25 करोड़ के विकास कार्यों ने बदली बांका की इस पंचायत की तकदीर, मुखिया के प्रयासों से शहरी सुविधाओं हुआ लैस
रकार के सबसे बुनियादी ढ़ांचे ग्राम पंचायत के स्तर पर अगर बेहतर काम हो तो विकास को चार चांद लग ही जाते हैं। कुछ ऐसी ही विकास की रौशनी से फागा पंचायत जगमग कर रही है। मुखिया के प्रयासों ने इस गांव को हर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया है। आज यह पंचायत किसी शहर से कम नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 20 Jul 2023 07:18 PM (IST)
शेखर सिंह, बांका। सरकार के सबसे बुनियादी ढ़ांचे ग्राम पंचायत के स्तर पर अगर बेहतर काम हो, तो विकास को चार चांद लग ही जाते हैं। कुछ ऐसी ही विकास की रौशनी से फागा पंचायत जगमग कर रही है। बिहार के पिछड़े बांका जिले के बौंसी प्रखंड की इस पंचायत में शहरों से कम सुविधाएं नहीं हैं।
यहां के मुखिया ने 25 करोड़ की राशि खर्च कर यहां लोगों को सुविधाएं देने का प्रयास किया है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, सफाई, पेयजल और बैंकिंग सुविधाओं तक से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया गया है। लोग भी गदगद हैं।
फंड के लिए स्वयंसेवी संगठनों का लिया सहारा
काम में फंड की कमी आई तो मुखिया हरिहर यादव ने कुछ स्वयंसेवी संगठनों से तालमेल बिठाकर विकास को रफ्तार दी। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बेहतरी पर फागा के मुखिया हरिहर यादव को इसी साल अप्रैल में भारत सरकार के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव पंकज सिंह द्वारा दिल्ली में पुरस्कृत भी किया गया।इस पंचायत की आबादी 10,600 है। इसमें 14 वार्ड हैं। मुखिया ने यहां पांच तालाब, तीन छठ घाट, एक चेकडैम, दो रंगमंच, 23 किलोमीटर सड़क, कचरा डंप करने के लिए अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, सार्वजनिक शौचालय आदि का निर्माण करवाया है।
भूमिहीन परिवारों को दिलाई जमीन
भूमिहीन परिवारों को सरकारी स्तर पर जमीन उपलब्ध कराकर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने का काम भी हो रहा है। अब तक 1206 लोगों को आवास योजना का लाभ मिल चुका है। 60 अन्य लोग कतार में हैं। किसानों को जागरूक कर दो हजार से अधिक फलदार पौधे लगवाए गए हैं।शून्य कर दिया शिशु मृत्यु दर
हरिहर 2016 में पहली बार मुखिया बने थे। उस समय पंचायत की शिशु-मृत्यु दर 9 से 13 प्रतिशत तक थी। इसे कम करने के लिए पंचायत के दो स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया। अस्पताल कर्मी भी सजग हुए।
मुखिया ने अपने स्तर से भी लोगों-महिलाओं को समझाया। नवजात की मृत्यु कई कारणों से होती है। इस कारण गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर प्रसव और उसके बाद भी काफी ध्यान रखने की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं के खान-पान से लेकर अस्पताल तक में बेहतर प्रबंधन की जरूरत थी।शिशुओं की स्वास्थ्य जांच व टीकाकरण पर भी नजर रखने की आवश्यकता हुई। मुखिया जी ने पुरजोर प्रयास किया। आज इस पंचायत में शिशु मृत्यु दर शून्य पर पहुंच गया है। पहले कई महिलाओं का प्रसव घर पर ही होता था। आज शत-प्रतिशत प्रसव स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है। 50 से 60 प्रतिशत तक आयुष्मान भारत कार्ड यहां बनाए गए हैं।
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पंचायत के सभी 14 वार्डों में हर दिन सफाई होती है। इसके लिए मुखिया ने 14 स्वच्छताग्रही एवं एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। मुखिया ने बताया कि गांव में शहर की तर्ज पर सुविधा उपलब्ध कराना ही उनका लक्ष्य है। इसके लिए अब तक काफी कार्य किए गए हैं।उन्होंने कहा कि पंचायत के लोगों को रोटी के साथ शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था देने का उन्होंने संकल्प लिया है। गांव में शादी-विवाह या अन्य आयोजन पर कचरा फैलाने पर 500 रुपये का जुर्माना वसूला जाता है। इससे पंचायत को राजस्व की भी प्राप्ति होती है। लोग इधर-उधर कचरा फेंकने से परहेज करते हैं। पंचायत में प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। हर दिन सभी वार्डो में स्वच्छताग्रही कचरा उठाकर जमा करते हैं। इससे जैविक खाद बनाने की शुरुआत की गई है। जल्द ही पंचायत किसानों को खाद भी बेचेगी।घर-घर पहुंचा पानी, दो साल में दो लाख का सुविधा शुल्क
ग्रामीण राघवेंद्र मिश्र व अनिल यादव बताते हैं कि पहले लोग चापाकल व कुओं से पानी लाते थे। अब घर-घर नल का जल पहुंच गया है। लोगों को काफी सहूलियत हुई है। पेयजल के लिए कुल 14 वार्डो में 12 में पीएचईडी के माध्यम से पानी आता है। दो वार्डों में जलमीनार का निर्माण कराया गया है। पेयजल आपूर्ति के लिए प्रत्येक लाभुक से हर महीने 30 रुपये सुविधा शुल्क लिया जाता है। इससे पंचायत को साल में दो लाख रुपये तक के राजस्व की प्राप्ति होती है।गांव में ही मिल रही बैंकिंग सुविधा
कमल किशोर कुमार बताते हैं कि पंचायत से सबसे नजदीकी स्टेट बैंक 15 किलोमीटर की दूरी पर था। लोगों को बैंक जाने में परेशानी होती थी। यदि बैंक से संबंधित कोई काम करना है, तो जाने-आने और बैंक की लाइन में खड़े रहकर पूरा दिन बर्बाद हो जाता था।मुखिया ने एक ग्रामीण को प्रेरित कर गांव में ही दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र खुलवा दिया। अब ग्रामीण गांव में ही बैंकिंग का काम कर रहे हैं। कई लोगों ने ग्राहक सेवा केंद्र में खाता भी खुलवाया है।इन योजनाओं से खर्च की गई राशि
फागा पंचायत में पिछले छह साल के मुखिया कार्यकाल में विभिन्न विभागों द्वारा करीब 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से करीब 10 करोड़ रुपये से 25 किलोमीटर सड़क निर्माण, स्वास्थ्य विभाग से एक करोड़ रुपये में अस्पताल भवन का निर्माण व कृषि विभाग के दो करोड़ रुपये से तालाब, बोरिंग एवं कृषि संयंत्र पर खर्च किए गए। प्रधानमंत्री आवास से करीब दो करोड़, मनरेगा के 2.5 करोड़ से तालाब, चेकडैम व नाला का निर्माण हुआ है। लघु सिंचाई विभाग से 2.5 करोड़ रुपये से अमृत सरोवर तालाब का निर्माण किया गया। मुखिया ने अपने 6 साल के कार्यकाल में पांच करोड़ रुपये खर्च किए हैं। मुखिया एक साल में दो किस्तों में 70 से 80 लाख रुपये विकास मद में खर्च कर सकते हैं।मुखिया ने विकास योजनाओं को ग्राम सभा में पारित कराकर विभिन्न विभागों से लगातार पत्राचार किया। डीएम, स्थानीय सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री, मंत्री एवं विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में सफलता मिली। अन्य पंचाों में इस तर्ज पर कम काम हुआ है। लघु जल संसाधन विभाग से सबसे पहले जिले की फागा पंचायत में अमृत सरोवर का काम शुरू हुआ है।फागा में पंचायती राज व्यवस्था धरातल पर उतर रही है। यहां स्वास्थ्य, सफाई समेत अन्य क्षेत्रों में बेहतर काम हुए हैं। लोगों को घर में पानी मिलने लगा। रंगमंच भी गांव में बना है। इन सब कार्यों से गांधी जी का सपना पूरा हो रहा है। अन्य पंचायतों को भी इसका अनुशरण कर काम करने की जरूरत है।
माधव कुमार सिंह, एडीएम, बांका