ऐसा आपने नहीं सुना होगा! इंसानों को देख धबराया चीतल, हार्ट अटैक और किडनी फेल होने से मौत
भागलपुर के बांका जिला मुख्यालय से सटी गारा पंचायत में अचानक चीतल के आ जाने से लोग काफी उत्साहित हो गए। चीतल को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी तो वहीं दूसरी ओर लोगों की भीड़ की वजह से चीतल का हार्ट फेल हो गया और उसकी किडनी ने भी काम करना बंद कर दिया जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। चार दिन पहले बांका जिला मुख्यालय से सटी गारा पंचायत में पकड़े गए एक चीतल की मौत हार्ट फेल और किडनी खराब होने के कारण हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसकी जानकारी सामने आई है। लोगों की भीड़ देखकर चीतल के हार्ट और किडनी ने काम करना बंद कर दिया।
गांव में चीतल कैसे पहुंचा, इसकी जांच वन विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। उधर, एक अन्य मामले में जमुई जिले के मलयपुर रेंज के वन अधिकारियों ने बारहसिंहा का सींग बरामद किया है। इसकी जांच हैदराबाद की प्रयोगशाला में कराई जाएगी। जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यह सींग कब का है।
जानकारी के अनुसार, चार दिन पहले एक चीतल भटककर बांका मुख्यालय से सटी गारा पंचायत में पहुंच गया। ग्रामीणों को जब वन्य जीव के आने की जानकारी मिली तो बड़ी संख्या में लोग उत्सुकतावश उसे देखने पहुंच गए। भारी भीड़ को देखकर चीतल घबरा गया। उसने इधर-उधर कूदना बंद कर दिया। लोगों ने उसे आसानी से पकड़कर वन विभाग को सूचना दी। वन विभाग के अधिकारी मेडिकल टीम के साथ वहां पहुंचे। चीतल को अपने कब्जे में लेकर भागलपुर आ गए।
चीतल को नहीं बचा पाई मेडिकल टीम
मेडिकल टीम ने काफी कोशिश कीस लेकिन चीतल बच नहीं पाया। वन विभाग के चिकित्सक डॉ. संजीत कुमार का कहना है कि जीयर फैमली का कोई भी वन्य जीव जब लोगों की भीड़ के बीच घिर जाता है या फिर लोगों के संपर्क में आ जाता है तो वह वन्य जीव फैक्चर माओपैथी नामक रोग से ग्रस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में उस वन्य प्राणी की किडनी और हार्ट काम करना बंद कर देता है। चीतल के साथ भी यही हुआ।
डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि हाल के वर्षों में बांका के आसपास के जंगल में चीतल को नहीं देखा गया है। चीतल यहां कैसे पहुंचा, इसकी जांच की जाएगी। दूसरी ओर जमुई जिले के मलयपुर रेंज के वन्य अधिकारियों ने एक व्यक्ति पास से बारहसिंहा की सींग बरामद की है। उस व्यक्ति के पास सींग कहां से पहुंची, इसकी जांच-पड़ताल की जा रही है।
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि वन्य जीव अधिनियम को 1972 में लागू किया गया। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति वन्य जीवों से जुड़ी सामग्री को अपने घर में नहीं रख सकता है। कायदे से इस सामग्री को वन विभाग को सौंप देना चाहिए। हैदराबाद की प्रयोगशाला में जांच के बाद पता चल पाएगा कि यह सींग कितना पुराना है।ये भी पढ़ेंबाल-बाल बचे: भागलपुर में लापरवाही का हैरान करने वाला मामला, मरीजों को चढ़ाई जाने वाली थी फंगस वाली स्लाइन
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