KK Pathak केके पाठक के शिक्षा विभाग के नए निर्देश के बाद स्कूलों और कॉलेजों में खलबली मैच गई है। दरअसल बिना नामांकन और बिना पढ़ाई के ही परीक्षा की तारीख घोषित कर दी गई। इस कदम के बाद तमाम लोगों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। बता दें कि शिक्षा विभाग अपने सख्त रवैये को लेकर काफी चर्चा में है।
संवाद सहयोगी, तेघड़ा (बेगूसराय)।
Bihar Education News पूरे बिहार में अगर इन दिनों किसी विभाग की चर्चा है तो वह है एकमात्र शिक्षा विभाग। जब से शिक्षा विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव पद पर केके पाठक (KK Pathak) की नियुक्ति हुई है, तबसे किसी न किसी विषय को लेकर चर्चा बनी रहती है।
कुछ दिन पहले गर्मी छुट्टी समाप्ति को लेकर प्रातःकालीन छह बजे शिक्षकों को विद्यालय पहुंचने का निर्देश और डेढ़ बजे जाने का आदेश जैसे विषयों को लेकर चर्चा होती रही। अब एक नए विषय को लेकर छात्र, शिक्षक एवं समाज में चर्चा शुरू हो गई है।
फरवरी के प्रथम सप्ताह में इंटर की वार्षिक परीक्षा एवं दूसरे सप्ताह में मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा आयोजित की गई। इसका परिणाम भी घोषित हो चुका है। परंतु, इंटर में नामांकन नहीं होने के कारण कई माह बीत जाने के बावजूद सड़क पर बच्चे भटक रहे हैं।
अब शिक्षा विभाग ने यह निर्देश जारी कर दिया है कि नामांकन प्रक्रिया बाद में पूरी की जाएगी, पहले जिन छात्रों ने जिस विद्यालय से मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण की है, वहां 11वीं की कक्षा बिना नामांकन के प्रारंभ कर देनी चाहिए। और हद तो तब हो गई, जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने विज्ञप्ति जारी करते हुए 30 मई से आठ जून तक मासिक परीक्षा का कैलेंडर भी जारी कर दिया।
कहते हैं छात्र नेता?
Bihar News अभाविप छात्र संघ अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक अर्ध विकसित अधिकारी के हाथ में चली गई है इससे बिहार के युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता जा रहा है। चार महीने से मैट्रिक पास और इंटर पास छात्र सड़क पर भटक रहे हैं।
शिक्षा विभाग को पढ़ाई से नहीं बल्कि प्रश्न पत्र छपाई के कमिशन से एवं शिक्षकों पर दमनात्मक कार्यों से मतलब है। बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से जो शिक्षकों की बहाली हुई, उसमें बड़ी धांधली हुई है, इसका खुलासा आए दिन शिक्षा विभाग स्वयं कर रहा है।
चाहे शिक्षकों की बहाली हो, प्रश्न पत्र की छपाई हो अथवा विद्यालय की जांच हो, हर स्तर पर व्यापक कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार हो रहा है।
क्या होगी समस्या?
कई विद्यालयों के प्रधानों ने इस आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मैट्रिक पास करने के बाद अगर नामांकन नहीं हुआ है तो यह कैसे तय करें कि हमारे यहां कितने छात्र कला में और कितने छात्र विज्ञान तथा वाणिज्य संकाय में नामांकित होंगे।
बिना नामांकन, बिना पढ़ाई कितने छात्र किस संकाय में परीक्षा देंगे, यह तय करना मुश्किल हो रहा है। कई बार यह भी देखा गया है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई के माध्यम से उत्तीर्ण मैट्रिक के छात्र भी इंटर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से करते हैं।
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