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इसरो की वैज्ञानिक बन बीहट की प्रियंका ने सपनों में भरा रंग

मो. खालिद, बेगूसराय : आसमानों में उड़ना, आकाश के हर भेद को जानना, शायद यह सपना अधि

By JagranEdited By: Updated: Wed, 07 Mar 2018 07:11 PM (IST)
इसरो की वैज्ञानिक बन बीहट की प्रियंका ने सपनों में भरा रंग
मो. खालिद, बेगूसराय : आसमानों में उड़ना, आकाश के हर भेद को जानना, शायद यह सपना अधिकतर युवा-युवती देखते हैं। परंतु, उस सपने में रंग भर पाना कुछ ही युवा को नसीब हो पाता है। उसी में से एक नाम बीहट की प्रियंका कुमारी का भी है। जिसने जमीन पर बैठ आकाश के सपने देखे, और उसे पूरा करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तक का सफर तय कर लिया। प्रियंका अब इसरो की वैज्ञानिक है, और अंतरिक्ष के भेदों से रूबरू हो रही है।

सपनों को पूरा करने को भर दी उड़ान

बेगूसराय के बीहट ने हमेशा राज्य और राष्ट्र को एक से बढ़कर एक बेटा और बेटियों के देश की सेवा के लिए दे गौरवान्वित किया है। जिसमें अनेकों आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर, राजनेता, राज्यपाल तक शामिल हैं। इसी कड़ी में बीहट की एक और बेटी प्रियंका ने इसरो जैसी संस्थान में वैज्ञानिक बन कर बिहार सहित भारत को गौरव दिलाया है। प्रियंका ने दिखाया है कि हमारे इरादे बुलंद हों तो हम दूर आसमान तक उड़ान भर सकते हैं, और सच में उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए इसरो तक की उड़ान भर दी। रेल विभाग में कार्यरत गार्ड राजीव कुमार की पुत्री प्रियंका ने इसरो सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरु में वैज्ञानिक पद हासिल कर एक मिसाल कायम की है।

प्रियंका की प्रारंभिक शिक्षा और सफलता

प्रियंका ने डीएवी एचएफसी से वर्ष 2006 में दसवीं और वर्ष 2008 में 12वीं पास किया था। उसने बीटेक की पढ़ाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अगरतला से पूरी की। अभी एमटेक की पढ़ाई इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी से कर रही है। 2016 में गेट की परीक्षा में प्रियंका को 1604 वां स्थान हासिल किया था। उसका शोध पत्र 'वायरलेस इसीजी इन इंटरनेशनल' जर्नल ऑफ रिसर्च एंड साइंस टेक्नोलॉजी एंड इंजीनिय¨रग में प्रकाशित हुआ। प्रियंका की माता प्रतिभा देवी एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका हैं। जबकि उनकी बड़ी बहन शिक्षिका की दौड़ में शामिल है, जबकि भाई बिजनेस करते हैं।

सपने को मरने न दें

प्रियंका कहती है कि हर लड़की में कुछ खास होता है। घरेलू जिम्मेदारियां आ जाने के कारण वह अपने उन सपनों को दफनाने में लग जाती हैं। परंतु, मेरा मानना है कि उन्हें सपने पाले रखना चाहिए, और मौका मिलते ही उसे साकार करने की कोशिश करनी चाहिए। महिलाओं का आत्मनिर्भर होना सबसे अधिक जरूरी है। इसमें पुरुष को सहयोग की भूमिका निभानी चाहिए। प्रियंका कहती हैं कि उनकी शादी 2015 में ही हुई थी। जबकि उन्हें वैज्ञानिक का पद 2016 में मिला है। इसमें उनके पति और ससुराल वालों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है।

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