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Bihar: बांका में Gold समेत कीमती खनिजों की तलाश में जुटी GSI टीम, अंग्रेज छोड़ गए थे निशान

Bihar News अंग्रेजों के जमाने में ही सोने की खोज के लिए जमीन की खुदाई की गई थी। जिसके लैंड मार्क के आधार पर भू वैज्ञानिकों ने अन्वेषण का काम शुरू किया है। यहां अंग्रेजों ने पत्थर और मिट्टी को काट कर बड़ा गड्ढा किया था।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 15 May 2023 12:23 PM (IST)
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GSI टीम ने बांका में सोने और दूसरे कीमती खनिजों की तलाश की शुरू।
जागरण संवाददाता, बांका: जिले के कटोरिया प्रखंड के जयपुर क्षेत्र की पहाड़ी बंजर भूमि पर सोना और कई खास पदार्थ मिलने की संभावना को लेकर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की टीम यहां पहुंची है। टीम यहां सर्वेक्षण करेगी।

यहां के लकरामा पंचायत के चंदे पट्टी गांव में काम शुरू किया गया है। जमीन के अंदर मौजूद कीमती खनिज का पता लगाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों को लगाया गया है। 

अंग्रेज भी तलाश रहे थे सोना

स्थानीय लोगों ने बताया कि अंग्रेज के जमाने में ही सोने की खोज के लिए जमीन की खुदाई की गई थी। जिसके लैंड मार्क के आधार पर भू वैज्ञानिकों ने वहां अन्वेषण का काम शुरू किया है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यहां अंग्रेजों ने पत्थर और मिट्टी को काट कर बड़ा गड्ढा किया था।

सूत्रों के मुताबिक कटोरिया क्षेत्र के बाघमारी पंचायत में कुल चार प्वॉइंट चिन्हित कर मशीन से ड्रिल किया जाएगा। फिलहाल चंदेरी पट्टी गांव निवासी मेघलाल यादव की जमीन पर अन्वेषण कार्य प्रारंभ किया गया है।

इस संबंध में जिला खनन पदाधिकारी कुमार रंजन ने बताया कि दिल्ली से पहुंची टीम जमीन के अंदर ड्रिल करेगी। इसके बाद सैंपल को लैब भेजा जाएगा। वहां कई खनिज पदार्थों के मिलने की संभावना को लेकर सर्वे किया जा रहा है। खुदाई स्थल पर आम लोगों के आवागमन को रोक दिया गया है।

मिल चुका था अभ्रक 

इसके पहले बांका और फुल्लीडुमर क्षेत्र में अभ्रक मिलने पर 1980 में समुखिया मोड़ के पास राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर सिंह के प्रयास से सिरेमिक फैक्ट्री की स्थापना की गई थी।

यहां चीनी मिट्टी से सामान बनाए जाते थे। चन्द्रशेखर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटते ही फैक्ट्री बंद हो गई। अब केवल फैक्ट्री के अवशेष ही बचे हैं।

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