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Bhagalpur Crime : 'मुर्दे' पर चला कोर्ट का डंडा, दुष्कर्म मामले में दोषी नीरज मोदी को 14 साल कैद की सजा सुनाई

छात्रा से दुष्कर्म के मामले में सजा से बचने के लिए अपनी ही मौत की कहानी गढ़ने वाले शिक्षक नीरज मोदी को विशेष पाक्सो न्यायाधीश लवकुश कुमार ने 14 साल कैद की सजा सुनाई है। उसे नौ जनवरी को सजा सुनाई जानी थी।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Mon, 09 Jan 2023 05:41 PM (IST)
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दुष्कर्म के मामले में दोषी 'मुर्दे' को 14 साल की कैद, विशेष पाक्सो न्यायालय ने सुनाई सजा
जागरण संवाददाता, भागलपुर। छात्रा से दुष्कर्म मामले में सजा से बचने के लिए जिंदा रहते स्वयं को मुर्दा घोषित करने वाले शिक्षक नीरज मोदी को 14 साल कैद की सजा सुनाई गई है। विशेष पाक्सो न्यायाधीश लवकुश कुमार ने सोमवार को नीरज को दोषी साबित होने के बाद यह सजा सुनाई। उसे बीते शुक्रवार को इस मामले में दोषी करार दिया गया था।

विशेष न्यायाधीश ने दोषी अभियुक्त नीरज मोदी को सजा सुनाने के लिए नौ जनवरी की तिथि तय की थी। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी 14 साल जेल में कैद की सजा सुनाई जाती है। सजा सुनाए जाने के बाद दोषी नीरज मोदी को कोर्ट परिसर से वापस जेल ले जाया गया। 

वहीं विशेष पाक्सो कोर्ट ने अपने आदेश में दोषी नीरज पर एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इसके अलावा कोर्ट ने पीड़ित छात्रा को राहत देते हुए पीड़ित सहायता कोष से तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का भी आदेश दिया है।

यह था मामला

मामला इशीपुर बाराहाट थानाक्षेत्र का है। थानाक्षेत्र के मधुरा सिमानपुर निवासी नीरज मोदी पर 14 अक्टूबर 2018 को छात्रा से दुष्कर्म करने का केस दर्ज कराया गया था। नीरज पेशे से शिक्षक था। दुष्कर्म के मामले में बेटे को बचाने के लिए उसके पिता राजाराम मोदी उर्फ राजो मोदी ने उसकी मौत की झूठी कहानी गढ़ दी थी। इसके तहत पिता ने अपने बेटे की अर्थी उठाने से लेकर जलाने के लिए लकड़ी खरीदने की फर्जी रसीद तक बनवा ली थी।

सोमवार को कोर्ट परिसर से वापस जेल जाता हुआ दुष्कर्म मामले में दोषी नीरज मोदी। (फोटो-: दैनिक जागरण)

नीरज ने पिता को किया था साजिश में शामिल

छात्रा से दुष्कर्म के मामले में बचने के लिए पूर्व शिक्षक नीरज मोदी ने अपनी मौत की न सिर्फ झूठी कहानी गढ़ी थी, बल्कि उस कहानी को सच साबित करने के लिए अपने पिता को भी इस साजिश में शामिल कर लिया था। पिता ने बाकायदा बेटे की झूठी मौत को सच दिखाने के लिए उसे कफन पहनाया, जिंदा ही लकड़ी की चिता पर आंखें बंद कर लिटाया और दाह संस्कार के लिए कफन तक ओढ़ा दिया था।

बेटे की मौत की झूठी कहानी को सच साबित करने के लिए उसने खुद की चिता पर लेटने और पिता से मुखाग्नि कराते हुए बाकायदा अपने एक दोस्त से फोटोग्राफी भी कराई थी। इसके बाद उक्त फोटोग्राफ्स को विशेष पाक्सो अदालत में पिता के जरिये जमा भी करा दिया था। इसके बाद बचने के लिए आरोपी नीरज भूमिगत हो गया था।

लकड़ी की रसीद के सहारे तैयार कराया था मृत्यु प्रमाण पत्र

इस पूरी साजिश को बेटे और बाप ने मिलकर अंजाम दिया। उन्होंने कहलगांव श्मशान घाट स्थित एक लकड़ी के गोले से लकड़ी की खरीद वाली रसीद भी बनवा ली। उसी रसीद के सहारे बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कराया और विशेष पाक्सो न्यायालय में शपथ पत्र के साथ बेटे के मृत्यु प्रमाण पत्र को दाखिल कर दिया। शपथ पत्र के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र सौंपे जाने के बाद न्यायालय ने केस की फाइल बंद कर दी थी। लेकिन पिता की इस करतूत का भांडा दुष्कर्म पीड़ित छात्रा की मां ने फोड़ा।

पीड़िता की मां ने ही यह केस दर्ज कराया था। उन्होंने बेटी के साथ हुई ज्यादती के लिए इंसाफ की आस में जब आरोपित के पिता के षड्यंत्र का पता चला तो प्रखंड विकास पदाधिकारी, पीरपैंती को एक अर्जी दी। इस अर्जी में उन्होंने गलत मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने की जानकारी देकर जांच की गुहार लगाई थी। जब बीडीओ ने मामले में जांच बैठा दी तो थोड़े ही समय में सच सामने आ गया कि आरोपित के पिता ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया था।

19 अप्रैल 2022 को बनवा लिया था फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र

बीडीओ ने मामले की जांच में सामने आए सच को जानने के बाद जन्म एवं मृत्यु के रजिस्ट्रार धर्मेंद्र कुमार को नीरज मोदी के गलत साक्ष्य के आधार पर जारी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के आरोप में पिता राजाराम मोदी के विरुद्ध केस दर्ज करने और जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्र को रद करने की अनुशंसा की थी। 21 मई 2022 को पीरपैंती बीडीओ के निर्देश पर 24 घंटे के अंदर आरोपित नीरज मोदी के पिता राजाराम मोदी पर धोखाधड़ी समेत अन्य आरोप में इशीपुर बाराहाट में केस दर्ज कर लिया गया था।

गांववालों ने भी मौत को फर्जी बताया था

पिता ने 27 फरवरी 2022 को नीरज की फर्जी मौत की जानकारी देते हुए 19 अप्रैल 2022 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवा लिया था। प्रशासनिक अधिकारियों की जब जांच शुरू हुई तो नीरज की मौत की बात गलत साबित हुई। गांववाले यहां तक कि पंच तारा देवी, वार्ड अध्यक्ष आरती देवी समेत तमाम लोगों ने मृत्यु की बात को गलत करार दिया था।

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