बांका में चांदन और ओढ़नी सहित अन्य नदियां अपने साथ बड़ी मात्रा में बालू बहाकर लाती हैं। बालू घाटों से खनन कर इन्हें ट्रक के जरिये विभिन्न जिलों में भेजा जाता है। इसमें परिवहन खर्च तो अधिक होता ही है साथ ही मार्ग सक्रिय अवैध पासिंग गिरोह की वसूली के चलते घाट से गंतव्य तक पहुंचते-पहुंचते बालू की कीमत तीन से चार गुनी तक बढ़ जाती है।
बिजेन्द्र कुमार राजबंधु, बांका। राज्य में बालू की ढुलाई अब मालगाड़ी से भी की जाएगी। इसके लिए मालदा रेल मंडल की टीम ने बांका के खनन विभाग से संपर्क किया है। टीम का कहना है कि भागलपुर से बांका होते हुए दुमका जाने वाली मालगाड़ियां वापसी में खाली रहती हैं। इससे रेलवे को घाटा होता है।
इस घाटे को पाटने के लिए भागलपुर-दुमका रेलमार्ग के रजौन स्थित टेकानी के पास रेलवे यार्ड से मालगाड़ी में बालू लादकर पूर्णिया, खगड़िया और कटिहार आदि जिलों में पहुंचाया जा सकता है। इससे ट्रक के मुकाबले परिवहन में 60 प्रतिशत कम खर्च का अनुमान है।
बांका में चांदन और ओढ़नी सहित अन्य नदियां अपने साथ बड़ी मात्रा में बालू बहाकर लाती हैं। बालू घाटों से खनन कर इन्हें ट्रक के जरिये विभिन्न जिलों में भेजा जाता है। इसमें परिवहन खर्च तो अधिक होता ही है, साथ ही मार्ग सक्रिय अवैध पासिंग गिरोह की वसूली के चलते घाट से गंतव्य तक पहुंचते-पहुंचते बालू की कीमत तीन से चार गुनी तक बढ़ जाती है।
बालू के इस खेल में भ्रष्टाचार इस कदर हावी रहता है कि ओवरलोडिंग आम बात होती है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान तो होता ही है, सड़कें भी समय से पहले जर्जर हो जाती हैं। मालगाड़ी से ढुलाई होने के बाद इस पर अंकुश लगेगा।
बांका नगर परिषद के वार्ड पार्षद विकास चौरसिया का कहना है कि सड़क की तुलना में रेलवे मार्ग से बालू ढुलाई में कम खर्च आएगा। खनन विभाग की मानें तो मुंगेर रेल पुल होकर मालगाड़ी खगड़िया से सहरसा-दौरम मधेपुरा होते हुए पूर्णिया तक जाएगी। बांका के बालू प्वाइंट से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक बालू दूसरे जिलों में भेजी जाती है। यहां एक ट्रक में दस से बारह हजार रुपये कीमत की बालू लोड होती है।
खगड़िया, नवगछिया व पूर्णिया में इसकी कीमत 30 से 40 हजार रुपये हो जाती है। बताते चलें कि विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री के अलावा कोयला, गिट्टी, सीमेंट, छड़ सहित अन्य सामान मालगाड़ियों से भागलपुर से झारखंड राज्य के दुमका सहित अन्य रेलवे स्टेशनों तक पहुंचाया जाता है। एक तरफ से खाली गाड़ी जाने से रेलवे को हो रहे नुकसान को पाटने के लिए मालदा रेलवे डिविजन के भारतीय वाणिज्य इंजीनियरिंग की टीम ने यह योजना बनाई है।
चांदन नदी की बालू की बाजार में अधिक मांग
बांका के चांदन नदी की बालू की डिमांड अधिक है। बेहतर गुणवत्ता के कारण इसकी रॉयल्टी दर न्यूनतम 150 रुपये प्रति घन मीटर है। जबकि ओढ़नी सहित अन्य नदियों की बालू की दर 75 रुपये प्रतिघन मीटर है। सरकारी योजनाओं से लेकर बड़े-बड़े इमारतों के निर्माण के कारण बालू की डिमांड सभी शहरों में अधिक है।
रेलवे गुड्स यार्ड की मांग वर्षों से की जा रही है। पिछले साल मालदा के डीआरएम ने बाराहाट में रेलवे यार्ड बनाने का आश्वासन दिया था। बालू ढुलाई से हजारों मजदूरों को काम मिलेगा। 60 प्रतिशत तक भाड़े की बचत होगी। - संजय तिवारी, जिलाध्यक्ष, खाद्यान्न संघ, बांका
रेलवे की कामर्शियल टीम के अधिकारियों से बातचीत हुई है। रेलवे से बालू ढुलाई से पासिंग गिरोह पर लगाम लगेगा। साथ ही ओवरलोड वाहनों का भी परिचालन बंद होगा। सड़कें टूटने से बचेंगी। यह अच्छी पहल है। इसके लिए बंदोबस्तधारी से समन्वय स्थापित कराया जाएगा। मालगाड़ी से बालू ढुलाई सड़क मार्ग से सस्ता है। - कुमार रजंन, जिला खनन पदाधिकारी, बांका
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