डेंगू के मरीज ठीक होकर फिर से क्यों हो रहें बीमार? बिहार में चारों डेन मौजूद, समझिए पॉजिटिव-निगेटिव का माजरा
Dengue in Bihar लोग डेंगू संक्रमण से ठीक होने के बाद फिर से पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। डॉक्टर के अनुसार अगर आप एक बार डेंगू पॉजिटिव होकर निगेटिव हुए हैं और इसके बाद फिर से पॉजिटिव हो गए हैं तो आपको दूसरे वेरिएंट के मच्छर ने काटा है। डेंगू के वेरिएंट को डेन वन टू थ्री और चार कहा जाता है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर : अगर आप डेंगू संक्रमण से निगेटिव होकर यह मान रहे हैं कि आप के शरीर में एंटीबॉडी तैयार हो गई है और आप अब डेंगू के शिकार नहीं होंगे तो आप गलत हैं।
जिले में ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें मरीज ठीक होने के बाद फिर से संक्रमण का शिकार हो गए।
इन दिनों वे लोग अपना इलाज सरकारी अस्पताल एवं निजी नर्सिंग होम में करा रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पूर्व में डेंगू वायरस के डेन वन व टू का संक्रमण था। अब डेन चार अपना असर दिखा रहा है।
बुखार सामान्य, पर अचानक तेजी से घटने लगती हैं प्लेटलेट्स
जेएलएनएमसीएच के वरीय चिकित्सक डॉ. हेमशंकर शर्मा कहते हैं कि डेंगू के वेरिएंट को डेन वन, टू, थ्री और चार कहा जाता है। शहर में पहले डेन वन और टू वेरिएंट था।
इसके काटने से मरीज पांच से सात दिन में ठीक होते थे। पिछले दिनों से अचानक डेंगू मरीज गंभीर होने लगे हैं। दो दिन पहले प्लेटलेट्स दो लाख से ज्यादा रहती हैं, लेकिन दो दिन बाद प्लेटलेट्स बीस हजार हो जा रही हैं।
मरीज का बीपी सही नहीं रहता है। मरीज की नाक, शौच के रास्ते एवं मुंह से खून आने लगता है। ऐसे में, अगर बीपी कंट्रोल में नहीं रहता है तो मरीज शॉक सिंड्रोम में भी जा सकता है। मरीज के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद या कम कर देते हैं।
ऐसे में, मरीज को विशेष केयर की जरूरत होती है। इस तरह के लक्षण डेन चार के हैं। इस तरह के मरीज जेएलएनएमसीएच में आ रहे हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि गहन इलाज के बाद मरीज को ठीक कर लिया जाता है।
शहर में डेंगू के तीन वेरिएंट, जांच जरूरी
डॉ. शर्मा कहते हैं आइजीएमसीएस पटना की लैब में वायरल जांच में पता चला है कि बिहार में चारों डेन मौजूद हैं। ऐसे में, अगर एक बार डेंगू पॉजिटिव होकर निगेटिव हुए और इसके बाद फिर पॉजिटिव हो गए तो यह निश्चित है कि आपको दूसरे वेरिएंट के मच्छर ने काटा है।
ऐसे में, शहर में कौन-कौन सा डेन है इसकी जांच जरूरी है। सिविल सर्जन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वायरस की जांच करानी चाहिए, जिससे मरीजों का सटीक इलाज हो सके।
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निगेटिव होने के बाद 24 घंटे तक रहती है नजर
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीजों की प्लेटलेटस लगातार बढ़ रही हैं। बुखार नहीं आ रहा है और चौबीस घंटे तक बीपी सामान्य रहता है। ऐसे रोगियों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
वहीं, आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार, मरीज को भर्ती करने के बाद अगर प्लेटलेट्स बीस हजार से नीचे है तो उसे प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं।