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Sawan 2024: केसरिया रंग में रंगा अजगैवीनाथ धाम, उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर निकलने लगा कांवड़ियों का जत्था

सावन मास में अजगैवीनाथ धाम (Ajgaivinath Dham) में भव्य रूप से श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है। जो विश्व का सबसे लंबे समय तक चलने वाला मानव मेला है। इस प्रसिद्ध मेले में देश-विदेश के कांवरिया अजगैवीनाथ धाम पहुंचते हैं और पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर पांव पैदल देवघर पहुंचकर रावणेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 22 Jul 2024 11:12 AM (IST)
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अजगैवीनाथ मंदिर के पास गंगा स्नान करने उमड़ी कांवड़ियों की भीड़। जागरण
आनंद राज, अजगैवीनाथ धाम (भागलपुर)। बाबा अजगैवीनाथ का मंदिर भागलपुर जिले में एक पहाड़ी पर अवस्थित है। 90 के दशक के पूर्वार्द्ध तक यह पहाड़ी यहां प्रवाहित उत्तरवाहिनी गंगा नदी के मध्य में हुआ करती थी। अब यह पहाड़ी गंगा के किनारे खड़ी है। इस पहाड़ी पर पालकालीन एवं गुप्तकालीन प्रस्तर शिल्पों को देखने देशी-विदेशी पर्यटक प्रायः शीत ऋतु में आते हैं। ये प्रस्तर शिल्प एक फीट से लेकर 10 फीट तक के आकार में हैं।

इन प्रस्तर शिल्पों में हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी गईं हैं। विशेष कर शैव और वैष्णव मतावलंबियों की भावनाओं पर ये शिल्प गढ़े गए हैं। इनमें कुछ बौद्ध धर्म से जुड़े शिल्प भी हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में इनमें से कुछ शिल्पों का अब प्राकृतिक थपेड़ों से क्षरण होना भी शुरू हो गया है।

शिल्पों में शेषशायी विष्णु, नरसिंहावतार, वामन अवतार, शूकर अवतार, लड्डू खाते गणेश, रथ पर सवार भगवान सूर्य की छोटी बड़ी लगभग आधी दर्जन आकृतियां शामिल हैं। इनके अलावा शिव-पार्वती के दर्जनों छोटी-बड़ी आकृतियां हैं।

अजगैवीनाथ धाम में कांवड़ यात्रा का इतिहास

अजगैवीनाथ धाम में उत्तरवाहिनी गंगा प्रवाहित होने से कांवड़ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि सावन माह में वृहत मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में कांवरिया अजगैवीनाथ धाम पहुंचते हैं। मेले के दौरान स्थानीय लोगों व श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्वप्रथम भगवान राम ने उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ के रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक किया था। उस समय श्रावण मास चल रहा था और तब से इस परंपरा की शुरुआत हो गई। 1982 में भक्ति फिल्म गंगा धाम आने के बाद अजगैवीनाथ धाम को दूर-दराज के लोग जानने लगे।

धार्मिक पर्यटन स्थल बन गया है बाबा अजगैवीनाथ धाम

देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं श्रद्धालु यहां श्रावण मास में शिवभक्त श्रद्धालुओं कांवरियों का मेला लगता है। देश में लगने वाले मेलों में ये सबसे बड़ा मानव मेला है। वर्ष 1978 में रेडियो बीबीसी ने इसे विश्व का सबसे बड़ा मानव मेला बताया था।

श्रावणी मेला के नाम से विख्यात इस कांवरिया मेला में पूरे श्रावण मास देश के विभिन्न राज्यों सहित पड़ोसी देश नेपाल और भूटान के शिवभक्त श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से शामिल होते हैं। यहीं के जल से पूजा यहां से कांवरिया पवित्र उत्तर वाहिनी गंगा का जल अपने कांवरों में भरकर झारखंड के देवघर में लंकापति रावण द्वारा स्थापित रावणेश्वर बैद्यनाथ का जलाभिषेक एवं पूजा-अर्चना करते हैं।

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