Move to Jagran APP

Child Labour: बिहार में नहीं थम रहा बाल श्रम, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े; अब होटल और फैक्ट्रियों पर पैनी नजर

बाल श्रम की रोकथाम के लिए सरकार ने जिला स्तर पर धावा दल का गठन किया है। इस साल 32 से अधिक बाल श्रमिक मुक्त कराए गए हैं। मुक्त कराए गए बच्चों को तीन हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। उन्हें शिक्षा से जोड़ने के लिए प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन कर एमडीएम समेत अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।

By Shudhanshu Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 19 Nov 2024 04:18 PM (IST)
Hero Image
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
संवाद सूत्र, बांका। बाल श्रम की रोकथाम के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। जिला स्तर पर भी धावा दल का गठन कर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे चौकाने वाले हैं। जिले में इस साल अब तक 32 से अधिक बाल श्रमिक मुक्त कराए जा चुके हैं।

औसतन हर महीने होटल, ढाबों, दुकानों पर छापेमारी कर तीन से चार बाल श्रमिक मुक्त कराए जा रहे हैं। धावा दल लगातार छापेमारी कर रही है ताकि ऐसे बच्चों को मुक्त कराकर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जा सके। इसके बावजूद बाल श्रम थम नहीं रहा है।

लेबर इंस्पेक्टर राम दास ने बताया कि जिन बच्चों को मुक्त कराया जाता है, उनके पुनर्वास को लेकर भी तुरंत पहल की जाती है। पहले उन्हें तुरंत तीन हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इसके बाद पांच हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। इसके बाद उन्हें 25 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है।

इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा जाता है। इस साल जितने भी बच्चे बाल श्रम से मुक्त कराए गए हैं। उन्हें तीन और पांच हजार की सहायता राशि तो दे दी गई है।

इसके अलावा करीब सात बच्चों को 25 हजार रुपये की भी आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। शेष बच्चों को भी सहायता राशि दी जाएगी। विभाग से आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। आवंटन मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।

मजबूरी का उठा रहे फायदा

दरअसल, शहर के लेकर गांव तक कई जगहों पर छोटे-छोटे बच्चों से काम कराया जा रहा है। बच्चों से काम कराना गैर कानूनी है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक हालातों के कारण छोटे बच्चे काम करने को विवश हैं।

घरों से लेकर होटलों व चाय-नाश्ता की अस्थायी दुकानों से लेकर गैराजों तक में बच्चों से काम लिया जाता है। लेकिन लगातार हो रही कार्रवाई का असर भी अब दिखने लगा है। अब ऐसे होटल और फैक्ट्रियों पर भी नजर रखी जा रही है। सूचना मिलते ही धावा दल एक्टिव हो जाता है और कार्रवाई की जाती है।

शिक्षा से जोड़े जा रहे बच्चे

बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को शिक्षा से भी जोड़ा जा रहा है। बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन कर एमडीएम समेत अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। साथ ही छोटे-छोटे बच्चों से काम लेने वाले होटल मालिक, गैराज मालिक या फिर अन्य प्रतिष्ठानों के मालिकों पर भी कार्रवाई की जा रही है। -

बाल श्रम की रोकथाम के लिए लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। हर महीने तीन से चार बच्चे औसतन मुक्त कराए जा रहे हैं। इस साल अब तक 32 से अधिक बच्चे मुक्त कराए गए हैं। -राम दास, लेबर इंस्पेक्टर

यह भी पढ़ें-

Bihar Teachers: बिहार में शिक्षकों को राहत, टीचर ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति पर लगी रोक; शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी

'पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग में खेल होता था...', बैठक में बोले नीतीश के मंत्री; अधिकारियों को दी चेतावनी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।