नाटक में भाग लेने के दौरान अपना संवाद भी नहीं बोल पाए थे अशोक कुमार, बाद में छोड़ी अभिनय की बेहतरीन छाप
Actor Ashok Kumar Birth anniversary भागलपुर स्थित नाली घर में गीत संगीत व यात्रा से हुए थे परिचित। उनकी पहली फिल्म अछूत कन्या हिट हुई थी। वे बन गए थे स्टार। दादा मुनि में उनके ननिहाल में ही पड़ गया था अभिनय का बीज।
By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Thu, 13 Oct 2022 02:29 PM (IST)
भागलपुर [विकास पांडेय]। भागलपुर हिंदी सिनेमा में अछूत कन्या फिल्म से सशक्त अभिनेता के रूप में विख्यात होने वाले अशोक कुमार उर्फ दादा मुनि में भागलपुर स्थित ननिहाल में ही अभिनेता का बीज पड़ गया था। वहां अर्जित अभिनय कला के बल पर ही उन्होंने अनायास हिंदी सिनेमा में प्रवेश किया था। अछूत कन्या की शूटिंग के दौरान एक दिन अनायास उसके हीरो के नहीं आने पर निर्देशक हिमांशु राय ने लैब असिस्टेंट अशोक कुमार को हीरो की भूमिका करने का आफर दे दिया। अशोक कुमार ने इसे सुनहरा अवसर मान पूरी मेहनत व लगन से उसमें अभनय किया। रिलीज होने पर वह फिल्म सुपर हिट हुई और अशोक कुमार स्टार बन गए।
उसके बाद एक के बाद एक उनकी अधिकांश फिल्में बाक्स आफिस पर सफल होती चली गईं। उनकी चचेरी भतीजी व तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष सह विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोक्टर डा. रत्ना मुखर्जी कहती हैं कि भागलपुर स्थित उनके ननिहाल में गीत, संगीत, नाटक, यात्रा आदि कार्यक्रम प्राय: आयोजित होते रहते थे। भागलपुर के आदमपुर स्थित राजबाटी में रहने वाले उनके मामा शिरीष चंद्र बनर्जी उर्फ शानू बाबू पर्व-त्योहारों आदि अवसरों पर सांस्कृतक कला समारोहों का आयोजन करते रहते थे।
छुटपन में मां गौरी देवी, पिताजी व छोटे भाई किशोर कुमार के साथ खंडवा से ननिहाल आने पर वे यहां आयोजित संगीत, यात्रा व नाट्य समारोहों को चाव से देखते थे। उस दौरान राजबाटी में मामा द्वारा आयोजित एक नाटक में 12-13 साल के किशोर अशोक कुमार ने भूमिका भी की थी। उसमें पेपर पढ़ रहे किशोर अशोक कुमार को चेहरे पर से अखबार हटाकर ट्रेन कितने बजे आएगी... कहना था। लेकिन बचपन में बेहद शर्मीले स्वाभाव के होने के कारण यह संवाद वे नहीं बोल पाए थे। तब सामने वाले अभिनेता ने स्वत: ट्रेन के आने के समय की जानकारी दे दी थी। दर्शकों ने इसे नाटक का स्वाभाविक हिस्सा मान कर उसका लुत्फ उठाया था। अभिनय कला का उनका यह अनुभव व विश्वास ही बाद में बीज रूप से प्रस्फुटित होकर दक्ष अभिनेता में बदल गया।
आला दर्जे के डाक्टर, चित्रकार और हस्तरेखा विशेषज्ञ थे
अशोक कुमार आला दर्जे के होमियोपैथ डाक्टर, चित्रकार व ज्योतिष थे। उनसे रोगों की जांच कराने मुंबई सहित पुणे व नासिक से मरीज आते थे। उनके मरीजों में प्रसिद्ध् अभिनेता डेविड व फिल्म निर्माता रामानंद सरीखे लोग आदि शामिल थे। उन्होंने अपने माता-पिता का एक ऐसा आदमकद चित्र बनाया है जिसे देखकर लगता है जैसे अब वे बोल उठेंगे। वे देर रात तक होमियोपैथ व ज्योतिष विधा की किताबों का अध्ययन करते थे। फुर्सत के दिनों वे बाथटब में बैठकर आयल पेंटिंग करना उनके प्रिय शौक में शुमार था।
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