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गजब : पांच फीट के नारियल के वृक्ष में प्रतिवर्ष फलते हैं 80 फल, आप भी करें इसकी खेती

गजब इंसान से भी कम कद काठी के नारियल पेड़ से आएगी समृद्धि। पांच फीट होगी पेड़ की अधिकतम ऊंचाई। जमुई में पांच एकड़ में किया जाएगा प्रायोगिक प्रदर्शन। एक फीट की ऊंचाई से शुरू हो जाती है फलन। 70-80 फल प्रतिपवर्ष।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2022 03:51 PM (IST)
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नाटा प्रजाति के नारियल के पौधे की चार साल तक करनी होती है विशेष देखभाल।
अरविंद कुमार सिंह, जमुई। नारियल पेड़ की ऊंचाई इंसान की कद से भी कम होती है, यह सुनते ही आप चौक जायेंगे। लेकिन, यह हकीकत है और इस प्रजाति से किसानों की आर्थिक समृद्धि लाने की कोशिश प्रारंभ हो चुकी है। वैसे इस प्रजाति के नारियल की खेती दक्षिण भारत में पहले से की जा रही है। फिलहाल जमुई जिले में पांच एकड़ से इसकी शुरुआत की तैयारी कर ली गई है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा पांच एकड़ भू-भाग में प्रदर्शन के लिए किसानों का चयन किया गया है।

प्रमुख कृषि विज्ञानी सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि यह नाटा प्रजाति का नारियल पौधा कहलाता है। उक्त नारियल पेड़ की अधिकतम ऊंचाई पांच फीट तक होती है। इसमें एक फीट की ऊंचाई से ही फलन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती हैं। इस प्रजाति की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके फल तोडऩे के लिए किसानों को विशेष मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। जमुई में पांच एकड़ जमीन में प्रदर्शन के तौर पर इसकी खेती प्रारंभ करने के लिए किसानों को चिन्हित कर लिया गया है। रांची से पौधे मंगाने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। इस सप्ताह कृषि विज्ञान केंद्र को पौधे की आपूर्ति कर दी जाएगी और अगले सप्ताह पौधारोपण का कार्य भी पूर्ण कर लिया जाएगा।

कम लागत में होगी अच्छी खासी आमदनी

नारियल की खेती में लागत कम आती है। इसकी देखभाल की भी आवश्यकता बहुत अधिक नहीं होती है। इस प्रभेद के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त है। एक एकड़ में लगभग दो-ढाई सौ पौधे लगाए जा सकते हैं। शुरुआती तीन-चार वर्षों तक इसकी सिंचाई की थोड़ी अधिक आवश्यकता होती है। फलन की बात करें तो एक पेड़ में 70-80 फल प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं। बाजार में डाभ की कीमत 40 से 60 रुपये तक होती है। जबकि सूखा नारियल 25-30 रुपये में मिलता है।

नाटा प्रजाति के नारियल की खेती बतौर प्रदर्शन इस बार जमुई में करने की तैयारी है। सुखाड़ आदि की समस्या से निजात पाने के लिए यह बेहतर विकल्प है। - सुधीर कुमार सिंह, प्रमुख कृषि विज्ञानी, केवीके, जमुई।

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