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टॉयलेट के लिए भीख पार्ट 2: 'इज्‍जत घर' के लिए किया ये काम, अब दुनिया कर रही सलाम

स्‍वच्‍छता के लिए जज्‍बा होना चाहिए। जज्‍बा हो तो धन की कमी बाधा नहीं बनती। गोपालगंज की दो महिलाओं के बाद इसे फिर प्रमाणित किया है बेगूसराय के एक भिखारी दंपती ने।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 16 Sep 2018 10:06 PM (IST)
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टॉयलेट के लिए भीख पार्ट 2: 'इज्‍जत घर' के लिए किया ये काम, अब दुनिया कर रही सलाम
बेगूसराय [अरुण कुमार]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्‍वच्‍छता अभियान का असर बिहार की गरीब महिलाओं पर भी पड़ा है। हाल ही में गेापालगंज की दो गरीब महिलाअों ने अपने हौसले के बल पर भीख के पैसों से अपने-अपने घरों में शौचालय (टॉयलेट) बनवाए। ताजा मामला बेगूसराय के एक दिव्‍यांग दंपती का है। वे भी भीख के पैसों से शौचालय (इज्‍जत घर) बनवा रहे हैं।

दोनों मामलों से शौचालय बनवाने वालों ने अपने काम को अपनी इज्‍जत व स्‍वच्‍छता से जोड़ा। कहा अपने लिए इज्‍जत घर (शौचालय) बनवाना जरूरी लगा, यह स्‍वास्‍थ्‍य व स्‍वच्‍छता के लिए थी आवश्‍यक लगा। इसलिए ऐसा किया। स्‍पष्‍ट है कि अगर जज्‍बा हो तो धन की कमी भी दूर हो जाती है।

दिव्‍यांग दंपती भीख मांगकर बनवा रहे शौचालय

स्वच्छता को ले सरकार के अभियान का असर दिखाई दे रहा है। अब भीख मांगकर गुजर-बसर करने वाले भी शौचालय को जरूरी मानने लगे हैं। बिहार के बेगूसराय स्थित गढ़पुरा प्रखंड की रजौड़ पंचायत में सकडा गांव निवासी दिव्यांग रामविलास साह इसका उदाहरण हैं। रामविलास जन्म से नेत्रहीन हैं। उनकी पत्नी पैर से दिव्यांग हैं, हालांकि बिना बैसाखी के चलती हैं। दोनों ने शौचालय निर्माण को जरूरी बताया है। वे भिक्षाटन के पैसे से घर में शौचालय बनवाने में जुटे हैं।

सरकार से पैसा ना मिले तो भी गिला नहीं

दंपती ने बताया कि दिव्यांग होने के कारण उन्‍हें बाहर शौच के लिए जाने में परेशानी होती है। गरीब हैं, भीख मांग गुजर-बसर करते हैं। इसलिए भिक्षाटन के पैसे से हीं शौचालय बनवा रहे हैं। बाद में सरकार पैसा देगी तो ठीक है, नहीं देगी तो भी गिला-शिकवा नहीं। दिव्‍यांग दंपती के अनुसार शौचालय उनके लिए इज्‍जत घर है। अपनी इज्‍जत के लिए यह काम करना जरूरी है।

ट्रेनों में भीख मांगते सुनी शौचालय की बात

राम विलास कहते हैं कि वे समस्तीपुर-सहरसा रूट की ट्रेन में डफली बजाकर गीत गाते हुए भीख मांगते हैं। जबकि, पत्नी घर के पास बैठती है। वे कहते हैं कि ट्रेन में लोगों के बीच शौचालय बनाने की बात होती रहती है। उन बातों को सुना तो अच्‍छा लगा। गांव के डीलर के यहां राशन किरासन लेने गए तो उसने भी कहा कि जिसके घर में शौचालय नहीं होगा, उसका राशन-किरासन बंद हो जाएगा। दिव्‍यांगता के कारण अपनी भी परेशानी थी। इन कारणों से लगा कि घर में शौचालय रहना जरूरी है।

जिलाधिकारी तक पहुंची बात, की सराहना

दिव्यांग दंपती के इस मिशन को लोगों ने सराहा है। उनकी चर्चा जिलाधिकारी तक पहुंची है। जिलाधिकारी राहुल कुमार ने भी ट्वीट कर उन्‍हें सराहा है। जिलाधिकारी ने लिखा है कि रामविलास साह की राह में आंखों की रोशनी का अभाव भी आड़े नहीं आया। उन्‍होंने मिशन गरिमा से प्रेरित होकर शौचालय निर्माण के लिए गड्ढ़ा खोदकर एक प्रेरणादायी उदाहरण पेश किया है। जिलाघिकारी ने उन्‍हें सभी सहायता उपलब्‍ध कराने की बात कही है।

इन दो महलाओं ने भी भीख मांगकर बनवाए शौचालय

भीख मांग कर शौचालय बनवाने वालों में रामविलास व उनकी पत्‍नी अकेले नहीं। इसके पहले हाल ही में गोपालगंज की कोन्हवां पंचायत की 55 वर्षीय मेहरुना खातून और 60 वर्षीय जगरानी देवी ऐसा कर चुकी हैं। दोनों महिलाओं ने खुले में शौच ना जाने की कसम खाई और अपनी गरीबी के बावजूद घर में खुद के हाथों से शौचालय बनाकर दिखा दिया। इसके लिए पैसों का प्रबंध उन्‍होंने भीख मांगकर किया। दोनों को गोपालगंज के जिलाधिकारी ने हाल ही में सम्‍मानित किया।

शौचालय बनने से मेहरुन खातून तथा जगरानी देवी दोनों खुश हैं। मेहरुन ने बताया कि इज्जत सबसे बड़ी चीज है। शौचालय महिलाओं के सम्मान से जुड़ा है। इसलिए लोगों से पैसा मांग कर शौचालय बनवाया। वहीं जगरानी देवी कहती हैं कि अब शौच के लिए घर के बाहर नहीं जाना पड़ता है।

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