Bhagalpur Damaged bridge भागलपुर जिले में 100 से अधिक पुल-पुलिया जर्जर हालत में हैं। कई पुल बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सिर्फ पीरपैंती में बीते दस दिनों में दो पुलिया क्षतिग्रस्त हुआ है। क्षतिग्रस्त पुलों पर वाहनों की आवाजाही जारी है जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीण विकास विभाग ने पुलों की मरम्मत के लिए राशि की मांग की है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले में सौ से अधिक पुल-पुलिया चलने लायक नहीं है। कई पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हो गया है। ऐसे पुल-पुलिया की मरम्म्त की दरकार है। कई पुल-पुलिया बाढ़ के दौरान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। सिर्फ पीरपैंती में बीते दस दिनों में दो पुलिया क्षतिग्रस्त हुआ है।
क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया होकर वाहनों की आवाजाही लगातार जारी है। अगर ऐसे पुल-पुलिया पर आवाजाही की रोक नहीं लगाई गई तो बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने पूरी जानकारी ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्ध करा दी है।
पंचायत के स्तर से निर्मित दो दर्जन से अधिक पुल जर्जर हो चुके हैं। सभी विभागों की ओर से सरकार से मरम्मत के लिए राशि की मांग की गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि बाढ़ के पानी उतरने के बाद पुल-पुलिया की स्थिति का आकलन किया जाएगा। इसके बाद मरम्मत का कार्य कराया जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग के 24 पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हैं। इनमें से एक-दो पुलिया बाढ़ के तेज बहाव में बह गए हैं।
हाल के महीनों में सूबे में एक के बाद एक पुल-पुलिया के गिरने के बाद ग्रामीण विकास विभाग ने विभिन्न योजनाओं से बने पुल-पुलियों की खोज शुरू की।
भागलपुर जिले में ग्रमीण विकास विभाग के 352 पुल-पुलिया हैं। इनमें से 235 का निर्माण मनरेगा योजना से कराया गया है। तीन पुलिया अन्य विभागों द्वारा बनाया गया है।
सात पुलिया का फाउंडेशन क्षतिग्रस्त है। इसकी पूरी जानकारी विभाग को उपलब्ध कराई गई है और आगे की कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश मांगा गया है।
ग्रामीण इलाकों में जर्जर हो चुके हैं अधिकांश पुल-पुलिया
ग्रामीण इलाकों में 20 से 25 साल पुराने पुल-पुलिया जर्जर हो चुके हैं। यह पुल-पुलिया कभी भी धराशायी हो सकते हैं। रखरखाव नहीं होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। हाल के वर्षों में पहाड़ी नदियों में बाढ़ नहीं आने की वजह से कई पुल-पुलिया बचे हुए हैं। कई जिलों में पुल-पुलिया के धराशायी होने के बाद विभाग की नींद खुली है।
जुलाई में शुरू हुई थी खोज
ग्रामीण कार्य विभाग से निर्मित पुल-पुलिया की खोज जुलाई में शुरू हुई थी। पथ निर्माण, पंचायत व ग्रामीण कार्य विभाग से निर्मित पुल-पुलिया की खोज शुरू हुई थी। पूर्व में चार योजनाओं से पुल-पुलिया का निर्माण कराया गया था।
आयुक्त मनरेगा सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजय कुमार ने ग्रामीण विकास विभाग के अधीन निर्मित व निर्माणाधीन पुल-पुलिया के संबंध में उप विकास आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। मनरेगा आयुक्त के निर्देश पर पुल-पुलिया का भौतिक सत्यापन शुरू हुआ था।
मनरेगा के जूनियर इंजीनियर, पंचायत तकनीकी सहायक स्तर के कर्मचारी भौतिक सत्यापन के कार्य में लगे थे। गांव-गांव पुल-पुलिया का सत्यापन किया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में जवाहर रोजगार योजना, सुनिधि रोजगार योजना, संपूर्ण रोजगार योजना व मनरेगा से पुल-पुलिया का निर्माण कराया गया है। कई ऐसे भी पुल-पुलिया हैं, जिसका निर्माण अन्य विभागों से हुआ है। अभी से लेकर 2005 या इससे पहले बने पुल-पुलिया की रिपोर्ट मांगी गई थी।
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