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Hartalika Teej 2024: हिंदू महिलाओं के लिए क्यों खास है हरतालिका तीज? पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए

Hartalika Teej 2024 हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि 5 सितंबर को प्रात 10.04 बजे शुरू होगी और 6 की दोपहर 12.08 बजे समाप्त होगी।

By ghanshyam jha Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 04 Sep 2024 04:19 PM (IST)
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हरतालिका तीज पर महिलाएं 24 घंटे का व्रत रखती हैं।
जागरण संवाददाता, बेगूसराय। हिंदू परंपराओं के अनुसार, हरतालिका तीज को कन्याएं व सुहागन महिलाएं अपनी कामनाओं की पूर्ति और सुखी वैवाहिक जीवन एवं पति की दीर्घायु जीवन की कामना के लिए सबसे पवित्र और शुभ व्रत मानती हैं। हरतालिका तीज सिर्फ मिथिलांचल ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्से में भी महिलाएं भक्ति और उत्साह के साथ मनाती हैं।

इस पूजनोत्सव को लेकर कपड़ा एवं पूजन सामग्रियों की दुकानों पर अन्य दिनों की अपेक्षा ग्राहकों की चहल पहल अधिक दिख रही है।

हरतालिका तीज व्रत अनुष्ठान

हरतालिका तीज पर महिलाएं 24 घंटे का व्रत रखती हैं। व्रत के क्रम में अनाज एवं जल का सेवन नहीं किया जाता है। महिलाएं भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को भोर में अपना व्रत शुरू करती हैं और चतुर्थी को भोर में इसे समाप्त करती हैं। व्रत शुरू होते ही महिलाओं को एक संकल्प लेना होता है, जिसे जीवन भर निभाना होता है।

व्रत के दौरान सोलह श्रृंगार एक महत्वपूर्ण तत्व है। महिलाएं आमतौर पर लाल और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, तथा सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी, बिछुआ, चूड़ियां आदि विवाहित महिलाओं के लिए आवश्यक हैं। महिलाएं सौंदर्य प्रसाधन खरीदारी में लगी हैं, क्योंकि अपने लिए भी और मां देवी पार्वती को भी वस्त्र एवं श्रृंगार की सामग्रियां अर्पित करती हैं।

हरतालिका तीज पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

पडित अमर नाथ झा एवं संतोष कुमार मिश्र ने बताया कि इस वर्ष हरतालिका तीज 6 को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि 5 सितंबर को प्रात: 10.04 बजे शुरू होगी और 6 की दोपहर 12.08 बजे समाप्त होगी। हरतालिका तीज पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह साढ़े छह बजे से सुबह 11.00 बजे तक है। संध्या समय में साढ़े छह बजे से 9.15 बजे रात्रि तक अति उत्तम मुहूर्त है।

पूजन विधि:

महिलाएं हस्तनिर्मित शिव व पार्वती की मूर्ति को आसन पर रखकर देवी पार्वती की अंग पूजा शुरू करें। तत्पश्चात हरतालिका व्रत कथा का पाठ करें। व्रत कथा पूरी होने के बाद माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें। व्रत रखने वाले को रात्रि जागरण करना चाहिए। व्रती भक्त पूरी रात भजन-कीर्तन करती हैं।

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