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अजब-गजब : बिहार में जालसाजों ने अपने नाम कराई स्कूल की जमीन, जब हुई रास्ते की तलाश तो उड़ गए सभी के होश

जालसाजों ने विद्यालय की जमीन खुद के नाम रजिस्ट्री करा ली। जमीन को राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री करवाने के बजाय गांव के सात दबंगों ने स्वयं के नाम रजिस्ट्री करवा ली। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता की तलाश शुरू हुई। अब पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई करने में जुट गई है।

By jayant kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 25 Jun 2024 03:23 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
रजनेश सिन्हा, चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय)। चेरिया बरियारपुर प्रखंड की सकरबासा गांव के भोलेभाले अभिभावक हर वह श्रम और समर्पण करने को तैयार थे, ताकि इनके बच्चों को शिक्षा मिल सके। भूमि के अभाव में विद्यालय भवन नहीं बन पा रहा था।

ग्रामीणों की बैठक में चंदे की राशि से स्थानीय भू स्वामियों से ही भूमि खरीदने का निर्णय हुआ। इसकी जिम्मेदारी योग्य लोगों को सौंपी गई। गांव में चंदा इकट्ठा किया गया और विद्यालय के लिए दो कट्ठा साढ़े 12 धूर जमीन खरीदी गई।

गांव की इन भोलीभाली जनता को भला यह कहां पता था, कि जिन लोगों के हाथों में उन्होंने बच्चों के भविष्य की डोर थमाई है, वह इतने बड़े जालसाज निकलेंगे। उक्त जमीन को राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री करवाने के बजाय गांव के सात दबंगों ने स्वयं के नाम रजिस्ट्री करवा ली। विद्यालय भवन भी बन गया।

इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुख्य सड़क से विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता की तलाश शुरू हुई। पूर्व मुखिया रास्ता के लिए जमीन देने को तैयार हुए, साथ ही कहा, विद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री तो निजी लोगों ने करवा ली है, मैं रास्ते की जमीन की रजिस्ट्री आखिर किसके नाम करूं।

2012 में बना है विद्यालय भवन

प्रखंड क्षेत्र के सकरबासा स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय की भूमि राज्यपाल के नाम से रजिस्ट्री नहीं कराए जाने से विद्यालय तक पहुंचने का  पथ नहीं बन सका है। बच्चे 50 मीटर की दूरी पगडंडी के सहारे मुख्य पथ से विद्यालय पहुंचने के लिए तय करते हैं। बरसात के मौसम विद्यालय तक पहुंचने में परेशानी बढ़ जाती है।

आखिरकार ग्रामीणों ने विद्यालय के लिए रास्ता की तलाश शुरू की। इसके लिए भी जमीन की जरूरत थी। पूर्व मुखिया उदय कुमार सिंह से रास्ते की जमीन के लिए ग्रामीणों ने आरजू मिन्नत की। वे रास्ता के लिए भूमि देने को तैयार भी हो गए।

साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यालय की जमीन तो निजी लोगों के नाम से रजिस्ट्री है, आखिर रास्ते की जमीन की रजिस्ट्री किनके नाम करूं। इतना सुनने के बाद ग्रामीणों के पैर तले की जमीन खिसक गई। 2012 में विद्यालय भवन बनाया गया है।

सात लोगों ने अपने नाम करवा ली है विद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री

विद्यालय की जमीन सकरबासा गांव के ही वार्ड संख्या पांच निवासी ब्रजनंदन यादव, वार्ड तीन निवासी राधाकृष्ण यादव, वार्ड दो निवासी अर्जुन पासवान, वार्ड चार निवासी रंजीत यादव, वार्ड सात निवासी रामचरित्र प्रसाद सिंह उर्फ रामचरित्र महतो, वार्ड-एक निवासी निर्धन महतो एवं वार्ड संख्या दाे निवासी हरेराम राय ने संयुक्त रूप से अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली है। जबकि नियमानुसार जमीन की रजिस्ट्री राज्यपाल के नाम से होनी चाहिए थी।

ग्रामीण खुलकर नहीं कर पा रहे विरोध

उक्त सभी लोग दबंग किस्म के हैं, इससे ग्रामीण इन लोगों का खुलकर विरोध नहीं पा रहे हैं। लगभग एक दशक के बाद भी विद्यालय की जमीन की रजिस्ट्री राज्यपाल के नाम नहीं की गई है। जब इन लोगों से पूछा जाता है तो ये टालमटोल करते हैं।

सकरबासा पंचायत के जागरूक समाजसेवी युवा उन सातों लोगों से वर्षों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन विद्यालय की जमीन राज्यपाल के नाम से अब तक रजिस्ट्री नहीं कराई गई है।

रास्ता के लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक बाल मुकुंद झा एवं शिक्षक भी उन लोगों से मिलकर अनुरोध किया, साथ ही परेशानी का भी हवाला दिया, परंतु वे लोग किसी की नहीं सुन रहे हैं।

कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में चेरिया बरियारपुर के सीओ अतहर हुसैन से जब बात की गई, तो उन्होंने बताया कि हम अभी नए आए हैं, इसकी जानकारी हमें नहीं है। अगर ऐसी बात है, तो उक्त लोगों से बात कर जमीन को राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री करवाने का प्रयास किया जाएगा।

अतहर हुसैन, अंचलाधिकारी, चेरिया बरियारपुर

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