तो इसलिए किसान नहीं उठा पाते हैं सरकारी योजनाओं का लाभ... ऑनलाइन के चक्कर में फायदे की जगह हो जाता घाटा
सरकार किसानों के लिए कई सारी योजनाएं चलाती हैं लेकिन ऑनलाइन के चक्कर में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है क्योंकि इन्हें ऑनलाइन की समझ ही नहीं है। मंगलवार को दैनिक जागरण द्वारा छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के सिहमा पंचायत में आयोजित किसान संवाद में किसानों को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। साथ में उनकी भी समस्याएं सुनी गईं।
बलबंत चौधरी, छौड़ाही (बेगूसराय)। किसानों को अनुदान पर धान, गेहूं, मूंग, मसूर, मक्का आदि का बीज लेना हो या हसुआ, खुरपी, हल, ट्रैक्टर आदि कृषि यंत्र, इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किसानों को करना पड़ता है। यह दलालों से किसानों को बचाने के लिए आवश्यक भी है, परंतु सुदूरवर्ती क्षेत्र के किसानों को ऑनलाइन की समझ अभी भी नहीं है। प्रखंड जाने पर कुछ काम तो हो जाता है, परंतु लाभ से ज्यादा खर्च ही हो जाता है। आप लाभ लेने वाले किसानों का रिकार्ड देख लीजिए, प्रत्येक वर्ष चिन्हित किसानों को ही कृषि अनुदान का लाभ मिलता है। तो बताइए यह योजना हम आम किसान के किस काम का है।
किसानों को ऑनलाइन आवेदन में देनी होगी मदद
उक्त बातें मंगलवार को दैनिक जागरण द्वारा छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के सिहमा पंचायत में आयोजित किसान संवाद में उपस्थित किसानों ने कहीं। किसान संवाद में किसानों ने खेती किसानी में कृषि योजनाओं से हो रहे लाभ एवं लाभ मिलने में हो रही दिक्कत पर खुलकर संवाद किए एवं महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
इसकी जानकारी होने पर किसान सलाहकार विजय कुमार रजक भी संवाद में सम्मिलित हो किसान पाठशाला लगा दी। किसानों को कृषि योजनाओं की जानकारी देते हुए दैनिक जागरण के कार्यक्रम की सराहना कर खेती-किसानी से संबंधित बुकलेट का भी वितरण किया। उन्होंने किसानों को ऑनलाइन आवेदन करने में मदद करने की बात कही।
कृषि योजनाएं अच्छी, लाभ लेना मुश्किल
किसान जनार्दन सिंह, चंदन कुमार, राम सोगारथ सिंह, अजय कुमार का कहना था कि कृषि योजनाओं का जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है।
ऑनलाइन माध्यम से बीज, कृषि यंत्र एवं अन्य चीजें मिलती है, परंतु किसानों को आनलाइन आवेदन की सुविधा पंचायत में नहीं मिलती है। मान लीजिए पांच किलो मूंग का बीज अनुदान पर लेना है तो 250 रुपया आनलाइन आवेदन करने एवं प्रखंड आने जाने चाय पान में ही खर्च हो जाता है।
दिनभर समय लगा वह अलग से। कभी-कभी तो तीन-चार दिन सर्वर डाउन रहने के कारण दौड़ लगानी पड़ती है। इससे कम कीमत में खुले बाजार से अच्छे किस्म का बीज खरीद मिल जाता है। बताइए कौन किसान आनलाइन के चक्कर में पड़ेंगे। पंचायत किसान कार्यालय में आनलाइन की सुविधा रहती तो बीज कृषि यंत्र किसानों को उपलब्ध हो जाता।
सिंचाई व जलजमाव है बड़ी समस्या
राम नरेश सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, शिव शंकर राय, बच्ची देवी आदि किसानों का कहना था कि यहां के किसान सिंचाई वह जल जमाव दोनों की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। कृषि रोड मैप में सिंचाई साधन के प्रचुर उपलब्धता किसानों को करने की बात कही गई है। परंतु, पंचायत के एक भी सरकारी नलकूप चालू नहीं हैं।
किसानों ने दिए सुझाव
भगवान चौधरी, विमलेश चौधरी, राम लखन रजक का कहना था कि सिहमा पंचायत के कोल्हासन मोइन, मालपुर पंचायत के चकदर चौर होते हुए सावंत पंचायत के बखड्डा मेन रोड पार कर ऐजनी पंचायत के हरेरामपुर, परोड़ा एवं एकंबा के निचले क्षेत्र से हरसाइन नहर होते हुए परिहारा बखरी फाटक से बूढ़ी गंडक नदी में जलनिकासी आसानी से हो जाती थी। सभी जगह अतिक्रमण है, जिसे हटाकर जल निकासी की जा सकती है।
किसानों का कहना था कि बिचौलियों से मुक्ति के लिए ऑनलाइन सिस्टम जरूरी है, परंतु किसानों को अपनी पंचायत में ही यह सुविधा मिले, इसकी भी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। अन्यथा फाइलों पर इसी तरह सभी अच्छा रहेगा और हम किसान अपनी पूंजी लगाकर खेती करते रहेंगे। किसी अधिकारी को क्या फर्क पड़ता है।
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