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Maize New Variety: बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की मक्के की नई किस्म, अब खरीफ में भी होगी बंपर पैदावार

Bihar Maize Variety बिहार में सबसे ज्यादा मक्का का उत्पादन होता है लेकिन खरीफ सीजन में मक्का उत्पादन में बिहार कई प्रदेशों से काफी पीछे है। इसकी मूल वजह यह थी कि खरीफ सीजन के लिए मक्का के बीज का कोई बेहतर प्रभेद ही नहीं है। जो बाहरी बीज बाजार में उपलब्ध हैं उससे खेती करने पर वर्षा के मौसम में फसल में कई प्रकार की बीमारी लग जाती है।

By Hirshikesh Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 21 Jun 2024 04:19 PM (IST)
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बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की मक्के की नई किस्म, अब खरीफ में भी होगी बंपर पैदावार
संवाद सहयोगी, भागलपुर। Bihar Maize Variety बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर में दो दिवसीय 27वीं खरीफ अनुसंधान परिषद की बैठक गुरुवार को संपन्न हो गई। बैठक के दौरान खरीफ मक्का के एक नए प्रभेद को रिलीज किया गया।

वहीं, किसानों के लिए उपयोगी दो नई तकनीक भी जारी किया गया। धान के प्रभेद को अनुसंधान परिषद की स्वीकृति नहीं मिली। बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने की।

सबौर खरीफ मक्का-1 रिलीज, किसानों को मिलेगा लाभ

बिहार में सबसे ज्यादा मक्का का उत्पादन होता है, लेकिन खरीफ सीजन में मक्का उत्पादन में बिहार कई प्रदेशों से काफी पीछे है। इसकी मूल वजह यह थी कि खरीफ सीजन के लिए मक्का के बीज का कोई बेहतर प्रभेद ही नहीं है। जो बाहरी बीज बाजार में उपलब्ध हैं, उससे खेती करने पर वर्षा के मौसम में फसल में कई प्रकार की बीमारी लग जाती है।

यही कारण है कि चाह कर भी अधिकांश किसान इस मौसम में मक्का की खेती नहीं कर पाते हैं। इसको ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने बीते कई वर्षों के प्रयास से खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त मक्का का नया प्रभेद सबौर मक्का -1 विकसित किया है। जो बिहार के किसानों के लिए लाभकारी होगा।

विज्ञानी एसएस मंडल ने विशेषज्ञों के सामने प्रस्तुति देने के क्रम में बताया कि यह मध्यम अवधि (92 दिन) में तैयारी होने वाला प्रभेद है। अधिक उपज देने वाली संकर प्रभेद की उपज प्रति क्विंटल 72.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त है। इसके बीज का रंग पीला, बोल्ड और चमकीला होता है। भुट्टे का आकार 22 सेंटीमीटर लंबा होता है।

पौधा गिरता नहीं है। अच्छी स्टैंड क्षमता है। पकने पर भुट्टा का कैप भूरा रंग का हो जाता है। पौधा हरा रहता है, जो बेहतर चारे की गुणवत्ता देता है। प्रमुख पर्ण रोगों के प्रति मध्यम रूप से सहनशील है। अर्थात जल्दी इसमें रोग और कीड़े नहीं लगता है। ज्याद गर्मी में भी उत्पादन देता है।

विशेषज्ञों की टीम ने स्वीकृति देते हुए विश्वविद्यालय से रिलीज कर दिया। किसान अब मक्का के नए प्रभेद का लभ उठा सकेंगे।

44 प्रस्तावों की हुई समीक्षा

शोध परिषद की बैठक में कुल 44 शोध प्रस्तावों की समीक्षा हुई। दो प्रभेद प्रस्तुतिकरण एवं 2 नई तकनीकों की भी गहन समीक्षा की गई । मौके पर भूतपूर्व अधिष्ठाता (कृषि), चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकि विश्वविद्यालय, यूपी डा. सीपी सचान, आइसीएआर के पूर्व मुख्य विज्ञानी डॉ. आरएस सिंह, डॉ. एके सिंह, उपनिदेशक अनुसंधान डॉ. शैलबाला, प्रगतिशील महिला कृषक नीतू देवी, कुमारी संगीता आदि मौजूद थीं।

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