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Bihar Flood: और क्या होगा मुद्दा? आश्वासनों के बीच फंसी 'बाढ़'... बिहार की इन नौ लोकसभा सीटों पर सबसे बड़ी समस्या

Flood In Bihar बिहार में चुनाव के समय में बाढ़ से और बड़ा मुद्दा क्या हो सकता है? पूर्व बिहार कोसी और सीमांचल के नौ लोकसभा क्षेत्रों में बाढ़ बड़ी समस्या है। हर साल लाखों लोग प्रभावित और पलायन के लिए मजबूर होते हैं। आजादी के बाद बाढ़ नियंत्रण को लेकर सरकारों ने कई तटबंध बनाए। इससे जल निकासी की व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 12 Mar 2024 08:32 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
संजय सिंह, भागलपुर। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के नौ लोकसभा क्षेत्रों में बाढ़ बड़ी समस्या है। हर साल लाखों लोग प्रभावित और पलायन के लिए मजबूर होते हैं। इसके निदान के लिए चुनाव के दौरान विभिन्न मंचों और दलों से आवाज उठती रही है, लेकिन अबतक इसका कारगर हल नहीं निकल सका है।

बाढ़ से दिन व दिन कृषि योग्य भूमि का रकबा सिमटता जा रहा है। बालू से जमीन बंजर हो रही तो निदान कटावरोधी कार्यों से आगे नहीं बढ़ सका है। आजादी के बाद बाढ़ नियंत्रण को लेकर सरकारों ने कई तटबंध बनाए। इससे जल निकासी की व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

नदियों की पेटी ऊपर उठ गई है। इस कारण कई क्षेत्रों में जलजमाव की समस्या बड़ी हो गई है। परिणामस्वरूप, सुदूर क्षेत्रों से गरीब जानमाल बचाव व रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं। 1957 के आम चुनाव के बाद कोसी क्षेत्र के कांग्रेसी नेता लहटन चौधरी ने बाढ़ की समस्या को मुखर रूप से उठाया था।

उन्होंने सरकार को चार सूत्री सुझाव भी दिए थे। उन सुझावों को आजतक अमल में नहीं लाया गया। कोसी परियोजना में 304 गांवों का पुनर्वास होना था। इसके निदान के लिए 15 सितंबर, 1954 को टीपी सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें कई निर्णय लिए गए, लेकिन इसे जमीन पर अबतक नहीं उतारा जा सका है।

2008 में कुसहा त्रासदी के दौरान भी लंबी-चौडी घोषणाएं हुई

आठ नवंबर, 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विंदेश्वरी दूबे ने कोसी के लोगों को आश्वस्त किया था कि बाढ़ की समस्या से उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। अब भी कोसी के लोगों के लिए बाढ़ अभिशाप बनी है। 2008 में कुसहा त्रासदी के दौरान भी लंबी-चौडी घोषणाएं हुई थीं।

घोषणाओं के अनुरूप थोड़ा-बहुत समाधान भी हुआ। लेकिन, यह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुआ। सिंचाई मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि गंगा, गंडक, कोसी, बूढ़ी गंडक, महानंदा, बागमती, कमला नदी से आने वाली बाढ़ पर अंकुश के लिए 398 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं।

55 नए संवेदनशील स्थलों का चयन किया गया है। 2022 में 334 और 2023 में 957 संवेदनशील स्थलों का चयन कर बाढ़ रोधी कार्य कराए गए। 2022 में 892 करोड़ और 2023 में 1120 करोड़ रुपये खर्च किए गए। नेपाल से समन्वय कर ही इसका कारगर निदान निकाला जा सकता है।

बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र व लोग जिला प्रखंड गांव आबादी

कटिहार--9---2000----2.33 लाख

सहरसा--4---64-----60 हजार

मुंगेर--6---42------70 हजार

पूर्णिया--5---707---5 लाख

मधेपुरा--4--62--73 हजार

अररिया--7---250---12 लाख

किशनगंज--7---150---3 लाख

खगड़िया--7---135---2 लाख

सुपौल---6---70----2 लाख

भागलपुर---15---447----57 हजार

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