'महोत्सव में साहित्यकारों ने अंगिका के उत्थान पर किया मंथन'
दल्लू बाबू धर्मशाला में दो दिवसीय अंगिका महोत्सव शुक्रवार को शुरू हुआ। उद्घाटन तिमांविवि के वीसी प्रो. लीला चंद साहा, विक्रमशिला हिंदी पीठ के वीसी डॉ तेज नारायण कुशवाहा ने किया।
By Dilip ShuklaEdited By: Updated: Mon, 04 Feb 2019 09:15 PM (IST)
भागलपुर [जेएनएन]। अंगिका महोत्सव के दूसरा दिन 'अंगिका भाषा के विकास में बाधा एवं उपाय विषय पर' सत्र आरंभ हुआ। इस दौरान विशिष्ट अतिथि खगड़िया से आए डॉ कैलाश झा किंकर ने बताया अंगिका भाषा को भूमंडलीकरण के दौर में संतुलन स्थापित करना जरूरी है। अंगिका बोलने में स्वाभिमान होना चाहिए। विकास सिंह गुल्टी ने कहा कि प्रत्येक शनिवार को हम स्कूल में अंगिका पढ़ाते हैं। अंगिका को जन-जन में पहुंचाने के लिए हम विद्यालय विद्यालय शिक्षकों से संपर्क करेंगे। सुजाता कुमारी ने कहा कि अंगिका में रोजगार के अवसर सृजित किया जाना चाहिए भाषा के विकास के लिए आर्थिक विकास भी महत्वपूर्ण है ।
मुंबई से आए अंगिका डॉट कॉम के निदेशक कुंदन अमिताभ एवं कविता कोश के उप निदेशक राहुल शिवाय ने अंगिका भाषा के विकास में तकनीकी रूप से सभी साहित्यकार को आगे आने को कहा। उन्होंने कहा किसी देश को जानने के लिए वहां की भाषाओं को जानना बहुत जरूरी है। भागलपुर की भाषा मैथिली लिखना प्रशासन का गंभीर षडयंत्र है। हर जिला के गजट में भाषा-भाषियों की संख्या उद्धृत होनी चाहिए। उन्होंने कहा अंगिका भाषा के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की जाएगी।
अंगिका विभाग के प्रोफ़ेसर प्रेम प्रभाकर जी ने कहा भाषा और संस्कृति के विकास में राजनीतिकारों का योगदान महत्वपूर्ण होना चाहिए। अंगिका की एक सांस्कृतिक पहचान है। यहां की लोक संस्कृति एवं लोक नृत्य को जिंदा रखना बहुत जरूरी है।
इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए तिलकामांझी विश्वविद्यालय अंगिका विभाग के अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा ने कहा भाषा परिवार के जान छेके। आज अंगिका विदेशों तक फैल चुकी है। लेकिन जन जागरण के अभाव के कारण अंगिका का देश में विकास कम हो पा रहा है।
कवि सम्मेलन आयोजित
दूसरे सत्र में श्वेता भारती के निर्देशन में लोक नृत्य झिझिया का प्रदर्शन किया गया। वहीं राजेश कुमार झा के निर्देशन में लोक नृत्य डोमकछ का मंचन हुआ। इसके बाद कवि सम्मेलन का प्रारंभ हुआ जिसमें भगवान प्रलय ने कहा...
इसके पूर्व लहेरी टोला स्थित दल्लू बाबू धर्मशाला में दो दिवसीय अंगिका महोत्सव शुक्रवार को शुरू हुआ। उद्घाटन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लीला चंद साहा, विक्रमशिला हिंदी पीठ के कुलपति डॉ. तेज नारायण कुशवाहा, दूरदर्शन केन्द्र के पूर्व निदेशक एसपी सिंह, अंगिका डॉट कॉम के निदेशक कुंदन अमिताभ, वरिष्ठ कलमकार राजेन्द्र प्रसाद सिंह, कविता कोष के उप निदेशक राहुल सिवाय, वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. रतन मंडल, गीतकार राजकुमार एवं महोत्सव के संयोजक दयानंद जायसवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। कुलपति प्रो. साहा ने अंगिका के विकास और उत्थान के लिए अंगिका भाषियों को एकजुट और सजग होने का आह्वान किया। विवि के डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेंद्र ने बताया कि अब तक हुए अंगिका साहित्य सृजन एवं आन्दोलन को एकरूपता देकर इस महोत्सव में एक स्मारिका का भी लोकार्पण किया जाएगा।इस अवसर पर छाया पांडेय, अश्वनी प्रजावंसी, गौतम सुमन, प्रो. रामचन्द्र घोष, डॉ. अमरेन्द्र, शिव कुमार शिव, रंजन, सुधीर प्रोग्रामर, सुरेश सूर्य, गीतकार राजकुमार आदि मौजूद थे। अंगिका महोत्सव 2019 में पारित प्रस्ताव 1.अंगिका भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने के लिए हर स्तर पर हर संभव प्रयास किया जाए और इसके लिए जुझारू एवं सक्षम व्यक्तियों की एक ऐसी सशक्त शिक्षण कमेटी बनाई जाए जो इस विषय में मैथिली के अधिकारी और दुष्चक्र को तोड़ते हुए अंगिका को उसका वाजिब अधिकार दिलाने और आठवीं अनुसूची में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करें।2.यह महोत्सव सर्वसम्मति से बिहार सरकार से यह मांग करता है कि प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा इंटरमीडिएट तक अंगिका भाषा में पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित करें।3.यह महोत्सव सर्वसम्मति से अंगिका क्षेत्र के विभिन्न जिलाधिकारियों से यह मांग करता है, कि संबंधित जिलों के राजपत्र (गजट) में मैथिली वालों के दुष्चक्र से अंगिका भाषा के स्थान पर 'मैथिली' भाषा का नाम दर्ज किए जाने को निरस्त करते हुए 'अंगिका' को अंकित किया जाए।4.यह महोत्सव यह अनुभव करता है कि विभिन्न वर्तनी के कारण सामान्य ज्ञान के लिए अंगिका पढ़ना लिखना कठिन होता है बिहार की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं - मैथिली, भोजपुरी, मगही, वाज्जिका आदी में वर्तनी का कोई उलझन नहीं है। इसलिए यह महोत्सव यह प्रस्ताव पारित करता है कि विभिन्न वर्तनियों के जाल संजाल को छोड़कर सहज, सरल, सुगम में में देवनागरी लिपि में अंगिका के पढ़ने लिखने की व्यवस्था को स्वीकृत किया जाए। 5. हर्ष का विषय है कि अंगिका वासियों की भावनाओं को ध्यान में रखकर पटना में अंगिका अकादमी की स्थापना करते हुए बिहार सरकार ने एक अंगिका विद्वान को अंगिका अकादमी के अध्यक्ष पद पर प्रतिष्ठित किया। यह महोत्सव अत्यंत दुख एवं क्षोभ के साथ यह अनुभव करता है कि अकादमी के गठन से लेकर आज तक अंगिका अध्यक्ष की ओर से अंगिका के विकास संवर्धन और उन्नयन के लिए कोई उल्लेखनीय कदम नहीं उठाया गया है। अतः यह महोत्सव राज्य सरकार से अनुरोध करता है कि अंगिका अकादमी पटना के अध्यक्ष पद पर किसी अंगिका सेव़ी विद्वान को प्रतिष्ठित किया जाए।6. यह महोत्सव अंगिका भाषा के प्रति उदासीनता को लेकर अंगिका क्षेत्र के तमाम विधायकों सांसदों के प्रति दुख प्रकट करता है और समस्त अंगिका वासी मतदाताओं से अपील करता है कि अपने-अपने क्षेत्र में यह नारा बुलंद करें कि 'अंगिका' नहीं तो वोट नहीं'।7. यह महोत्सव सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करता है कि समस्त क्षेत्र में अंगिका लोक कला, मंजूषा पेंटिंग, से सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों, संस्थानों को सुसज्जित किया जाए और भागलपुर से खुलने वाली रेलगाड़ियों को अंगिका पेंटिंग से रंगा जाए तथा स्टेशन से अंगिका भाषा में भी सूचना प्रसारण की व्यवस्था की जाए।8.यह महोत्सव सर्वसम्मति से प्रस्ताव रखता है कि अंगिका भाषा के समुचित विकास, प्रचार - प्रसार के लिए एक अंगिका पत्रिका (अर्द्धवार्षिक/छमाही) को प्रकाशित करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए अंगिका महोत्सव के लिए गठित समिति में उपयुक्त व्यक्तियों को सम्मिलित करते हुए प्रस्तावित पत्रिका के स्वरूप एवं अन्य व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
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सांझ भोले, लौटी चले गांव रे।'
'सूतैं रे नूनू, सुतौनियाँ देबौ
भरी-भरी खाँची, खमौनियाँ देबौ
आनी के नानी रो खिस्सा-कहानी सें
छानी के घोघ्घो रनियाँ देबौ'
इसके पूर्व लहेरी टोला स्थित दल्लू बाबू धर्मशाला में दो दिवसीय अंगिका महोत्सव शुक्रवार को शुरू हुआ। उद्घाटन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लीला चंद साहा, विक्रमशिला हिंदी पीठ के कुलपति डॉ. तेज नारायण कुशवाहा, दूरदर्शन केन्द्र के पूर्व निदेशक एसपी सिंह, अंगिका डॉट कॉम के निदेशक कुंदन अमिताभ, वरिष्ठ कलमकार राजेन्द्र प्रसाद सिंह, कविता कोष के उप निदेशक राहुल सिवाय, वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. रतन मंडल, गीतकार राजकुमार एवं महोत्सव के संयोजक दयानंद जायसवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। कुलपति प्रो. साहा ने अंगिका के विकास और उत्थान के लिए अंगिका भाषियों को एकजुट और सजग होने का आह्वान किया। विवि के डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेंद्र ने बताया कि अब तक हुए अंगिका साहित्य सृजन एवं आन्दोलन को एकरूपता देकर इस महोत्सव में एक स्मारिका का भी लोकार्पण किया जाएगा।इस अवसर पर छाया पांडेय, अश्वनी प्रजावंसी, गौतम सुमन, प्रो. रामचन्द्र घोष, डॉ. अमरेन्द्र, शिव कुमार शिव, रंजन, सुधीर प्रोग्रामर, सुरेश सूर्य, गीतकार राजकुमार आदि मौजूद थे। अंगिका महोत्सव 2019 में पारित प्रस्ताव 1.अंगिका भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने के लिए हर स्तर पर हर संभव प्रयास किया जाए और इसके लिए जुझारू एवं सक्षम व्यक्तियों की एक ऐसी सशक्त शिक्षण कमेटी बनाई जाए जो इस विषय में मैथिली के अधिकारी और दुष्चक्र को तोड़ते हुए अंगिका को उसका वाजिब अधिकार दिलाने और आठवीं अनुसूची में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करें।2.यह महोत्सव सर्वसम्मति से बिहार सरकार से यह मांग करता है कि प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा इंटरमीडिएट तक अंगिका भाषा में पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित करें।3.यह महोत्सव सर्वसम्मति से अंगिका क्षेत्र के विभिन्न जिलाधिकारियों से यह मांग करता है, कि संबंधित जिलों के राजपत्र (गजट) में मैथिली वालों के दुष्चक्र से अंगिका भाषा के स्थान पर 'मैथिली' भाषा का नाम दर्ज किए जाने को निरस्त करते हुए 'अंगिका' को अंकित किया जाए।4.यह महोत्सव यह अनुभव करता है कि विभिन्न वर्तनी के कारण सामान्य ज्ञान के लिए अंगिका पढ़ना लिखना कठिन होता है बिहार की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं - मैथिली, भोजपुरी, मगही, वाज्जिका आदी में वर्तनी का कोई उलझन नहीं है। इसलिए यह महोत्सव यह प्रस्ताव पारित करता है कि विभिन्न वर्तनियों के जाल संजाल को छोड़कर सहज, सरल, सुगम में में देवनागरी लिपि में अंगिका के पढ़ने लिखने की व्यवस्था को स्वीकृत किया जाए। 5. हर्ष का विषय है कि अंगिका वासियों की भावनाओं को ध्यान में रखकर पटना में अंगिका अकादमी की स्थापना करते हुए बिहार सरकार ने एक अंगिका विद्वान को अंगिका अकादमी के अध्यक्ष पद पर प्रतिष्ठित किया। यह महोत्सव अत्यंत दुख एवं क्षोभ के साथ यह अनुभव करता है कि अकादमी के गठन से लेकर आज तक अंगिका अध्यक्ष की ओर से अंगिका के विकास संवर्धन और उन्नयन के लिए कोई उल्लेखनीय कदम नहीं उठाया गया है। अतः यह महोत्सव राज्य सरकार से अनुरोध करता है कि अंगिका अकादमी पटना के अध्यक्ष पद पर किसी अंगिका सेव़ी विद्वान को प्रतिष्ठित किया जाए।6. यह महोत्सव अंगिका भाषा के प्रति उदासीनता को लेकर अंगिका क्षेत्र के तमाम विधायकों सांसदों के प्रति दुख प्रकट करता है और समस्त अंगिका वासी मतदाताओं से अपील करता है कि अपने-अपने क्षेत्र में यह नारा बुलंद करें कि 'अंगिका' नहीं तो वोट नहीं'।7. यह महोत्सव सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करता है कि समस्त क्षेत्र में अंगिका लोक कला, मंजूषा पेंटिंग, से सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों, संस्थानों को सुसज्जित किया जाए और भागलपुर से खुलने वाली रेलगाड़ियों को अंगिका पेंटिंग से रंगा जाए तथा स्टेशन से अंगिका भाषा में भी सूचना प्रसारण की व्यवस्था की जाए।8.यह महोत्सव सर्वसम्मति से प्रस्ताव रखता है कि अंगिका भाषा के समुचित विकास, प्रचार - प्रसार के लिए एक अंगिका पत्रिका (अर्द्धवार्षिक/छमाही) को प्रकाशित करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए अंगिका महोत्सव के लिए गठित समिति में उपयुक्त व्यक्तियों को सम्मिलित करते हुए प्रस्तावित पत्रिका के स्वरूप एवं अन्य व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।