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SANSKRIT Singer : भागलपुर की माधवी मधुकर.. सोनपुर मेले में शंकराचार्य रचित स्तोत्रों को गाकर किया रोमांचित

Sanskrit singer भागलपुर की माधवी मधुकर अद्भुत प्रतिभा की धनी हैं। सोनपुर पशु मेले में आदि शंकराचार्य रचित संस्‍कृत भाषा में स्तोत्रों को गाकर उन्‍होंने सभी को रोमांचित कर दिया। उनके गायन शैली की मालिनी अवस्‍थी ने खूब प्रशंसा की है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Fri, 25 Nov 2022 01:56 PM (IST)
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SANSKRIT Singer : सोनपुर पशु मेला में भागलपुर की माधवी मधुकर की बेहतरीन प्रस्‍तुति।
ऑनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। SANSKRIT Singer : विश्व को बुद्ध और महावीर जैसे शांति दूत, नालंदा और विक्रमशिला जैसे शैक्षिक संस्थान, चाणक्य जैसे गुरु, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक जैसे पराक्रमी शासक देने वाले बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत काफी समृद्ध रही है। इन्हीं समृद्ध और प्राचीन स्थलों में से एक है पतितपावनी, मोक्षदायनी गंगा और गंडक नदी के संगम पर अवस्थित, गजेन्द्रमोक्ष की धरती जहां हरिहरनाथ मंदिर है।

इस हरिहर मंदिर का आधार स्वयं मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम ने मिथिला जाते वक्त रखा था। इसी के आसपास विश्व का सबसे प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला लगता है। यहां सारण जिला प्रशासन, बिहार सरकार के पर्यटन विभाग आदि मिलकर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं।

सोनपुर पशु मेले में गूंजा माधवी मधुकर के संस्‍कृत भजन

सोनपुर पशु मेले में बिहार के भागलपुर की प्रख्यात संस्कृत गायिका माधवी मधुकर ने अपने 'मधुरम' बैंड के तले आदिगुरु शंकराचार्य रचित स्तोत्रों को अपने मधुर स्वर में पिरोकर अद्भुत प्रस्तुति दी। माधवी मधुकर ने संस्कृत में ऐसी तान छेड़ी की आम और खास सभी वर्ग श्रोता हरिहर क्षेत्र में भक्ति-भाव में तल्लीन दिखे। गणेश वंदना से शुरू हुई इनके गायन की तान अच्युताषट्कम पर समाप्त हुई। माधवी का कार्यक्रम समाप्‍त हुआ तो ऐसा लगा मानो ये संस्कृत की उद्धारक हैं।

संस्कृति की वाहक हैं माधवी मधुकर

बिहार की संस्कृति में कुछ विशेष सामाजिक, नैतिक मूल्यों और आदर्शों का मिश्रण है, जो हमें अन्य से न केवल अलग बल्कि विशिष्टता का बोध भी कराती है। माधवी मधुकर में लोगों को एक उम्मीद की किरण और संस्कृति की वाहक नजर आईं। उनके गायन शैली न केवल भीड़ से अलग है बल्कि इंसान को ईश्वर और संस्कृति से साक्षात्कार भी करवाती है। हरिहर मेला क्षेत्र कार्यक्रम संयोजक और बिहार पर्यटन विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद के प्रयास से भारतीय संस्‍कृति का यह परचम पहरा।

माधवी मधुकर की गा‍यिकी से सभी हुए रोमांचित

हरिहर मेला क्षेत्र कार्यक्रम सोनपुर मेले में माधवी मधुकर के स्तोत्रों की गूंज ने एक नई लकीर खिंचने का काम किया है। उनकी गायिकी से भी रोमांचित हो गए। बिहार भागलपुर की बेटी की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए, दीपक आनंद ने इनसे अगले साल भी मेले में आने का आग्रह किया।

(सोनपुर पशु मेले में माधवी मधुकर और मालिनी अवस्‍थी भोजन करते हुए)

जानिए... माधवी मधुकर को...

माधवी मधुकर के पति पीयूष झा हैं। उनका मायका-सबौर, भागलपुर, बिहार। पिता किशोर झा और मां संयुक्ता झा हैं। माधवी का ससुराल डांडै़, जिला गोड्डा, झारखंड। ससुर -सुभाष चंद्र झा, सास -निरंजना झा।

माधवी मधुकर की गायिकी से प्रभावित हुईं मालिनी अवस्‍थी

देश की प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्‍थी ने माधवी मधुकर के संस्‍कृत भजनों की खूब सराहना की। उन्‍होंने कहा कि माधवी की गायिकी में ओज है। स्‍वरों की अच्‍छी जानकारी है। उन्‍होंने कहा कि आज के समय में संस्‍कृत भजन, मंत्र व स्‍तोत्र का सरस्‍वर गाने वाले गायक-गायिका काफी कम हैं। माधवी ने अपनी संस्‍कृति की रक्षा की है। मालिनी ने माधवी को कहा कि अपने गौरवशाली अतीत की रक्षा करना। यहां बता दें कि माधवी मधुकर झा की प्रसिद्धि माधवी मधुकर के रूप में हुई है। 

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