दैनिक जागरण के पोस्टमॉर्टम का पोस्टमॉर्टम पड़ताल के तहत बिहार के सरकारी अस्पतालों की पोस्टमॉर्टम व्यवस्था की पड़ताल की गई है। इस पड़ताल ने बिहार के अस्पतालों की पोल खोलकर रख दी है। राज्य के नंबर वन अस्पताल का तमगा पाने वाले बेगुसराय सदर अस्पताल की पोस्टमॉर्टम व्यवस्था का हैरान करने वाला है। यहां अस्पताल के सफाईकर्मी ही पोस्टमॉर्टम के दौरान चीड़फाड़ करते हैं।
By manish kumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 05 Oct 2023 10:48 AM (IST)
कुमार मनीष, बेगूसराय। बिहार में नंबर वन सरकारी अस्पताल का तमगा पाने वाला बेगूसराय का सरकारी अस्पताल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विभाग की हालत बयां कर रहा है।
दैनिक जागरण के 'पोस्टमॉर्टम का पोस्टमॉर्टम' अभियान में हैरान करने वाली जानकारी सामने आयी है।
बिहार में जागरण की पड़ताल 'पोस्टमॉर्टम का पोस्टमॉर्टम' में अधिकांश अस्पताल ऐसे मिले, जहां पोस्टमॉर्टम के मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कई अस्पतालों में तो मृतक के परिजनों से पोस्टमॉर्टम करने के लिए जरूरी सामान मंगाया जाता है।
एक अस्पताल में तो बिजली चली जाने पर मोबाइल की टॉर्च के उजाले में पोस्टमॉर्टम किया जाता है। पड़ताल में ऐसे कई अस्पताल मिले, जहां पोस्टमॉर्टम के लिए परिजनों को अच्छी-खासी रकम घूस के रूप में चुकानी पड़ती है।
नंबर वन अस्पताल का ये है हाल
बिहार के नंबर वन सरकारी अस्पताल का तमगा पाने वाले बेगूसराय सदर अस्पताल में तो पोस्टमॉर्टम व्यवस्था को ही पोस्टमॉर्टम की जरूरत है। यहां विशेषज्ञ चिकित्सक का पदस्थापन नहीं है। सफाईकर्मी ही शव का चीर फाड़ करते हैं। आपातकालीन सेवा में नियुक्त चिकित्सक पोस्टमॉर्टम के दौरान शव को हाथ तक नहीं लगाते हैं।
मौत के कारणों की गहन जांच व अंदरूनी अंगों की पड़ताल भी सफाईकर्मियों के सहारे किया जाता है।
अपनों की अकाल मौत के बाद शव को लेकर आने वाले शोकाकुल स्वजनों पर दूसरी आफत तब बरपती है, जब पोस्टमॉर्टम करने वाले सफाईकर्मी शव के चीड़ फाड़ के बाद पॉलीथीन सीट, हाथ धोने का साबुन, सर्जिकल ब्लेड, शव के खुले पेट की सिलाई के लिए धागा की मांग शुरू करते हैं।
रकम मिलने पर महीन सिलाई अन्यथा...
मुंहमांगी रकम मिलने पर महीन सिलाई अन्यथा लंबी-लंबी दूरियों पर सिलाई कर शव को स्वजनों या पुलिस को सौंप दिया जाता है। शोकाकुल स्वजनों की आफत यहीं कम नहीं होती है। मौत के कारणों पर संशय होने के बाद शव के छह से सात अंग बेसरा परीक्षण के लिए सुरक्षित किए जाने का प्रविधान है।
बेसरा सुरक्षित रखवाने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है, लेकिन इसके लिए भी शीशे के बर्तन, फलों के खाली लकड़ी के बॉक्स का खर्च भी उन्हें ही वहन करना होता है।
शव के साथ पोस्टमॉर्टम कराने पहुंचे स्वजन व पुलिस इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लेते हैं, इसलिए अवैध उगाही की कहीं शिकायत नहीं होती है।
संसाधन दुरूस्त, लेकिन...
बेगूसराय सदर अस्पताल के पास निधि की कोई कमी नहीं है। दशक पूर्व चार कमरों का सुसज्जित पोस्टमॉर्टम भवन बना है।
भवन में चिकित्सक के बैठने के लिए प्रकोष्ठ से लेकर चौकीदार के लिए कमरे तक बने हैं।
अज्ञात शवों को 72 घंटे सुरक्षित रखने के लिए एसी युक्त मरच्यूरी बॉक्स से लेकर बेसरा सुरक्षित रखने के लिए भी कमरा है।
लंबे समय तक खराब रहने के बाद फिलहाल मरच्यूरी बाक्स दुरूस्त हालत में है लेकिन चिकित्सक कक्ष कबाड़खाना बना है। वहीं बेसरा रूम में लकड़ी के बक्से दीमक चाट रहे हैं।
3.5 साल तक एक कर्मी के हवाले रहा डिपार्टमेंट
2020 में पोस्टमॉर्टम सहायक महेंद्र मलिक के सेवानिवृत्ति के बाद साढे तीन वर्ष तक स्थाई कर्मी भिखारी मलिक के जिम्मे ही सबकुछ था।
हालांकि रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा अत्यधिक कार्यभार और 24 घंटे की जरूरत को देखते हुए डीएम ने अवकाश प्राप्त महेंद्र मलिक को 11 माह के अनुबंध पर दैनिक कर्मी के रूप में नियुक्त किया है।
25 जून से कार्यरत उक्त कर्मी अबतक एक माह का मेहनताना ही मिला है। रेड क्रास सोसाइटी ने उन्हें 491 रुपया प्रतिदिन के मानदेय पर नियुक्त किया है। 11 माह तक संतोषजनक सेवा संपुष्टि के बाद अनुबंध बढाए जाने का प्रविधान है।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार सिंह बताते हैं कि अस्पताल प्रबंधन का काम सिर्फ शव का पोस्टमॉर्टम करना है। पोस्टमॉर्टम में उपयोग होने वाले औजार समेत अन्य सामान अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा बेसरा सुरक्षित करने कराने, शव के परिवहन की जिम्मेदारी पुलिस की है।
यह भी पढ़ें: ये बिहार है जनाब! पोस्टमॉर्टम के लिए यहां परिजनों से मांगा जाता है ब्लेड, ग्लव्स व जरूरी सामान; डॉक्टर भी...
Youth Hostage In Dubai : दुबई में बंधक बने UP-बिहार के दर्जनभर मजदूर, सोशल मीडिया पर मोदी सरकार से लगाई गुहार
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।