Bijli News बिहार के बेगूसराय में बिजली विभाग को बड़ा फटका पड़ा है। बिजली विभाग की मनमानी से परेशान एक उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम की मदद ली। फोरम ने उनकी समस्या को देखते हुए बिजली विभाग पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जबकि केस लड़ने में आए 10 हजार रुपये का खर्च भी अदा करने का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, बेगूसराय। बेगूसराय
के होटल जेम्स में वर्ष 2014 में बिजली कनेक्शन लगाया गया था। होटल के बाहर मीटर भी विभाग के द्वारा ही लगाया गया। कुछ माह के बाद मीटर में गड़बड़ी आ गई। इसकी शिकायत कार्यपालक अभियंता से की गई।
कार्यपालक अभियंता के निर्देशानुसार विभाग के द्वारा अनुमानित बिल निकालकर दिया जाने लगा। इसकी शिकायत अधीक्षण अभियंता से लेकर सचिव तक की गई। इसके बाद तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ने मीटर की जांच के लिए समस्तीपुर लैब में भेजा। वहां जांच के बाद मीटर खराब पाया गया।
इसके बाद 20 दिसंबर 2020 को नया मीटर लगाया गया। पूर्व में खपत विपत्र राशि मांग पत्र में लाखों रुपये का बकाया राशि देखकर अनेकों बार विद्युत कनेक्शन विच्छेद कर दिया गया। कार्यपालक अभियंता ने 16 लाख 21 हजार 426 रुपये बकाया राशि का नोटिस भेज दिया।
इसके बाद परेशान होकर होटल संचालक गायत्री देवी और उनके पति दिनकर भारद्वाज ने केस दर्ज कराया। इसके बाद 21 दिसंबर 2018 को अदालत ने पांच लाख 50 हजार राशि विद्युत विभाग में जमा कर अपेक्षित न्याय पाने के लिए जिला उपभोक्ता फाेरम में वाद दाखिल करने की सलाह दी।
साथ ही विभाग को आदेश दिया कि रुपये जमा होते ही बिजली चालू कर दिया जाए। उपभोक्ता ने कहा कि आदेश का अनुपालन करते हुए उन्होंने पांच लाख 50 हजार रुपये विद्युत विभाग में जमा कर जिला उपभोक्ता फाेरम में वाद दाखिल किया।
न्यायाधीश का ये था आदेश
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतिरोध आयोग के न्यायाधीश ने दो जुलाई 2024 को आदेश पारित किया कि उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई राशि और विद्युत विपत्र राशि की गणना के आधार पर उपभोक्ता 12 लाख 64 हजार 340 रुपये अधिक राशि का भुगतान विद्युत विभाग को किया गया है।
इसका समायोजन विभाग आगे के विद्युत खपत विपत्र राशि में करेंगे। चूंकी विभाग ने गलत अनुमानित विपत्र के आधार पर बार-बार उक्त व्यवसायी को विद्युत संबंध विच्छेद कर आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। इसलिए विभाग दो लाख जुर्माना एवं 10 हजार मुकदमा खर्च यानी कुल दो लाख 10 हजार रुपये का भुगतान 45 दिनों में करने का निर्देश दिया।
वहीं, 45 के बजाए 65 दिन बीत जाने के बाद भी विद्युत विभाग ने न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं किया है।
कहते हैं कार्यपालक अभियंता
विभाग के कार्यपालक अभियंता सूरज कुमार वर्मा ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर उपभोक्ता जेम्स होटल के मालिकों ने पांच लाख रुपये जमा किया और इसके बाद तुरंत बिजली चालू कर दी गई। उपभोक्ता का विपत्र सुधार के मामले में सीजीआरएफ बेगूसराय द्वारा विपत्र सुधार कर दिया गया है।
उनहोने कहा कि सुधार किए गए बिल को उनके द्वारा जमा नहीं किया गया एवं उपभोक्ता फोरम में आवेदन दिया गया। यहां आवेदक के पक्ष में फैसला दिया गया।
उपभोक्ता फोरम के द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध राज्य आयोग में अपील करने के लिए उप महाप्रबंधक मानव संसाधन विभाग एवं प्रशासन पटना को पत्र लिखा गया है। आगे जो आदेश आएगा, उसके आलोक में हमलोग काम करेंगे।
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