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BPSC Exam: बीपीएससी परीक्षा लगा रही 'शिक्षकों' का बेड़ा पार; महिलाओं को सबसे ज्यादा लाभ, दो दशक से था इंतजार

करीब ढाई दशक बाद बिहार के विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली बीपीएससी कर रहा है। परीक्षा के बाद हाईस्कूल आवेदकों का प्रमाण पत्र वेरिफिकेशन भी पूरा हो गया है। अक्टूबर में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की विद्यालय में तैनाती की जानी है। यह बहाली कई मायनों में ऐतिहासिक बदलाव वाली साबित होने जा रही है। खास तौर पर इससे महिलाओं की जिंदगी में बदलाव होने वाली है।

By Rahul KumarEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 23 Sep 2023 04:37 PM (IST)
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बीपीएससी परीक्षा लगा रही 'शिक्षकों' का बेड़ा पार, महिलाओं को सबसे ज्यादा लाभ
राहुल कुमार, जागरण संवाददाता, बांका: बिहार लोक सेवा आयोग करीब ढाई दशक बाद बिहार के विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली कर रहा है। परीक्षा के बाद इसके हाईस्कूल आवेदकों का प्रमाण पत्र सत्यापन भी बांका में पूरा हो गया है।

अक्टूबर में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की विद्यालय में तैनाती हो जानी है। यह बहाली कई ऐतिहासिक बदलाव वाली साबित होने जा रही है।

खासकर महिला शिक्षिका की इस बहाली से जिंदगी बदलने वाली है। वह शादी बाद अब तक ससुराल नहीं बस सकी है। ससुराल जाने के इंतजार में साल दो साल से लेकर अब 14 साल का वनवास पूरा हो गया।

हालांकि, उसे शादी के बाद भी मायके में ही डेरा डालकर रहना पड़ गया है। ससुराल अतिथि बनकर ही वह दो-चार दिन के लिए पहुंच पाती है। यह उसके लिए किसी वनवास से कम नहीं है।

2008 और 2009 में खूब नौकरियां मिली

दरअसल, बिहार के शिक्षक नियोजन में 2008 और 2009 में खूब नौकरियां मिली। पहली बार 50 प्रतिशत महिला आरक्षण के कारण पढ़ रही लड़कियां खूब शिक्षक बनीं। मौका मिलने पर अपने मायके के आस-पास विद्यालय में ही नौकरी कर ली। नौकरी के बाद शादी किसी दूसरे जिले में हो गई।

लड़की के साथ लड़के वालों को भी भरोसा था कि स्थानांतरण का कोई जुगाड़ लग ही जाएगा, लेकिन मैडम नौकरी के चक्कर में ससुराल नहीं बस सकी। अब कई मैडम का लल्ला भी बड़ा होने लगा है।

इसके बावजूद ससुराल से दूरी सता रही है। बीपीएससी की अध्यापक बहाली में महिलाओं से पसंद का जिला मांगा गया है। यानी इसमें सफल होकर मैडम पहली बार ससुराल जाएगी। इससे अधिकांश विद्यालयों की तस्वीर अगले महीने से बदलने वाली है।

केस स्टडी- एक

आरएमके इंटर स्कूल बांका के शिक्षक राकेश रंजन की पत्नी सुष्मिता परमार अपने मायके जमुई में ही उच्च माध्यमिक शिक्षिका हैं। शादी के समय लगा स्थानांतरण की सुविधा मिलते ही दोनों एक जगह पहुंच जाएंगे।

हालांकि, इसके इंतजार में 10 साल का समय बीत गया। नियोजित शिक्षकों को स्थानांतरण की सुविधा नहीं मिल सकी। दुल्हन अब तक मायके रह रही है। अब बीपीएससी परीक्षा में दोनों क्वालिफाई हैं। उम्मीद है कि रिजल्ट के बाद दोनों एक जगह हो सकेंगे।

केस स्टडी-दो

आरएमके में राजनीति विज्ञान के शिक्षक मरगुब आलम ने जमुई सोनो की माहेरुख से शादी की। मरगुब धोरैया बांका के रहने वाले हैं। माहेरूख सोनो मध्य विद्यालय जमुई में ही शिक्षिका हैं।

स्थानांतरण के इंतजार में आठ साल से अधिक गुजर गया। इस बार दोनों बीपीएससी में क्वालिफाई हैं। अब दोनों को बीपीएससी के नियुक्ति पत्र का इंतजार है ताकि दोनों एक साथ आ सकें।

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केस स्टडी-तीन

बाबूटोला की रहने वाली कृति बौंसी में शिक्षिका है। शिक्षिका बनने के समय उसकी शादी नहीं हुई थी। मुंगेर में शादी हुई, लेकिन वह ससुराल नहीं बस सकी है। मजबूरी में मायके को ही ठिकाना बनाना पड़ा है।

वह बताती हैं कि शादी-विवाह जैसे खास मौके पर ही वह अतिथि की तरह ससुराल में दो चार दिन रह सकी है। अब बीपीएससी परीक्षा से भरोसा है कि वह अपना ससुराल बस सकेगी।

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