अजब-गजब : बिहार में जालसाजों ने अपने नाम कराई स्कूल की जमीन, जब हुई रास्ते की तलाश तो उड़ गए सभी के होश
जालसाजों ने विद्यालय की जमीन खुद के नाम रजिस्ट्री करा ली। जमीन को राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री करवाने के बजाय गांव के सात दबंगों ने स्वयं के नाम रजिस्ट्री करवा ली। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता की तलाश शुरू हुई। अब पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई करने में जुट गई है।
रजनेश सिन्हा, चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय)। चेरिया बरियारपुर प्रखंड की सकरबासा गांव के भोलेभाले अभिभावक हर वह श्रम और समर्पण करने को तैयार थे, ताकि इनके बच्चों को शिक्षा मिल सके। भूमि के अभाव में विद्यालय भवन नहीं बन पा रहा था।
ग्रामीणों की बैठक में चंदे की राशि से स्थानीय भू स्वामियों से ही भूमि खरीदने का निर्णय हुआ। इसकी जिम्मेदारी योग्य लोगों को सौंपी गई। गांव में चंदा इकट्ठा किया गया और विद्यालय के लिए दो कट्ठा साढ़े 12 धूर जमीन खरीदी गई।
गांव की इन भोलीभाली जनता को भला यह कहां पता था, कि जिन लोगों के हाथों में उन्होंने बच्चों के भविष्य की डोर थमाई है, वह इतने बड़े जालसाज निकलेंगे। उक्त जमीन को राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री करवाने के बजाय गांव के सात दबंगों ने स्वयं के नाम रजिस्ट्री करवा ली। विद्यालय भवन भी बन गया।
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुख्य सड़क से विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता की तलाश शुरू हुई। पूर्व मुखिया रास्ता के लिए जमीन देने को तैयार हुए, साथ ही कहा, विद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री तो निजी लोगों ने करवा ली है, मैं रास्ते की जमीन की रजिस्ट्री आखिर किसके नाम करूं।
2012 में बना है विद्यालय भवन
प्रखंड क्षेत्र के सकरबासा स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय की भूमि राज्यपाल के नाम से रजिस्ट्री नहीं कराए जाने से विद्यालय तक पहुंचने का पथ नहीं बन सका है। बच्चे 50 मीटर की दूरी पगडंडी के सहारे मुख्य पथ से विद्यालय पहुंचने के लिए तय करते हैं। बरसात के मौसम विद्यालय तक पहुंचने में परेशानी बढ़ जाती है।आखिरकार ग्रामीणों ने विद्यालय के लिए रास्ता की तलाश शुरू की। इसके लिए भी जमीन की जरूरत थी। पूर्व मुखिया उदय कुमार सिंह से रास्ते की जमीन के लिए ग्रामीणों ने आरजू मिन्नत की। वे रास्ता के लिए भूमि देने को तैयार भी हो गए।
साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यालय की जमीन तो निजी लोगों के नाम से रजिस्ट्री है, आखिर रास्ते की जमीन की रजिस्ट्री किनके नाम करूं। इतना सुनने के बाद ग्रामीणों के पैर तले की जमीन खिसक गई। 2012 में विद्यालय भवन बनाया गया है।
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