IAS हों तो ऐसे; बिहार निवासी रविंद्र कुमार ने दो बार की एवरेस्ट की चढ़ाई, छह सालों तक रहे मर्चेंट नेवी ऑफिसर
IAS Ravindra Kumar बेगूसराय निवासी विशिष्ट आइएएस पदाधिकारी रविंद्र कुमार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गए। काफी कम लोगों को पता होगा कि नेपाल एवं तिब्बत दो अलग-अलग मार्गों से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले चंद भारतीयों में से एक और देश के एकमात्र आइएएस अधिकारी मूल रूप से बिहार के बेगूसराय निवासी हैं। ये अच्छे लेखक भी हैं।
By rupesh kumarEdited By: Aysha SheikhUpdated: Thu, 13 Jul 2023 08:54 AM (IST)
बेगूसराय, रजनेश सिन्हा। नई दिल्ली के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में दो दिन पहले ‘संकल्प’ द्वारा ‘गुरु सम्मान एवं सिविल सेवा परीक्षा 2022’ का आयोजन किया गया। आयोजन में उत्तर प्रदेश के झांसी के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार की एवरेस्ट यात्रा पर बनाई गई कॉफी टेबल बुक का विमोचन हुआ। इसके साथ ही बेगूसराय निवासी ये विशिष्ट आइएएस पदाधिकारी फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गए।
बेगूसराय निवासी आइएएस अधिकारी रविंद्र कुमार
काफी कम लोगों को पता होगा कि नेपाल एवं तिब्बत दो अलग-अलग मार्गों से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले चंद भारतीयों में से एक और देश के एकमात्र आइएएस अधिकारी मूल रूप से बिहार के बेगूसराय निवासी हैं। इनका जन्म और पालन-पोषण बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के बसही गांव में हुआ था।
इनके लोक-हितैषी प्रयासों के अलावा, इनका एक नाविक से लेकर एक आइएएस अधिकारी, फिर एक पर्वतारोही तक का साहसिक करियर रहा है। ये अच्छे लेखक भी हैं। इन्होंने विश्व के सर्वोच्च शिखर से केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान एवं नमामि गंगे की पताका को माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचाया है। एवरेस्ट की चोटी पर गंगा जल अर्पण कर विश्व के लोगों से ‘जल बचाओ’ की अपील भी की है।
दो बार की एवरेस्ट की चढ़ाई
सिक्किम में पदस्थापन के दौरान रविंद्र कठिन प्रशिक्षण, दृढ़ निश्चय, सकारात्मक सोच के बल पर पहले ही प्रयास में 19 मई 2013 को विश्व के सबसे ऊंचे शिखर एवरेस्ट पर पहुंचे। 2015 में एवरेस्ट पर इनकी दूसरी चढ़ाई का उद्देश्य ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बारे में जागरूकता फैलाना था। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झंडी भी दिखाई थी। उस अभियान के दौरान उन्होंने 25 अप्रैल 2015 को भूकंप और हिमस्खलन के बाद एवरेस्ट बेस कैंप में खुद को खतरे में डालते हुए कई लोगों की जान बचाई थी।
मर्चेंट नेवी ऑफिसर रहे हैं रविंद्र
रविंद्र ने 1999 में अपने प्रथम प्रयास में ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) प्रवेश परीक्षा पास की, लेकिन फिर शिपिंग को करियर बनाने का निर्णय किया। प्रशिक्षण के लिए मुंबई के भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय (चाणक्य) में नामांकन लिया। 2002 में नाटिकल साइंस में स्नातक किया। फिर इटली की एक शिपिंग कंपनी फिनावल स्पा में 2002 से 2008 तक मर्चेंट नेवी ऑफिसर रहे।छह वर्षों में लगभग सभी महासागरों की यात्रा की। इसके बाद जनसेवा के उद्देश्य से यूपीएससी की परीक्षा दी। सितंबर 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने पर उन्हें जनवरी 2012 में सिक्किम कैडर आवंटित किया गया। वहां के विभिन्न जिलों में जुलाई 2012 से मई 2016 तक अलग-अलग पदों पर सेवा की। मई 2016 में इनका ट्रांसफर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
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