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Indian Students In Ukraine: पढ़ाई के लिए फिर यूक्रेन लौट रहे भारतीय छात्र, अभिभावक कर्ज लेने को मजबूर; सरकार पर फूटा गुस्सा

भारतीय छात्र फिर से पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन पहुंच रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि भारत सरकार कोई मदद नहीं कर रही है इसलिए छात्रों को फिर से यूक्रेन भेजना पड़ रहा है। कुछ अभिभावक तो कर्ज लेकर बच्चों को यूक्रेन भेज रहे हैं। वहीं कुछ छात्र उज्बेकिस्तान और पोलैंड जैसे देशों का भी रुख कर रहे हैं।

By Umar KhanEdited By: Rajat MouryaUpdated: Fri, 17 Nov 2023 02:23 PM (IST)
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पढ़ाई के लिए फिर यूक्रेन लौट रहे भारतीय छात्र, अभिभावकों का सरकार पर फूटा गुस्सा
उमर खान, बखरी (बेगूसराय)। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे मेडिकल के छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का फिर से अवसर मिला है। इन छात्रों में बखरी के भी तीन छात्र थे। ये छात्र पढ़ाई छूटने से अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित और विचलित थे। अब ये छात्र उज्बेकिस्तान और पोलैंड में पढ़ाई कर रहे हैं।

इनमें बखरी बाजार के मजार रोड निवासी मनोज चौरसिया के पुत्र बमबम कुमार तथा सेवा सदन गली निवासी अशोक चौधरी के पुत्र राजा कुमार उज्बेकिस्तान में जबकि मुख्य बाजार निवासी जनकलाल केशरी के पुत्र विकास कुमार पोलैंड में अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं।

कर्ज लेकर भेजा यूक्रेन

बमबम की मां बताती हैं कि बेटे के भविष्य को देखते उनलोगों ने कर्ज आदि लेकर पढाई के लिए यूक्रेन भेजा था। वहां वह पांचवीं सत्र का छात्र था। परंतु युद्ध के कारण उसे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वापस होना पड़ा। घर आने के बाद वह अपनी पढ़ाई और भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहता था। उसे कोई रास्ता नजर नहीं आता था। दो वर्ष तक घर पर रहा।

उन्होंने बताया कि उसकी स्थिति को देख घर के लोग भी चिंतित थे। इसी बीच उज्बेकिस्तान की फरगना इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ में फिर से पढ़ाई आरंभ करने का अवसर मिला, लेकिन उसमें काफी खर्च था। इसकी पूर्ति के लिए उन्होंने अपनी घरारी की जमीन के एक हिस्से को बेचकर किसी तरह पांच लाख रुपये की व्यवस्था कर उसे उज्बेकिस्तान भेजा।

बमबम विगत अक्टूबर माह की आठ तारीख को दिल्ली से उज्बेकिस्तान के लिए रवाना हुआ। इधर बमबम से हुई बातचीत में उसने बताया कि वह यहां मजे से है और पढ़ाई कर रहा है। बातचीत के दौरान भी वह वर्ग में ही था। इधर, राजा के पिता ने भी बताया कि उनका पुत्र भी यूक्रेन में मेडिकल के अंतिम वर्ष में था, लेकिन युद्ध के कारण उसे भी वापस घर आना पड़ा। तब से वह भी काफी चिंतित था। इसी बीच यूक्रेन की सरकार द्वारा ही पोलैंड में समायोजन के बाद वह पहले पोलैंड गया, लेकिन वहां कि सरकार ने उसके सर्टिफिकेट को रोक दिया। मजबूरन राजा को दो महीना पूर्व उज्बेकिस्तान जाना पड़ा, जहां वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा है।

भानू प्रिया एक माह पूर्व फिर पढ़ने गई यूक्रेन

बीहट। नगर परिषद बीहट वार्ड संख्या 23 जागीर टोला निवासी विक्रम सिंह उर्फ विक्की एवं स्मिता कुमारी की पुत्री भानू प्रिया एक बार मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने यूक्रेन गई है। भानू प्रिया की माता स्मिता कुमारी ने बताया कि विगत 25 अक्टूबर को घर से पहले जर्मनी गई। इसके बाद पोलैंड होते हुए यूक्रेन पहुंची। वहां उसने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी है।

उन्होंने कहा कि करीब तीन वर्ष से अधिक का कोर्स बचा है। हम सब बेटी को पढ़ाने एवं उसके कैरियर को बनाने को लेकर भगवान के भरोसे बेटी को फिर से यूक्रेन पढ़ने भेज दिया। बताते चलें कि विगत पांच मार्च 2022 को यूक्रेन से घर लौटी थी। जबकि 13 दिसंबर 2021 को यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित बोगोवोलेट यूनिवर्सिटी गई थी। रूस के यूक्रेन में हमले के बाद किसी तरह घर लौटी थी। भानू प्रिया के पिता ने बताया कि भारत में पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था नहीं होने की वजह से फिर से यूक्रेन भेजना पड़ा, ताकि बच्ची का समय बर्बाद नहीं हो।

सरकार ने नहीं की कोई व्यवस्था तो फिर से भेजना पड़ा बच्चों को यूक्रेन

मटिहानी। मटिहानी प्रखंड के गोरगामा गांव निवासी ललन कुमार सिंह के पुत्र आदित्य कुमार यूक्रेन के इवानो शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वह मार्च 2022 में वापस घर गोरगामा लौट गए। छह माह तक वे गोरगामा में रहकर ही यूक्रेन के उसी संस्थान से ऑनलाइन पढ़ाई की।

आदित्य कुमार के पिता ललन कुमार सिंह बताते हैं कि इवानो शहर में खतरा कम है, इसलिए फिर से वहां पढ़ाई शुरू हो गई है। छह माह के बाद हमारा बच्चा पुनः यूक्रेन चला गया और वहीं रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। 2026 तक इसका सत्र चलेगा।

उनसे पूछने पर कि जब युद्ध है तो आपने अपने बच्चों को वहां क्यों भेजा, जिस पर उन्होंने कहा कि कुछ पाने के लिए जोखिम तो उठना ही पड़ता है। भारत सरकार और बिहार सरकार अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था करती तो हम अपने पुत्र को यूक्रेन नहीं भेजते। उसका भविष्य बनाने के लिए पुन: यूक्रेन भेजना पड़ा है।

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