प्राइवेट कंपनी को एंबुलेंस संचालन का जिम्मा मिलते ही चरमराई व्यवस्था, इलाज के लिए तड़प रहे मरीज
पटना में एंबुलेंस सेवा की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को मिलने के बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 102 पर फोन करने पर भी एंबुलेंस नहीं मिल रही है। आपात स्थिति में मरीजों के लिए एंबुलेंस सेवा मिलना कठिन हो गया है। कई मरीजों को प्राइवेट वाहन से इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ रहा है।
संसू, जागरण, गढ़पुरा (बेगूसराय)। स्वास्थ्य चिकित्सा की स्थिति खराब होती चली जा रही है। सरकार द्वारा एंबुलेंस की व्यवस्था बदलने के बाद से इमरजेंसी रोगियों को एंबुलेंस सेवा मिलना कठिन हो गया है। दरअसल, एंबुलेंस के संचालन की जिम्मेदारी बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जेन प्लस प्राइवेट लिमिटेड पटना को दी गई है, जिसकी व्यवस्था ठीक नहीं है। 102 पर फोन किए जाने पर फोन नहीं लगता है।
किसी भी आपात स्थिति में अगर डॉयल 102 पर फोन किया जाता है तो फोन नहीं लगता। काफी प्रयास के बाद फोन लगता भी है तो काफी देर बाद एंबुलेंस के ड्राइवर या ईएमटी को जेन प्लस के द्वारा एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाता है। इस बीच इमरजेंसी रोगी इलाज के लिए छटपटाते रहते हैं।
सरकारी एंबुलेंस के अस्पताल में उपलब्ध रहने के बावजूद आपातकालीन सेवा के लिए सरकारी एंबुलेंस समय पर नहीं मिल पा रहा है। इस नई व्यवस्था से अब तो अस्पताल के प्रभारी या किसी भी चिकित्सा पदाधिकारी को एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराए जाने का अधिकार नहीं रह गया है।
प्राइवेट कंपनी को मिली जिम्मेदारी
1 नवंबर 2024 से एंबुलेंस का संचालन जेन प्लस प्राइवेट लिमिटेड कर रहा है। उसी के हेडक्वार्टर पटना से एंबुलेंस का संचालन किया जाता है। अब इमरजेंसी रोगियों की जान बचाना भी मुश्किल हो गया है।
पहचान पत्र जरूरी
परेशानी यहीं खत्म नहीं होती है। आपात मरीज के पास यदि पहचान पत्र नहीं है, तब उसे एंबुलेंस सेवा नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में ग्रामीणों द्वारा अस्पताल पीएचसी में हंगामे की स्थिति भी बन सकती है । एंबुलेंस चालक या उसके सहयोगी ईएमटी को आक्रोशित लोगों का कोपभाजन बनना पड़ सकता है।प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल करने को मजबूर लोग
गुरुवार की सुबह पीएचसी पहुंचने पर एंबुलेंस सेवा की इस स्थिति से अवगत होने के बाद देखा कि बुधवार की रात्रि में छह प्रसव की मरीज अपनी व्यवस्था से पीएचसी आईं। इनमें पगुराहा के सुशील पासवान की पत्नी सावित्री देवी, शीतल रामपुर के रविंद्र कुमार की पत्नी भवानी कुमारी, सोनमा गांव के पंकज पासवान की पत्नी पूजा कुमारी, सकड़ा गांव के सोमल कुमार की पत्नी मधु कुमारी, मनिकपुर गांव के मिथुन यादव की पत्नी फुलवंती कुमारी, लखीसराय के मजदूर दिलीप माझी की पत्नी मोहिनी देवी शामिल थीं।
इनके स्वजनों का कहना है कि बुधवार की रात प्रसव होने के बाद सुबह से एंबुलेंस के लिए 102 पर प्रयास करते-करते थक हारकर गुरुवार को 11 बजे दिन में ई-रिक्शा कर घर जाना पड़ रहा है। 102 पर फोन किए जाने बाद पीएचसी में लगा एंबुलेंस काम नहीं आया।इस संबंध में पीएचसी में उपलब्ध चिकित्सा पदाधिकारी डा. बीके ठाकुर ने बताया कि एक नवंबर 2024 से एंबुलेंस सेवा नई कंपनी को दी गई है। 102 नंबर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। अब इमरजेंसी रोगी को कैसे बेगूसराय भेजा जाएगा, यह समस्या बन गई है।
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