Begusarai News: नहीं बदली स्थिति, शौचालय में सफर को मजबूर हैं यात्री, वैशाली एक्सप्रेस का हुआ बुरा हाल
Begusarai News Today सीट नहीं मिली तो शौचालय ही सही आखिर पापी पेट का सवाल है। परिवार और बच्चों की खातिर रोजगार की तलाश के लिए परदेश तो निकलना ही होगा। रोजगार की तलाश में परदेश जाने वाले कामगारों की अग्नि परीक्षा देहरी से बाहर कदम रखते ही शुरू हो जाती है। इनकी संख्या इतनी अधिक हैं कि ट्रेनें कम पड़ रही हैं।
मनोज कुमार, बरौनी (बेगूसराय)। सीट नहीं मिली तो शौचालय ही सही, आखिर पापी पेट का सवाल है। परिवार और बच्चों की खातिर रोजगार की तलाश के लिए परदेश तो निकलना ही होगा। रोजगार की तलाश में परदेश जाने वाले कामगारों की अग्नि परीक्षा देहरी से बाहर कदम रखते ही शुरू हो जाती है।
इनकी संख्या इतनी अधिक हैं, कि ट्रेनें कम पड़ रही हैं। तस्वीर सहरसा से नई दिल्ली जानेवाली वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन की है। इन कामगारों को जब खड़े होने की भी जगह नहीं मिली, तो आखिरकार शौचालय को ही सफर का माध्यम बना लिया। छोटी दूरी तय करने वाले यात्री ब्रेक वैन में खड़े होकर सफर करने को मजबूर हुए।
कामगारों के पलायन की ऐसी स्थिति तब है, जब कई स्पेशल ट्रेनों का परिचालन रेलवे कर रहा है। कुल मिलाकर दिन प्रतिदिन बढ़ रही यात्रियों की संख्या के आगे दूरगामी ट्रेनें कम पड़ रही हैं। जो स्थिति 20 वर्ष पूर्व थी, उसमें अब तक बदलाव नहीं आया है।
नहीं मिल रहे कंफर्म टिकट, पर जाना है मजबूरी
होली समाप्त होते ही अपनी-अपनी नौकरी पर जाने की एवं पढ़ाई-लिखाई करनेवालों को कालेज लौटने की जल्दबाजी रहती है। ऐसे में लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। मजबूरन यात्री को किसी भी ट्रेन के सामान्य बोगियों में भेड़-बकरियों की तरह खड़े होकर, लटकते हुए यात्रा करने को विवश होना पड़ रहा है।
स्थिति तो ऐसी है कि जगह के अभाव में तो कई रेलयात्री ट्रेन के शौचालय, एसएलआर-ब्रेक वैन में भी खड़े-खड़े यात्रा करने को मजबूर हैं। शौचालय में खड़े होकर यात्रा करने वाली बात थोड़ी अजीब लगती है, परंतु सत्य है।
वैशाली एक्सप्रेस का बुरा हाल
शुक्रवार को 12553 अप सहरसा-नई दिल्ली वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन के एक सामान्य बोगी के टूटी हुई खिड़की वाले शौचालय में अपने मित्रों के साथ यात्रा कर रहे सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर निवासी लगभग 30 वर्षीय राम भरोसा शर्मा ने बताया कि वे दिल्ली में रहकर ब्लाक बनाने का काम करते हैं।
होली के मौके पर घर आए थे। दो-तीन दिनों से रिजर्वेशन टिकट लेने के लिए काफी प्रयास किए, परंतु नहीं मिलने पर वे अपने 15 साथियों के साथ सामान्य बोगी एवं शौचालय आदि में यात्रा करन को मजबूर हुए। बरौनी जंक्शन के पश्चिमी फुटओवर ब्रिज के समीप इंजन से दूसरी सामान्य बोगी लगी। इसी दौरान प्लेटफार्म पर बेच रहे चना-घुघनी सभी दोस्तों ने 10-10 रुपये का लिया और मजे में खाने लगे। कहा, इसी तरह से चना की घुघनी, बादाम, मुरही, दालमोट आदि खाते हुए नई दिल्ली पहुंच जाएंगे।
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