठे रहते हैं, लेकिन इसके बाद भी शाम को निराश अपने घर जाना पड़ता है।
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